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यहां है समुद्र के ऊपर बना देश का पहला कांच का पुल, खूबसूरत नजारा देख रह जाएंगे दंग, देखें वायरल Video

स्मारक को 133 फुट ऊंची तिरुवल्लुवर प्रतिमा से जोड़ने वाले एक कांच के पुल का उद्घाटन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने किया था.

यहां है समुद्र के ऊपर बना देश का पहला कांच का पुल, खूबसूरत नजारा देख रह जाएंगे दंग, देखें वायरल Video
ट्रैवल व्लॉगर ने शेयर किया कन्याकुमारी में बने कांच के पुल का वीडियो

Glass Bridge In Kanyakumari: तमिलनाडु का तटीय रत्न कन्याकुमारी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. शानदार समुद्र तट, लहराते नारियल के पेड़ और जीवंत धान के खेत. अपनी सुरम्य सेटिंग के साथ, कन्याकुमारी कुछ प्रतिष्ठित स्थलों के लिए मशहूर है. इनमें सबसे खास है विवेकानंद रॉक मेमोरियल है. तट से कुछ दूर एक चट्टानी द्वीप पर स्थित, यह भव्य स्मारक भारत के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरुओं में से एक स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देता है.

पिछले साल, स्मारक को 133 फुट ऊंची तिरुवल्लुवर प्रतिमा से जोड़ने वाले एक कांच के पुल (Glass Bridge) का उद्घाटन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने किया था. देश में अपनी तरह का पहला बताया जाने वाला यह ट्रांसपेरेंट पुल समुद्र और आसपास के बैकग्राउंड का एक खूबसूरत नजारा दिखाता है.

ट्रैवर व्लॉगर ने शेयर किया वीडियो

हाल ही में, एक ट्रैवल व्लॉगर युगल ने कन्याकुमारी के इस हॉटस्पॉट का दौरा किया और इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए इस जगह के बारे में जानकारी शेयर की. क्लिप में ट्रांसपेरेंट कांच के पुल पर चलती महिला को दिखाया गया है, जो टकराती लहरों, सूर्यास्त और शहर के नज़ारे का आनंद ले रही है. इसमें दो ऊंची मूर्तियों की झलक भी है. आपको बता दें कि इस स्मारक के लिए नौका टिकट की कीमत 70 रुपये है, जबकि साइट पर एंट्री की कीमत 30 रुपये है.

देखें Video:

साइड नोट में लिखा है, "क्या आपने तमिलनाडु में इस जगह के बारे में सुना है ??? कन्याकुमारी में हाल ही में खोला गया कांच का पुल, जिसकी लंबाई 77 मीटर है, विवेकानंद स्मारक को तिरुवल्लुवर की मूर्ति से जोड़ता है. यह जगह समुद्र के शानदार नज़ारे पेश करती है, और आप अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के मिलन बिंदु को भी देख सकते हैं."

ग्लास ब्रिज के बारे में

77 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा कांच का पुल कन्याकुमारी के अनूठे आकर्षणों में से एक है. धनुषाकार मेहराब इसकी भव्यता को और भी बढ़ा देता है और यह एक खास उद्देश्य भी पूरा करता है - इसे खारी हवा को झेलने के लिए बनाया गया है.

विवेकानंद रॉक मेमोरियल के बारे में

ऐसा माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद को यहीं पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. किंवदंती यह भी है कि देवी कन्याकुमारी ने इसी स्थान पर भगवान शिव से प्रार्थना की थी, और इसलिए, परिसर के भीतर उनके पैरों के निशान वाली एक चट्टान है. मस्ट विजिट क्षेत्रों में श्रीपद मंडपम और विवेकानंद मंडपम शामिल हैं. यहां स्वामी विवेकानंद की आदमकद कांस्य प्रतिमा भी स्थापित है. आप ध्यान कक्ष में शांति का आनंद ले सकते हैं और स्मारिका की दुकान भी देख सकते हैं.

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