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Manish Kumar Blog

'Manish Kumar Blog' - 112 News Result(s)
  • क्या छापे के बाद मनीष सिसोदिया गिरफ्तार होंगे? AAP और भाजपा में मचा घमासान

    क्या छापे के बाद मनीष सिसोदिया गिरफ्तार होंगे? AAP और भाजपा में मचा घमासान

    न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट छपी है अंग्रेज़ी में और इस रिपोर्ट को लेकर राजनीति शुरू हो गई हिन्दी में. क्या इस रिपोर्ट के ज़रिए सीबीआई रेड पर हमला करने की नीति का असर बीजेपी की रणनीति पर हो गया?

  • कुर्सी बचाने के चक्कर में क्या अपनी राजनीतिक साख पर बट्टा लगा रहे हैं नीतीश कुमार?

    कुर्सी बचाने के चक्कर में क्या अपनी राजनीतिक साख पर बट्टा लगा रहे हैं नीतीश कुमार?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन की राजनीति और विधानसभा के अंदर अपने फैसलों के कारण आजकल चर्चा में हैं. नीतीश शायद देश के ऐसे गिने चुने नेताओं में से होंगे जिन्होंने अपने सहयोगी से रूठकर, सहयोगियों के साथ जहां संयुक्त विधायक दल की बैठक ना बुलाने की ज़रूरत समझी, बल्कि मंगलवार को तो विधानसभा अध्यक्ष से रूठकर अपनी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के साथ सदन में अनुपस्थित रहे. जबकि इसी मानसून सत्र के लिए जनता दल विधायक दल की बैठक में उन्होंने न केवल उपस्थिति बल्कि सतर्क और मुस्तैद रहने का मंत्र दिया था, जो कि अख़बारों में छपा भी था. 

  • 'अग्निपथ' ने नीतीश और उनके सुशासन की पोल खोलकर कैसे रख दी...

    'अग्निपथ' ने नीतीश और उनके सुशासन की पोल खोलकर कैसे रख दी...

    भाजपा नेताओं के अनुसार नीतीश कितनी भी शिष्टाचार की बात कर लें, लेकिन उनमें इतना दंभ भरा है कि वो अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते. फिलहाल नीतीश को साथ रखना इन अपमानजनक घटनाओं के बाद भी भाजपा की मजबूरी है और इस कड़वे सत्य के सामने सब चुप हो जाते हैं.

  • नीतीश कुमार का शासन इतना लुंजपुंज क्यों है ?

    नीतीश कुमार का शासन इतना लुंजपुंज क्यों है ?

    नीतीश के शराबबंदी का सच यह है कि सर्वोच्च न्यायालय बार-बार उनके क़ानून पर असंतोष ज़ाहिर कर चुका है. इसको विफल कराने में जो माफिया सक्रिय हैं उसमें पुलिस की भी सक्रिय भूमिका भी किसी से छिपी नहीं है और उसके मुखिया पिछले सोलह वर्षों से अधिक समय से नीतीश कुमार खुद हैं.

  • बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया के सवालों से क्यों भाग रहे?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया के सवालों से क्यों भाग रहे?

    नीतीश मीडिया के सवालों से भाग रहे हैं तो उन्होंने अपने ब्रांड नीतीश या सुशासन बाबू की इमेज को खुद से मिट्टी में मिला रहे हैं, वो एक तरह से मान रहे हैं कि जिन अंतर्विरोधों के बीच वो आज सरकार चला रहे हैं उसके बाद उनके पास जवाब देने को तर्क नहीं हैं.

  • नीतीश कुमार CM रहेंगे या नहीं, BJP में इस पर एक राय क्यों नहीं?

    नीतीश कुमार CM रहेंगे या नहीं, BJP में इस पर एक राय क्यों नहीं?

    भाजपा नेता ये भी तर्क देते हैं कि नीतीश अगर कुर्सी पर ना रहे तो उनके विधायकों में भी असंतोष बढ़ेगा और उनका दोतरफा विभाजन होगा. एक भाजपा की तरफ़ और दूसरा राजद के पक्ष में हो सकता है.

  • लुधियाना से लखनऊ तक, नीतीश कुमार का सफ़र क्यों उनके राजनीतिक पतन की कहानी बयां करता है...

    लुधियाना से लखनऊ तक, नीतीश कुमार का सफ़र क्यों उनके राजनीतिक पतन की कहानी बयां करता है...

    नीतीश को इस बात का आभास है कि भाजपा देर सवेर उनका वही हश्र करेगी जो यूपी की राजनीति में बसपा का हुआ. नीतीश के समर्थकों की शिकायत या रोना है कि उनके नेता जिन चीज़ों के लिए भारतीय राजनीति में जाने जाते थे जैसे एक अच्छे वक्ता के रूप में, सुशासन बाबू के तौर पर वो सब अब खोते जा रहे हैं.

  • नीतीश कुमार, इतना कमज़ोर कैसे हुए और कितना कमज़ोर होंगे

    नीतीश कुमार, इतना कमज़ोर कैसे हुए और कितना कमज़ोर होंगे

    भाजपा और जनता दल यूनाइटेड दोनों के नेता मानते हैं कि फ़िलहाल नीतीश की कुर्सी को कोई ख़तरा नहीं क्योंकि भाजपा अगले लोक सभा चुनाव तक साथ रखेगी और तब तक नीतीश का राजनीतिक रूप से इतना कमजोर करने के अपने लक्ष्य में कामयाब रहेगी

  • समाज सुधारक बनने के चक्कर में नीतीश कुमार ने अपनी छवि को ही धक्का पहुंचाया

    समाज सुधारक बनने के चक्कर में नीतीश कुमार ने अपनी छवि को ही धक्का पहुंचाया

    बिहार में शराबबंदी सफल नहीं हुई तो नीतीश के ऊपर ही इसकी ज़िम्मेवारी इसलिए बनती है क्योंकि चाहे नालंदा में उनकी पार्टी के नेताओं की गिरफ़्तारी का मामला रहा हो या उनके मंत्रिमंडल सहयोगी रामसूरत राय के भाई के विद्यालय से शराब की ज़ब्ती का, नीतीश की कथनी और करनी में उन जगहों पर फ़र्क साफ दिखता रहा.

  • मनीष में मोइनुल, मोइनुल में मनीष; क्या दिखता है आपको?

    मनीष में मोइनुल, मोइनुल में मनीष; क्या दिखता है आपको?

    सूचनाओं की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी है कि किसी मुद्दे पर बात करना और बात नहीं करना दोनों ही बराबर हो चुका है. एक बदलाव और हुआ है. राज्य की सत्ता की तरफ से और उसकी ख़ुशामद में ऐसी सूचनाएं पैदा की जा रही हैं जो दरअसल सूचनाएं हैं ही नहीं. जिनका काम ज़रूरी मुद्दों से जुड़ी सूचनाओं पर पर्दा डालना है. ठीक उसी तरह से जब ट्रंप अहमदाबाद आए तो सड़क किनारे की बस्ती की ग़रीबी न दिख जाए इसके लिए दीवार बना दी गई. उस दीवार को रंग दिया गया. यही काम न्यूज़ चैनल और अख़बार करते हैं. आपकी गरीबी बेकारी, स्वास्थ्य पर बात न करके, फालतू टाइप के विषय की दीवार खड़ी कर देते हैं और आपको ट्रंप की तरह सूचनाओं के नए और झूठे एक्सप्रेस वे से गुज़ारते हुए सीधे झूठ के स्टेडियम में ले जाते हैं. समाचार जगत के संपर्क में आएं तो समाचार के लिए नहीं आएं. समाचार तो बंद हो चुका है. प्रोपेगैंडा का खेल अगर नहीं समझेंगे तो जल्दी ही दो सौ रुपए लीटर पेट्रोल ख़रीदेंगे और बोल नहीं पाएंगे. 

  • चिराग पासवान : खुद को सियासत में सबसे होशियार समझने की भूल पड़ी भारी

    चिराग पासवान : खुद को सियासत में सबसे होशियार समझने की भूल पड़ी भारी

    नीतीश कुमार- जिन पर चिराग पासवान ने बिहार चुनाव के दौरान हर रैली में हमले किए-उन्होंने अपना बदला ले लिया है.हमेशा की तरह बीजेपी ने भी एक बड़ी बढ़त हासिल की है. उसके नेताओं का कहना है कि चिराग का कद छोटा होने के साथ पार्टी ने बिहार में पासवान समुदाय की 6 फीसदी आबादी को सीधे अपने पाले में लाने की कवायद तेज कर दी है. ऐसे में लंबे वक्त में पार्टी को ऐसे किसी सहयोगी की दरकार नहीं होगी, जो उस समुदाय का वोट उसके लिए जुटाए. 

  • प्रशांत किशोर के 'संन्यास की घोषणा' के बाद अब आगे क्या? नयी चुनौती के क्या होंगे मायने?

    प्रशांत किशोर के 'संन्यास की घोषणा' के बाद अब आगे क्या? नयी चुनौती के क्या होंगे मायने?

    2 मई को, जब पांच राज्यों के परिणाम घोषित किए गए, तो प्रशांत किशोर को न केवल बंगाल की जीत, बल्कि तमिलनाडु की जीत के लिए भी क्रेडिट मिला, जहां उन्होंने एमके स्टालिन के साथ काम किया था, जो 68 साल की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं. उनके करीबी सूत्र बताते हैं कि अभियान को अंजाम देना मुश्किल था क्योंकि प्रशांत किशोर ने खुद को बंगाल में ट्रांसप्लांट कर लिया था;

  • आप पसंद करें या नापसंद लेकिन देश की राजनीति में प्रशांत किशोर को नज़रअंदाज करना मुश्किल

    आप पसंद करें या नापसंद लेकिन देश की राजनीति में प्रशांत किशोर को नज़रअंदाज करना मुश्किल

    प्रशांत किशोर जिन्हें लोग PK के नाम से अधिक जानते या बुलाते हैं, ने बंगाल की जीत के बाद घोषणा कर दी है कि वे अब अपने वर्तमान काम को जारी नहीं रखना चाहते. लेकिन पीके के घोर विरोधी, जिनकी संख्या उनके चाहने वालों से कहीं अधिक हैं, की इस बात पर यही प्रतिक्रिया होती हैं कि आप पानी से मछली निकाल सकते हैं लेकिन राजनीति से प्रशांत का फ़ोकस शायद ख़त्म होने वाला नहीं.

  • बिहार में शराबबंदी के प्रति नीतीश कुमार की 'गंभीरता' कैसे मंत्री रामसूरत राय के कारण दांव पर लगी है?

    बिहार में शराबबंदी के प्रति नीतीश कुमार की 'गंभीरता' कैसे मंत्री रामसूरत राय के कारण दांव पर लगी है?

    बिहार में आप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थक हों या आलोचक, शराबबंदी के प्रति उनकी प्रतिबद्दता पर सवाल नहीं कर सकते. लेकिन उनके समर्थक हों या विरोधी वो साथ-साथ इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि शराबबंदी को लागू कराने में नीतीश सरकार विफल रही है जिसके कारण पूरे राज्य में एक समानांतर आर्थिक व्यवस्था कायम हुई है और जिसके सबसे अधिक लाभान्वित बिहार पुलिस के जवान, अधिकारी और अपराधी रहे हैं.

  • नीतीश कुमार को सोशल मीडिया पर गुस्सा क्यों आता है?

    नीतीश कुमार को सोशल मीडिया पर गुस्सा क्यों आता है?

    इन दिनों सब यही जानना चाहते हैं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आख़िर क्यों सोशल मीडिया (Social Media) पर नियंत्रण रखना चाहते हैं. इसका सीधा जवाब है कि  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोशल मीडिया से चिढ़ है. ये बात इसलिए किसी से छिपी नहीं क्योंकि वो चाहे राजनीतिक कार्यक्रम हो या सरकारी सब जगह वो अपनी सरकार की नकारात्मक छवि का ठीकरा सोशल मीडिया पर फ़ोड़ते हैं. लेकिन बृहस्पतिवार को जो उनके मातहत पुलिस विभाग ने एक आदेश जारी किया है उसके बाद उनकी आलोचना ना केवल विपक्ष कर रहा है बल्कि मीडिया में भी उनके इस फ़ैसले की भर्त्सना करने की होड़ सी लगी है.

'Manish Kumar Blog' - 112 News Result(s)
  • क्या छापे के बाद मनीष सिसोदिया गिरफ्तार होंगे? AAP और भाजपा में मचा घमासान

    क्या छापे के बाद मनीष सिसोदिया गिरफ्तार होंगे? AAP और भाजपा में मचा घमासान

    न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट छपी है अंग्रेज़ी में और इस रिपोर्ट को लेकर राजनीति शुरू हो गई हिन्दी में. क्या इस रिपोर्ट के ज़रिए सीबीआई रेड पर हमला करने की नीति का असर बीजेपी की रणनीति पर हो गया?

  • कुर्सी बचाने के चक्कर में क्या अपनी राजनीतिक साख पर बट्टा लगा रहे हैं नीतीश कुमार?

    कुर्सी बचाने के चक्कर में क्या अपनी राजनीतिक साख पर बट्टा लगा रहे हैं नीतीश कुमार?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन की राजनीति और विधानसभा के अंदर अपने फैसलों के कारण आजकल चर्चा में हैं. नीतीश शायद देश के ऐसे गिने चुने नेताओं में से होंगे जिन्होंने अपने सहयोगी से रूठकर, सहयोगियों के साथ जहां संयुक्त विधायक दल की बैठक ना बुलाने की ज़रूरत समझी, बल्कि मंगलवार को तो विधानसभा अध्यक्ष से रूठकर अपनी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के साथ सदन में अनुपस्थित रहे. जबकि इसी मानसून सत्र के लिए जनता दल विधायक दल की बैठक में उन्होंने न केवल उपस्थिति बल्कि सतर्क और मुस्तैद रहने का मंत्र दिया था, जो कि अख़बारों में छपा भी था. 

  • 'अग्निपथ' ने नीतीश और उनके सुशासन की पोल खोलकर कैसे रख दी...

    'अग्निपथ' ने नीतीश और उनके सुशासन की पोल खोलकर कैसे रख दी...

    भाजपा नेताओं के अनुसार नीतीश कितनी भी शिष्टाचार की बात कर लें, लेकिन उनमें इतना दंभ भरा है कि वो अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते. फिलहाल नीतीश को साथ रखना इन अपमानजनक घटनाओं के बाद भी भाजपा की मजबूरी है और इस कड़वे सत्य के सामने सब चुप हो जाते हैं.

  • नीतीश कुमार का शासन इतना लुंजपुंज क्यों है ?

    नीतीश कुमार का शासन इतना लुंजपुंज क्यों है ?

    नीतीश के शराबबंदी का सच यह है कि सर्वोच्च न्यायालय बार-बार उनके क़ानून पर असंतोष ज़ाहिर कर चुका है. इसको विफल कराने में जो माफिया सक्रिय हैं उसमें पुलिस की भी सक्रिय भूमिका भी किसी से छिपी नहीं है और उसके मुखिया पिछले सोलह वर्षों से अधिक समय से नीतीश कुमार खुद हैं.

  • बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया के सवालों से क्यों भाग रहे?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया के सवालों से क्यों भाग रहे?

    नीतीश मीडिया के सवालों से भाग रहे हैं तो उन्होंने अपने ब्रांड नीतीश या सुशासन बाबू की इमेज को खुद से मिट्टी में मिला रहे हैं, वो एक तरह से मान रहे हैं कि जिन अंतर्विरोधों के बीच वो आज सरकार चला रहे हैं उसके बाद उनके पास जवाब देने को तर्क नहीं हैं.

  • नीतीश कुमार CM रहेंगे या नहीं, BJP में इस पर एक राय क्यों नहीं?

    नीतीश कुमार CM रहेंगे या नहीं, BJP में इस पर एक राय क्यों नहीं?

    भाजपा नेता ये भी तर्क देते हैं कि नीतीश अगर कुर्सी पर ना रहे तो उनके विधायकों में भी असंतोष बढ़ेगा और उनका दोतरफा विभाजन होगा. एक भाजपा की तरफ़ और दूसरा राजद के पक्ष में हो सकता है.

  • लुधियाना से लखनऊ तक, नीतीश कुमार का सफ़र क्यों उनके राजनीतिक पतन की कहानी बयां करता है...

    लुधियाना से लखनऊ तक, नीतीश कुमार का सफ़र क्यों उनके राजनीतिक पतन की कहानी बयां करता है...

    नीतीश को इस बात का आभास है कि भाजपा देर सवेर उनका वही हश्र करेगी जो यूपी की राजनीति में बसपा का हुआ. नीतीश के समर्थकों की शिकायत या रोना है कि उनके नेता जिन चीज़ों के लिए भारतीय राजनीति में जाने जाते थे जैसे एक अच्छे वक्ता के रूप में, सुशासन बाबू के तौर पर वो सब अब खोते जा रहे हैं.

  • नीतीश कुमार, इतना कमज़ोर कैसे हुए और कितना कमज़ोर होंगे

    नीतीश कुमार, इतना कमज़ोर कैसे हुए और कितना कमज़ोर होंगे

    भाजपा और जनता दल यूनाइटेड दोनों के नेता मानते हैं कि फ़िलहाल नीतीश की कुर्सी को कोई ख़तरा नहीं क्योंकि भाजपा अगले लोक सभा चुनाव तक साथ रखेगी और तब तक नीतीश का राजनीतिक रूप से इतना कमजोर करने के अपने लक्ष्य में कामयाब रहेगी

  • समाज सुधारक बनने के चक्कर में नीतीश कुमार ने अपनी छवि को ही धक्का पहुंचाया

    समाज सुधारक बनने के चक्कर में नीतीश कुमार ने अपनी छवि को ही धक्का पहुंचाया

    बिहार में शराबबंदी सफल नहीं हुई तो नीतीश के ऊपर ही इसकी ज़िम्मेवारी इसलिए बनती है क्योंकि चाहे नालंदा में उनकी पार्टी के नेताओं की गिरफ़्तारी का मामला रहा हो या उनके मंत्रिमंडल सहयोगी रामसूरत राय के भाई के विद्यालय से शराब की ज़ब्ती का, नीतीश की कथनी और करनी में उन जगहों पर फ़र्क साफ दिखता रहा.

  • मनीष में मोइनुल, मोइनुल में मनीष; क्या दिखता है आपको?

    मनीष में मोइनुल, मोइनुल में मनीष; क्या दिखता है आपको?

    सूचनाओं की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी है कि किसी मुद्दे पर बात करना और बात नहीं करना दोनों ही बराबर हो चुका है. एक बदलाव और हुआ है. राज्य की सत्ता की तरफ से और उसकी ख़ुशामद में ऐसी सूचनाएं पैदा की जा रही हैं जो दरअसल सूचनाएं हैं ही नहीं. जिनका काम ज़रूरी मुद्दों से जुड़ी सूचनाओं पर पर्दा डालना है. ठीक उसी तरह से जब ट्रंप अहमदाबाद आए तो सड़क किनारे की बस्ती की ग़रीबी न दिख जाए इसके लिए दीवार बना दी गई. उस दीवार को रंग दिया गया. यही काम न्यूज़ चैनल और अख़बार करते हैं. आपकी गरीबी बेकारी, स्वास्थ्य पर बात न करके, फालतू टाइप के विषय की दीवार खड़ी कर देते हैं और आपको ट्रंप की तरह सूचनाओं के नए और झूठे एक्सप्रेस वे से गुज़ारते हुए सीधे झूठ के स्टेडियम में ले जाते हैं. समाचार जगत के संपर्क में आएं तो समाचार के लिए नहीं आएं. समाचार तो बंद हो चुका है. प्रोपेगैंडा का खेल अगर नहीं समझेंगे तो जल्दी ही दो सौ रुपए लीटर पेट्रोल ख़रीदेंगे और बोल नहीं पाएंगे. 

  • चिराग पासवान : खुद को सियासत में सबसे होशियार समझने की भूल पड़ी भारी

    चिराग पासवान : खुद को सियासत में सबसे होशियार समझने की भूल पड़ी भारी

    नीतीश कुमार- जिन पर चिराग पासवान ने बिहार चुनाव के दौरान हर रैली में हमले किए-उन्होंने अपना बदला ले लिया है.हमेशा की तरह बीजेपी ने भी एक बड़ी बढ़त हासिल की है. उसके नेताओं का कहना है कि चिराग का कद छोटा होने के साथ पार्टी ने बिहार में पासवान समुदाय की 6 फीसदी आबादी को सीधे अपने पाले में लाने की कवायद तेज कर दी है. ऐसे में लंबे वक्त में पार्टी को ऐसे किसी सहयोगी की दरकार नहीं होगी, जो उस समुदाय का वोट उसके लिए जुटाए. 

  • प्रशांत किशोर के 'संन्यास की घोषणा' के बाद अब आगे क्या? नयी चुनौती के क्या होंगे मायने?

    प्रशांत किशोर के 'संन्यास की घोषणा' के बाद अब आगे क्या? नयी चुनौती के क्या होंगे मायने?

    2 मई को, जब पांच राज्यों के परिणाम घोषित किए गए, तो प्रशांत किशोर को न केवल बंगाल की जीत, बल्कि तमिलनाडु की जीत के लिए भी क्रेडिट मिला, जहां उन्होंने एमके स्टालिन के साथ काम किया था, जो 68 साल की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं. उनके करीबी सूत्र बताते हैं कि अभियान को अंजाम देना मुश्किल था क्योंकि प्रशांत किशोर ने खुद को बंगाल में ट्रांसप्लांट कर लिया था;

  • आप पसंद करें या नापसंद लेकिन देश की राजनीति में प्रशांत किशोर को नज़रअंदाज करना मुश्किल

    आप पसंद करें या नापसंद लेकिन देश की राजनीति में प्रशांत किशोर को नज़रअंदाज करना मुश्किल

    प्रशांत किशोर जिन्हें लोग PK के नाम से अधिक जानते या बुलाते हैं, ने बंगाल की जीत के बाद घोषणा कर दी है कि वे अब अपने वर्तमान काम को जारी नहीं रखना चाहते. लेकिन पीके के घोर विरोधी, जिनकी संख्या उनके चाहने वालों से कहीं अधिक हैं, की इस बात पर यही प्रतिक्रिया होती हैं कि आप पानी से मछली निकाल सकते हैं लेकिन राजनीति से प्रशांत का फ़ोकस शायद ख़त्म होने वाला नहीं.

  • बिहार में शराबबंदी के प्रति नीतीश कुमार की 'गंभीरता' कैसे मंत्री रामसूरत राय के कारण दांव पर लगी है?

    बिहार में शराबबंदी के प्रति नीतीश कुमार की 'गंभीरता' कैसे मंत्री रामसूरत राय के कारण दांव पर लगी है?

    बिहार में आप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थक हों या आलोचक, शराबबंदी के प्रति उनकी प्रतिबद्दता पर सवाल नहीं कर सकते. लेकिन उनके समर्थक हों या विरोधी वो साथ-साथ इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि शराबबंदी को लागू कराने में नीतीश सरकार विफल रही है जिसके कारण पूरे राज्य में एक समानांतर आर्थिक व्यवस्था कायम हुई है और जिसके सबसे अधिक लाभान्वित बिहार पुलिस के जवान, अधिकारी और अपराधी रहे हैं.

  • नीतीश कुमार को सोशल मीडिया पर गुस्सा क्यों आता है?

    नीतीश कुमार को सोशल मीडिया पर गुस्सा क्यों आता है?

    इन दिनों सब यही जानना चाहते हैं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आख़िर क्यों सोशल मीडिया (Social Media) पर नियंत्रण रखना चाहते हैं. इसका सीधा जवाब है कि  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोशल मीडिया से चिढ़ है. ये बात इसलिए किसी से छिपी नहीं क्योंकि वो चाहे राजनीतिक कार्यक्रम हो या सरकारी सब जगह वो अपनी सरकार की नकारात्मक छवि का ठीकरा सोशल मीडिया पर फ़ोड़ते हैं. लेकिन बृहस्पतिवार को जो उनके मातहत पुलिस विभाग ने एक आदेश जारी किया है उसके बाद उनकी आलोचना ना केवल विपक्ष कर रहा है बल्कि मीडिया में भी उनके इस फ़ैसले की भर्त्सना करने की होड़ सी लगी है.