विज्ञापन

Ravish Kumar Blog Ndtv

'Ravish Kumar Blog Ndtv' - 91 News Result(s)
  • रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    इतनी बड़ी कंपनी किसे पैसा खिला रही थी, जो खा रहा था, वो ख़ुद खा रहा था या आगे भी किसी को खिला रहा था, उसने और किस-किस से पैसे खाए होंगे, इतने सारे सवाल है कि दिमाग से पहले पेट खाली हो जाए.

  • नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    ज़ुबैर को अभी दिल्ली पुलिस के केस में बेल नहीं मिली है. उम्मीद है आपने गुरुवार का प्राइम टाइम देखा होगा, ज़ुबैर गिरफ्तार है और रोहित फरार है. NDTV इंडिया के यू टयूब चैनल पर इस हफ्ते का पांचों प्राइम टाइम देखिएगा.

  • बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    जिस बुलडोज़र से आपका बच्चा खेलता है उसी से सत्ता खेल रही है और अब आप खेल रहे हैं. बहुमत को एकतरफा जमा कर गरीबों के घरों और दुकानों पर हमले हो रहे हैं.

  • नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.

  • 8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?

  • जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    हज़ार दुखों से गुज़र रही भारत की पत्रकारिता का दुख आज हज़ार गुना गहरा लग रहा है. जिस पेश को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया है. कमाल ख़ान हमारे बीच नहीं हैं. हम देश और दुनिया भर से आ रही श्रद्धांजलियों को भरे मन से स्वीकार कर रहे हैं. आप सबकी संवेदनाएं बता रही हैं कि आपके जीवन में कमाल ख़ान किस तरीके से रचे बचे हुए थे. कमाल साहब की पत्नी रुचि और उनके बेटे अमान इस ग़म से कभी उबर तो नहीं पाएंगे लेकिन जब कभी आपके प्यार और आपकी संवेदनाओं की तरफ उनकी नज़र जाएगी, उन्हें आगे की ज़िंदगी का सफर तय करने का हौसला देगी. उन्हें ग़म से उबरने का सहारा मिलेगा कि कमाल ख़ान ने टीवी की पत्रकारिता को कितनी शिद्दत से सींचा था. एनडीटीवी से तीस साल से जुड़े थे. एक ऐसे काबिल हमसफर साथी को अलविदा कहना थोड़ा थोड़ा ख़ुद को भी अलविदा कहना है. 

  • तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    कमाल खान के बारे में मैं रात तक बोल सकता हूं. जितनी शिद्दत से और समझदारी से उन्‍होंने अयोध्‍या की रिपोर्टिंग की है पिछले 20-25 साल में तो सब जाकर देखने लायक है कि वे किस तरह के हिंदुस्‍तान के बारे में आवाज दे रहे थे.

  • अब कोई दूसरा कमाल ख़ान नहीं होगा

    अब कोई दूसरा कमाल ख़ान नहीं होगा

    वे अक्खड़ भी थे क्योंकि अनुशासित थे. इसलिए ना कह देते थे. वे हर बात में हां कहने वाले रिपोर्टर नहीं है. कमाल ख़ान का हां कह देने का मतलब था कि न्यूज़ रूम में किसी ने राहत की सांस ली है. वे नाजायज़ या ज़िद से ना नहीं कहते थे बल्कि किसी स्टोरी को न कहने के पीछे के कारण को विस्तार से समझाते थे.

  • UP के चुनावी धर्मक्षेत्र में नौकरी का मुद्दा, नफरती राजनीति की चपेट में युवा

    UP के चुनावी धर्मक्षेत्र में नौकरी का मुद्दा, नफरती राजनीति की चपेट में युवा

    भारत में महंगाई के सपोर्टर की तरह क्या बेरोज़गारी के भी सपोर्टर हैं? जब भी लाखों की संख्या में नौजवान सरकारी भर्ती की परीक्षा को लेकर बीजेपी से लेकर कांग्रेस की सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कोसने वाले आ जाते हैं कि सरकार कितनों को नौकरी देगी, अपना बिजनेस क्यों नहीं करते.

  • एक शिष्य की गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि‍...

    एक शिष्य की गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि‍...

    दुआ सर, आज आप नहीं हैं मगर आप का नाम देश के टेलीविजन इतिहास में लिखा जाएगा. जो सफर 'जनवाणी' से शुरू हुआ वो जारी रहेगा. सवाल तो पूछना ही है, आपके शिष्य होने के नाते हम ये करते रहेंगे.

  • टीवी पत्रकारिता का एक शानदार पन्ना आज अलग हो गया...

    टीवी पत्रकारिता का एक शानदार पन्ना आज अलग हो गया...

    भारत की टेलीविज़न पत्रकारिता में सवाल पूछने की यात्रा की पहचान विनोद दुआ से बनती है. पूछने की पहचान के साथ उनकी पत्रकारिता जीवन भर जुड़ी रही. आज हमें बताते हुए अच्छा नहीं लग रहा कि हमने भारतीय टेलिविज़न की एक शानदार हस्ती को खो दिया.

  • चीन के उकसावे से कैसे निपट रही है सरकार?

    चीन के उकसावे से कैसे निपट रही है सरकार?

    NDTV ने इस साल जनवरी में एक रिपोर्ट दिखाई थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के अंदर करीब सौ घरों एक गांव बसा लिया है. हमारे सहयोगी विष्णु सोम की नई रिपोर्ट के अनुसार चीन ने अरुणाचल प्रदेश में ही एक अलग जगह पर एक और गांव बसा लिया है.

  • क्या गरीब की ही कटेगी जेब, उद्योगपति बस रियायत लेंगे...?

    क्या गरीब की ही कटेगी जेब, उद्योगपति बस रियायत लेंगे...?

    करोड़ों रुपये खर्च कर देश भर में लगे इस होर्डिंग ने जनता को ठीक से समझा दिया था कि टीका मुफ्त लगा है और इसके लिए धन्यवाद मोदी जी कहना है तभी पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने याद दिला दिया कि यह इतना भी मुफ्त नहीं है. पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स इसलिए अधिक है क्योंकि टीका मुफ्त है. अनाज मुफ्त है.

  • आर्यन ख़ान की ज़मानत और कानून के सवाल

    आर्यन ख़ान की ज़मानत और कानून के सवाल

    बीस हज़ार करोड़ का 3000 किलोग्राम ड्रग्स पकड़ा गया. उसे लेकर कितना कम कवरेज़ हुआ, छह ग्राम चरस पकड़ा गया उसे लेकर जो कवरेज़ हो रहा है, पता चलता है कि बीस हज़ार करोड़ से ज़्यादा शाहरुख़ ख़ान की कितनी वैल्यू है और उस जनता की कितनी कम वैल्यू हो गई है जो आराम से 117 रुपया पेट्रोल भरा रही है जो कभी 65 रुपया लीटर होने पर आंदोलन करती थी.

  • सम्मान से समन धरिए जी, आशीष के पिता हैं मंत्री जी

    सम्मान से समन धरिए जी, आशीष के पिता हैं मंत्री जी

    विपक्ष के नेताओं को बिना किसी लिखित आदेश के हिरासत में लेने वाली यूपी पुलिस ने एक मंत्री के बेटे के प्रति जो समन का सम्मान दिखाया है, उसकी सराहना की जानी चाहिए क्योंकि आलोचना से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है.

'Ravish Kumar Blog Ndtv' - 91 News Result(s)
  • रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    इतनी बड़ी कंपनी किसे पैसा खिला रही थी, जो खा रहा था, वो ख़ुद खा रहा था या आगे भी किसी को खिला रहा था, उसने और किस-किस से पैसे खाए होंगे, इतने सारे सवाल है कि दिमाग से पहले पेट खाली हो जाए.

  • नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    ज़ुबैर को अभी दिल्ली पुलिस के केस में बेल नहीं मिली है. उम्मीद है आपने गुरुवार का प्राइम टाइम देखा होगा, ज़ुबैर गिरफ्तार है और रोहित फरार है. NDTV इंडिया के यू टयूब चैनल पर इस हफ्ते का पांचों प्राइम टाइम देखिएगा.

  • बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    जिस बुलडोज़र से आपका बच्चा खेलता है उसी से सत्ता खेल रही है और अब आप खेल रहे हैं. बहुमत को एकतरफा जमा कर गरीबों के घरों और दुकानों पर हमले हो रहे हैं.

  • नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.

  • 8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?

  • जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    हज़ार दुखों से गुज़र रही भारत की पत्रकारिता का दुख आज हज़ार गुना गहरा लग रहा है. जिस पेश को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया है. कमाल ख़ान हमारे बीच नहीं हैं. हम देश और दुनिया भर से आ रही श्रद्धांजलियों को भरे मन से स्वीकार कर रहे हैं. आप सबकी संवेदनाएं बता रही हैं कि आपके जीवन में कमाल ख़ान किस तरीके से रचे बचे हुए थे. कमाल साहब की पत्नी रुचि और उनके बेटे अमान इस ग़म से कभी उबर तो नहीं पाएंगे लेकिन जब कभी आपके प्यार और आपकी संवेदनाओं की तरफ उनकी नज़र जाएगी, उन्हें आगे की ज़िंदगी का सफर तय करने का हौसला देगी. उन्हें ग़म से उबरने का सहारा मिलेगा कि कमाल ख़ान ने टीवी की पत्रकारिता को कितनी शिद्दत से सींचा था. एनडीटीवी से तीस साल से जुड़े थे. एक ऐसे काबिल हमसफर साथी को अलविदा कहना थोड़ा थोड़ा ख़ुद को भी अलविदा कहना है. 

  • तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    कमाल खान के बारे में मैं रात तक बोल सकता हूं. जितनी शिद्दत से और समझदारी से उन्‍होंने अयोध्‍या की रिपोर्टिंग की है पिछले 20-25 साल में तो सब जाकर देखने लायक है कि वे किस तरह के हिंदुस्‍तान के बारे में आवाज दे रहे थे.

  • अब कोई दूसरा कमाल ख़ान नहीं होगा

    अब कोई दूसरा कमाल ख़ान नहीं होगा

    वे अक्खड़ भी थे क्योंकि अनुशासित थे. इसलिए ना कह देते थे. वे हर बात में हां कहने वाले रिपोर्टर नहीं है. कमाल ख़ान का हां कह देने का मतलब था कि न्यूज़ रूम में किसी ने राहत की सांस ली है. वे नाजायज़ या ज़िद से ना नहीं कहते थे बल्कि किसी स्टोरी को न कहने के पीछे के कारण को विस्तार से समझाते थे.

  • UP के चुनावी धर्मक्षेत्र में नौकरी का मुद्दा, नफरती राजनीति की चपेट में युवा

    UP के चुनावी धर्मक्षेत्र में नौकरी का मुद्दा, नफरती राजनीति की चपेट में युवा

    भारत में महंगाई के सपोर्टर की तरह क्या बेरोज़गारी के भी सपोर्टर हैं? जब भी लाखों की संख्या में नौजवान सरकारी भर्ती की परीक्षा को लेकर बीजेपी से लेकर कांग्रेस की सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कोसने वाले आ जाते हैं कि सरकार कितनों को नौकरी देगी, अपना बिजनेस क्यों नहीं करते.

  • एक शिष्य की गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि‍...

    एक शिष्य की गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि‍...

    दुआ सर, आज आप नहीं हैं मगर आप का नाम देश के टेलीविजन इतिहास में लिखा जाएगा. जो सफर 'जनवाणी' से शुरू हुआ वो जारी रहेगा. सवाल तो पूछना ही है, आपके शिष्य होने के नाते हम ये करते रहेंगे.

  • टीवी पत्रकारिता का एक शानदार पन्ना आज अलग हो गया...

    टीवी पत्रकारिता का एक शानदार पन्ना आज अलग हो गया...

    भारत की टेलीविज़न पत्रकारिता में सवाल पूछने की यात्रा की पहचान विनोद दुआ से बनती है. पूछने की पहचान के साथ उनकी पत्रकारिता जीवन भर जुड़ी रही. आज हमें बताते हुए अच्छा नहीं लग रहा कि हमने भारतीय टेलिविज़न की एक शानदार हस्ती को खो दिया.

  • चीन के उकसावे से कैसे निपट रही है सरकार?

    चीन के उकसावे से कैसे निपट रही है सरकार?

    NDTV ने इस साल जनवरी में एक रिपोर्ट दिखाई थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के अंदर करीब सौ घरों एक गांव बसा लिया है. हमारे सहयोगी विष्णु सोम की नई रिपोर्ट के अनुसार चीन ने अरुणाचल प्रदेश में ही एक अलग जगह पर एक और गांव बसा लिया है.

  • क्या गरीब की ही कटेगी जेब, उद्योगपति बस रियायत लेंगे...?

    क्या गरीब की ही कटेगी जेब, उद्योगपति बस रियायत लेंगे...?

    करोड़ों रुपये खर्च कर देश भर में लगे इस होर्डिंग ने जनता को ठीक से समझा दिया था कि टीका मुफ्त लगा है और इसके लिए धन्यवाद मोदी जी कहना है तभी पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने याद दिला दिया कि यह इतना भी मुफ्त नहीं है. पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स इसलिए अधिक है क्योंकि टीका मुफ्त है. अनाज मुफ्त है.

  • आर्यन ख़ान की ज़मानत और कानून के सवाल

    आर्यन ख़ान की ज़मानत और कानून के सवाल

    बीस हज़ार करोड़ का 3000 किलोग्राम ड्रग्स पकड़ा गया. उसे लेकर कितना कम कवरेज़ हुआ, छह ग्राम चरस पकड़ा गया उसे लेकर जो कवरेज़ हो रहा है, पता चलता है कि बीस हज़ार करोड़ से ज़्यादा शाहरुख़ ख़ान की कितनी वैल्यू है और उस जनता की कितनी कम वैल्यू हो गई है जो आराम से 117 रुपया पेट्रोल भरा रही है जो कभी 65 रुपया लीटर होने पर आंदोलन करती थी.

  • सम्मान से समन धरिए जी, आशीष के पिता हैं मंत्री जी

    सम्मान से समन धरिए जी, आशीष के पिता हैं मंत्री जी

    विपक्ष के नेताओं को बिना किसी लिखित आदेश के हिरासत में लेने वाली यूपी पुलिस ने एक मंत्री के बेटे के प्रति जो समन का सम्मान दिखाया है, उसकी सराहना की जानी चाहिए क्योंकि आलोचना से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है.