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Blog On Congress

'Blog On Congress' - 17 News Result(s)
  • ‘रेवड़ी राजनीति’ की गिरफ्त में क्यों हैं वोटर, किस पार्टी का होगा बेड़ा पार?

    ‘रेवड़ी राजनीति’ की गिरफ्त में क्यों हैं वोटर, किस पार्टी का होगा बेड़ा पार?

    इस बार के विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में वोटरों को लुभाने के लिए घोषणाओं की बरसात हो गई है. सारी पार्टी की घोषणाओं का लब्बोलुआब है, किसान की कर्ज माफी, धान और गेहूं की खरीदारी की कीमत बढ़ाना, सस्ता सिलेंडर, मुफ्त बिजली, किसान सम्मान निधि बढ़ाने, मुफ्त राशन बढ़ाने का है.

  • कर्नाटक के नतीजे AAP के लिए बुरी खबर क्यों?

    कर्नाटक के नतीजे AAP के लिए बुरी खबर क्यों?

    आम आदमी पार्टी के दो वरिष्ठ मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जाने के बाद पार्टी कमजोर पड़ी है. पार्टी की छवि को गहरा धक्का पहुंचा है.

  • लेकिन यह जीत अभी अधूरी है

    लेकिन यह जीत अभी अधूरी है

    यह सच है कि दिल्ली के नागरिकों ने ध्रुवीकरण की राजनीति को नकार दिया है. लेकिन यह इतना सपाट मामला नहीं है. नागरिकों के फ़ैसले के पीछे और भी वजहें हो सकती हैं. आम आदमी पार्टी का दावा है कि उसके काम की वजह से उसे वोट मिले. बहुत दूर तक यह बात सही लगती है. मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं के लिए मुफ़्त यात्रा और स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों की सुविधा इस महानगर के ग़रीब और निम्नमध्यवर्गीय लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं रही. हालांकि सांप्रदायिकता ऐसी अंधी होती है कि उसे कई बार कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है.

  • राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के बयान को मामूली बताने के लिए अभी तक कुछ अख़बारों में विज्ञापन दे देना था जैसे टेक्सटाइल वालों ने विज्ञापन देकर बताया था कि कैसे उनका सेक्टर बर्बाद हो गया है. तुरंत बयान दें कि सब ठीक है और भारत सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाला देश है. जब आपकी कार की स्पीड साठ से उतर कर बीस पर आती है तब आपको पता चलता है कि कार सुपर स्पीड से चल रही है.

  • राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास कोई 'प्लान बी' नहीं...

    राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास कोई 'प्लान बी' नहीं...

    एक ओर राहुल गांधी ने जहां अपने फैसलों पर अडिग रहकर राजनीति में अपनी विश्‍वसनीयता को बनाए रखा, तो वहीं दूसरी ओर उनके इस दृढ़ निश्‍चय ने उनकी ही पार्टी की 'दयनीय' हालत की तरफ सबका ध्‍यान खींचा है.

  • राहुल गांधी को क्यों इस्तीफ़ा देना चाहिए...?

    राहुल गांधी को क्यों इस्तीफ़ा देना चाहिए...?

    यह सच है कि 2014 और 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुए हैं. नरेंद्र मोदी और BJP की ऐतिहासिक जीत के आईने में यह हार कुछ और बड़ी और दुखी करने वाली लगती है. लेकिन अतीत में देखें तो ऐसे इकतरफ़ा परिणाम और अनुमान कांग्रेस और BJP दोनों के हक़ में आते रहे हैं और दोनों को हंसाते-रुलाते रहे हैं. 1984 में जब राजीव गांधी को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं और अटल-आडवाणी को महज 2, तब भी कुछ लोगों को लगा था कि अब तो BJP का सफ़ाया हो गया. लेकिन 1989 आते-आते BJP वीपी सिंह की सत्ता का एक पाया बनी हुई थी.

  • ब्लॉग: कांग्रेस के नेता चुनाव क्षेत्र को अपनी संपत्ति न मानें, यह लोगों की संपत्ति है

    ब्लॉग: कांग्रेस के नेता चुनाव क्षेत्र को अपनी संपत्ति न मानें, यह लोगों की संपत्ति है

    ऑस्ट्रेलिया टीम इसीलिए अच्छा प्रदर्शन करती है. भारत की राजनीति में भी यह फार्मूला लागू होना चाहिए. फॉर्म में जो नेता नहीं हैं उनके जगह नए नेताओं को टिकट देना चाहिए. यह जो पुराने नेता है उन्हें टेनिस की तरह नॉन प्लेइंग कप्तान बना देना चाहिए जो बाहर बैठकर सलाह देते रहे.

  • क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    2019 का जनादेश मेरे ख़िलाफ कैसे आ गया? मैंने जो पांच साल में लिखा बोला है क्या वह भी दांव पर लगा था? जिन लाखों लोगों की पीड़ा हमने दिखाई क्या वह ग़लत थी? मुझे पता था कि नौजवान, किसान और बैंकों में गुलाम की तरह काम करने वाले लोग भाजपा के समर्थक हैं. उन्होंने भी मुझसे कभी झूठ नहीं बोला. सबने पहले या बाद में यही बोला कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. मैंने इस आधार पर उनकी समस्या को खारिज नहीं किया कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. बल्कि उनकी समस्या वास्तविक थी इसलिए दिखाई. आज एक सांसद नहीं कह सकता कि उसने पचास हज़ार से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र दिलवाया है. मेरी नौकरी सीरीज़ के कारण दिल्ली से लेकर बिहार तक में लोगों को नियुक्ति पत्र मिला है. कई परीक्षाओं के रिज़ल्ट निकले. उनमें से बहुतों ने नियुक्ति पत्र मिलने पर माफी मांगी की वे मुझे गालियां देते थे. मेरे पास सैंकड़ों पत्र और मैसेज के स्क्रीन शॉट पड़े हैं जिनमें लोगों ने नियुक्ति पत्र मिलने के बाद गाली देने के लिए माफी मांगी है. इनमें से एक भी यह प्रमाण नहीं दे सकता कि मैंने कभी कहा हो कि नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देना. यह ज़रूर कहा कि वोट अपने मन से दें, वोट देने के बाद नागरिक बन जाना.

  • कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर रवीश कुमार का विश्‍लेषण

    कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर रवीश कुमार का विश्‍लेषण

    100 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में कुल संपत्तियों का 70 फीसदी एक प्रतिशत आबादी के बाद चला गया है. इस एक प्रतिशत ने सुधार के नाम पर राज्य के पास जमा संसाधनों को अपने हित में बटोरा है. आज प्राइवेट जॉब की स्थिति पर चर्चा छेड़ दीजिए, दुखों का आसमान फट पड़ेगा, आप संभाल नहीं पाएंगे. हम आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. हमें राज्य के संसाधन, क्षमता और कारपोरेट के अनुभवों का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए. एक की कीमत पर उसे ध्वस्त करते हुए कारपोरेट का पेट भरने से व्यापक आबादी का भला नहीं हुआ.

  • PM मोदी ने साधा कांग्रेस पर निशाना- ‘खाता न बही, जो कांग्रेस कहे, वही सही’

    PM मोदी ने साधा कांग्रेस पर निशाना- ‘खाता न बही, जो कांग्रेस कहे, वही सही’

    पीएम मोदी ने लिखा है, 'कांग्रेस हमेशा से रक्षा क्षेत्र को कमाई के एक स्रोत के रूप में देखती आई है. यही कारण है कि हमारे सशस्त्र बलों को कभी भी कांग्रेस से वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. 1947 के बाद से ही, कांग्रेस की हर सरकार में तरह-तरह के रक्षा घोटाले होते रहे. घोटालों की इनकी शुरुआत जीप से हुई थी, जो तोप, पनडुब्बी और हेलिकॉप्टर तक पहुंच गई. इनमें हर बिचौलिया एक खास परिवार से जुड़ा रहा है.'

  • चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    मनमोहन सिंह ने ऐसा किया होता तो भाजपा मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस हो रही होती कि जब हमारे जवान मारे जा रहे हैं तो हमारे प्रधानमंत्री शांति पुरस्कार ले रहे हैं. चैनल युद्ध का माहौल बनाकर कवियों से दरबार सजवा रहे हैं और प्रधानमंत्री हैं कि शांति पुरस्कार लेकर घर आ रहे हैं. कहां तो ज्योति बने ज्वाला की बात थी, मां कसम बदला लूंगा का उफ़ान था लेकिन अंत में कहानी राम-लखन की हो गई है. वन टू का फोर वाली. मोदी को पता है.

  • राहुल की सबसे बड़ी चुनौती तो कांग्रेस के अंदर ही है!

    राहुल की सबसे बड़ी चुनौती तो कांग्रेस के अंदर ही है!

    इस बात को बहुत साफ़ ढंग से कहा जाना चाहिए कि राजनीति में शालीनता का न्यूनतम निर्वाह ज़रूरी है. सिर्फ़ शराफ़त के तक़ाज़े से नहीं- हालांकि यह तक़ाज़ा भी ज़रूरी है- रणनीति के लिहाज से भी. क्योंकि जब आप किसी के लिए अवज्ञा भरे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो उससे पहले आपके बारे में राय ख़राब होती है.

  • क्या लोकसभा में कांग्रेस फिर लहराएगी प्लेकार्ड?

    क्या लोकसभा में कांग्रेस फिर लहराएगी प्लेकार्ड?

    कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन के पांच दिन पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही सोमवार को कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष लोकसभा का बहिष्कार ख़त्म कर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस के सांसद फिर वेल में जाकर प्लेकार्ड दिखाएंगे?

  • संसद में हंगामा है बरपा, लोकतंत्र पर काला धब्बा कब लगता है...

    संसद में हंगामा है बरपा, लोकतंत्र पर काला धब्बा कब लगता है...

    आपके दिमाग़ में उस वक्त क्या तस्वीर बनती है, जब नेता कहते हैं कि फलां कार्यवाही लोकतंत्र पर काला धब्बा है। लोकतंत्र का काला धब्बा किसे कहते हैं और यह कब और कैसे लगता है।

  • मनोरंजन भारती की कलम से : राहुल गांधी के अज्ञातवास की पहेली

    राहुल गांधी के देश लौटने के बाद सबसे बड़ी उत्सुकता इस बात पर है कि वो कहां थे। किस तरह कटा राहुल गांधी का अज्ञातवास, ठीक वैसे ही जैसे महाभारत में पांडवों के अज्ञातवास का पता किसी को नहीं चला था। मगर 21वीं सदी के इस इंटरनेट और स्मार्ट फोन युग में राहुल की एक भी तस्वीर तक नहीं आ पाई।

'Blog On Congress' - 17 News Result(s)
  • ‘रेवड़ी राजनीति’ की गिरफ्त में क्यों हैं वोटर, किस पार्टी का होगा बेड़ा पार?

    ‘रेवड़ी राजनीति’ की गिरफ्त में क्यों हैं वोटर, किस पार्टी का होगा बेड़ा पार?

    इस बार के विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में वोटरों को लुभाने के लिए घोषणाओं की बरसात हो गई है. सारी पार्टी की घोषणाओं का लब्बोलुआब है, किसान की कर्ज माफी, धान और गेहूं की खरीदारी की कीमत बढ़ाना, सस्ता सिलेंडर, मुफ्त बिजली, किसान सम्मान निधि बढ़ाने, मुफ्त राशन बढ़ाने का है.

  • कर्नाटक के नतीजे AAP के लिए बुरी खबर क्यों?

    कर्नाटक के नतीजे AAP के लिए बुरी खबर क्यों?

    आम आदमी पार्टी के दो वरिष्ठ मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जाने के बाद पार्टी कमजोर पड़ी है. पार्टी की छवि को गहरा धक्का पहुंचा है.

  • लेकिन यह जीत अभी अधूरी है

    लेकिन यह जीत अभी अधूरी है

    यह सच है कि दिल्ली के नागरिकों ने ध्रुवीकरण की राजनीति को नकार दिया है. लेकिन यह इतना सपाट मामला नहीं है. नागरिकों के फ़ैसले के पीछे और भी वजहें हो सकती हैं. आम आदमी पार्टी का दावा है कि उसके काम की वजह से उसे वोट मिले. बहुत दूर तक यह बात सही लगती है. मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं के लिए मुफ़्त यात्रा और स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों की सुविधा इस महानगर के ग़रीब और निम्नमध्यवर्गीय लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं रही. हालांकि सांप्रदायिकता ऐसी अंधी होती है कि उसे कई बार कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है.

  • राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के बयान को मामूली बताने के लिए अभी तक कुछ अख़बारों में विज्ञापन दे देना था जैसे टेक्सटाइल वालों ने विज्ञापन देकर बताया था कि कैसे उनका सेक्टर बर्बाद हो गया है. तुरंत बयान दें कि सब ठीक है और भारत सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाला देश है. जब आपकी कार की स्पीड साठ से उतर कर बीस पर आती है तब आपको पता चलता है कि कार सुपर स्पीड से चल रही है.

  • राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास कोई 'प्लान बी' नहीं...

    राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास कोई 'प्लान बी' नहीं...

    एक ओर राहुल गांधी ने जहां अपने फैसलों पर अडिग रहकर राजनीति में अपनी विश्‍वसनीयता को बनाए रखा, तो वहीं दूसरी ओर उनके इस दृढ़ निश्‍चय ने उनकी ही पार्टी की 'दयनीय' हालत की तरफ सबका ध्‍यान खींचा है.

  • राहुल गांधी को क्यों इस्तीफ़ा देना चाहिए...?

    राहुल गांधी को क्यों इस्तीफ़ा देना चाहिए...?

    यह सच है कि 2014 और 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुए हैं. नरेंद्र मोदी और BJP की ऐतिहासिक जीत के आईने में यह हार कुछ और बड़ी और दुखी करने वाली लगती है. लेकिन अतीत में देखें तो ऐसे इकतरफ़ा परिणाम और अनुमान कांग्रेस और BJP दोनों के हक़ में आते रहे हैं और दोनों को हंसाते-रुलाते रहे हैं. 1984 में जब राजीव गांधी को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं और अटल-आडवाणी को महज 2, तब भी कुछ लोगों को लगा था कि अब तो BJP का सफ़ाया हो गया. लेकिन 1989 आते-आते BJP वीपी सिंह की सत्ता का एक पाया बनी हुई थी.

  • ब्लॉग: कांग्रेस के नेता चुनाव क्षेत्र को अपनी संपत्ति न मानें, यह लोगों की संपत्ति है

    ब्लॉग: कांग्रेस के नेता चुनाव क्षेत्र को अपनी संपत्ति न मानें, यह लोगों की संपत्ति है

    ऑस्ट्रेलिया टीम इसीलिए अच्छा प्रदर्शन करती है. भारत की राजनीति में भी यह फार्मूला लागू होना चाहिए. फॉर्म में जो नेता नहीं हैं उनके जगह नए नेताओं को टिकट देना चाहिए. यह जो पुराने नेता है उन्हें टेनिस की तरह नॉन प्लेइंग कप्तान बना देना चाहिए जो बाहर बैठकर सलाह देते रहे.

  • क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    2019 का जनादेश मेरे ख़िलाफ कैसे आ गया? मैंने जो पांच साल में लिखा बोला है क्या वह भी दांव पर लगा था? जिन लाखों लोगों की पीड़ा हमने दिखाई क्या वह ग़लत थी? मुझे पता था कि नौजवान, किसान और बैंकों में गुलाम की तरह काम करने वाले लोग भाजपा के समर्थक हैं. उन्होंने भी मुझसे कभी झूठ नहीं बोला. सबने पहले या बाद में यही बोला कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. मैंने इस आधार पर उनकी समस्या को खारिज नहीं किया कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. बल्कि उनकी समस्या वास्तविक थी इसलिए दिखाई. आज एक सांसद नहीं कह सकता कि उसने पचास हज़ार से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र दिलवाया है. मेरी नौकरी सीरीज़ के कारण दिल्ली से लेकर बिहार तक में लोगों को नियुक्ति पत्र मिला है. कई परीक्षाओं के रिज़ल्ट निकले. उनमें से बहुतों ने नियुक्ति पत्र मिलने पर माफी मांगी की वे मुझे गालियां देते थे. मेरे पास सैंकड़ों पत्र और मैसेज के स्क्रीन शॉट पड़े हैं जिनमें लोगों ने नियुक्ति पत्र मिलने के बाद गाली देने के लिए माफी मांगी है. इनमें से एक भी यह प्रमाण नहीं दे सकता कि मैंने कभी कहा हो कि नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देना. यह ज़रूर कहा कि वोट अपने मन से दें, वोट देने के बाद नागरिक बन जाना.

  • कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर रवीश कुमार का विश्‍लेषण

    कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर रवीश कुमार का विश्‍लेषण

    100 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में कुल संपत्तियों का 70 फीसदी एक प्रतिशत आबादी के बाद चला गया है. इस एक प्रतिशत ने सुधार के नाम पर राज्य के पास जमा संसाधनों को अपने हित में बटोरा है. आज प्राइवेट जॉब की स्थिति पर चर्चा छेड़ दीजिए, दुखों का आसमान फट पड़ेगा, आप संभाल नहीं पाएंगे. हम आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. हमें राज्य के संसाधन, क्षमता और कारपोरेट के अनुभवों का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए. एक की कीमत पर उसे ध्वस्त करते हुए कारपोरेट का पेट भरने से व्यापक आबादी का भला नहीं हुआ.

  • PM मोदी ने साधा कांग्रेस पर निशाना- ‘खाता न बही, जो कांग्रेस कहे, वही सही’

    PM मोदी ने साधा कांग्रेस पर निशाना- ‘खाता न बही, जो कांग्रेस कहे, वही सही’

    पीएम मोदी ने लिखा है, 'कांग्रेस हमेशा से रक्षा क्षेत्र को कमाई के एक स्रोत के रूप में देखती आई है. यही कारण है कि हमारे सशस्त्र बलों को कभी भी कांग्रेस से वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. 1947 के बाद से ही, कांग्रेस की हर सरकार में तरह-तरह के रक्षा घोटाले होते रहे. घोटालों की इनकी शुरुआत जीप से हुई थी, जो तोप, पनडुब्बी और हेलिकॉप्टर तक पहुंच गई. इनमें हर बिचौलिया एक खास परिवार से जुड़ा रहा है.'

  • चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    मनमोहन सिंह ने ऐसा किया होता तो भाजपा मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस हो रही होती कि जब हमारे जवान मारे जा रहे हैं तो हमारे प्रधानमंत्री शांति पुरस्कार ले रहे हैं. चैनल युद्ध का माहौल बनाकर कवियों से दरबार सजवा रहे हैं और प्रधानमंत्री हैं कि शांति पुरस्कार लेकर घर आ रहे हैं. कहां तो ज्योति बने ज्वाला की बात थी, मां कसम बदला लूंगा का उफ़ान था लेकिन अंत में कहानी राम-लखन की हो गई है. वन टू का फोर वाली. मोदी को पता है.

  • राहुल की सबसे बड़ी चुनौती तो कांग्रेस के अंदर ही है!

    राहुल की सबसे बड़ी चुनौती तो कांग्रेस के अंदर ही है!

    इस बात को बहुत साफ़ ढंग से कहा जाना चाहिए कि राजनीति में शालीनता का न्यूनतम निर्वाह ज़रूरी है. सिर्फ़ शराफ़त के तक़ाज़े से नहीं- हालांकि यह तक़ाज़ा भी ज़रूरी है- रणनीति के लिहाज से भी. क्योंकि जब आप किसी के लिए अवज्ञा भरे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो उससे पहले आपके बारे में राय ख़राब होती है.

  • क्या लोकसभा में कांग्रेस फिर लहराएगी प्लेकार्ड?

    क्या लोकसभा में कांग्रेस फिर लहराएगी प्लेकार्ड?

    कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन के पांच दिन पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही सोमवार को कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष लोकसभा का बहिष्कार ख़त्म कर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस के सांसद फिर वेल में जाकर प्लेकार्ड दिखाएंगे?

  • संसद में हंगामा है बरपा, लोकतंत्र पर काला धब्बा कब लगता है...

    संसद में हंगामा है बरपा, लोकतंत्र पर काला धब्बा कब लगता है...

    आपके दिमाग़ में उस वक्त क्या तस्वीर बनती है, जब नेता कहते हैं कि फलां कार्यवाही लोकतंत्र पर काला धब्बा है। लोकतंत्र का काला धब्बा किसे कहते हैं और यह कब और कैसे लगता है।

  • मनोरंजन भारती की कलम से : राहुल गांधी के अज्ञातवास की पहेली

    राहुल गांधी के देश लौटने के बाद सबसे बड़ी उत्सुकता इस बात पर है कि वो कहां थे। किस तरह कटा राहुल गांधी का अज्ञातवास, ठीक वैसे ही जैसे महाभारत में पांडवों के अज्ञातवास का पता किसी को नहीं चला था। मगर 21वीं सदी के इस इंटरनेट और स्मार्ट फोन युग में राहुल की एक भी तस्वीर तक नहीं आ पाई।