फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ऐसा समझा जाता है कि नेट निरपेक्षता पर दूरसंचार विभाग (डीओटी) की एक समिति ने फेसबुक की internet.org जैसी परियोजनाओं का विरोध किया है। यह बिना मोबाइल डाटा शुल्क के कुछ वेबसाइटों तक पहुंचने की अनुमति देती है। वहीं दूसरी तरफ एयरटेल जीरो जैसी इसी प्रकार की योजनाओं को ट्राई से पूर्व मंजूरी के साथ अनुमति का सुझाव दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, हालांकि समिति ने कहा है कि उक्त प्रकार की योजनाओं से संबद्ध दूरसंचार कंपनियों और सामग्री प्रदाता फर्म के बीच गठजोड़ को सक्रियता के साथ हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दूरसंचार विभाग को नेट निरपेक्षता पर समिति गठित करने तथा मामले में सिफारिश देने का निर्देश दिया था।
नेट निरपेक्षता से आशय सभी इंटरनेट ट्रैफिक के साथ समान व्यवहार है और सामग्री या सेवा प्रदाताओं को भुगतान आधारित किसी भी इकाई या कंपनी को कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
देश में नेट निरपेक्षता का मुद्दा उस समय गर्म हुआ, जब दूरसंचार कंपनी एयरटेल ने एक प्लेटफार्म एयरटेल जीरो शुरू किया। इसके तहत उसके नेटवर्क पर कुछ वेबसाइटों की मुफ्त पहुंच की अनुमति थी। हालांकि, कंपनियों से इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए एयरटेल को भुगतान करने के लिए कहा गया।
वहीं दूसरी तरफ, internet.org फेसबुक की अगुवाई वाली पहल है, जिसका मकसद सैमसंग तथा क्वालकॉम जैसी कंपनियों के साथ मोबाइल आपरेटरों के साथ गठजोड़ कर 5 अरब लोगों को ऑनलाइन लाना है। कंपनी ने भारत में इसके लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ गठजोड़ किया था।
सूत्रों के अनुसार, दूरसंचार विभाग की समिति ने कहा है कि नेट निरपेक्षता सिद्धांत के उल्लंघन के लिए इस परियोजना की आलोचना की गई है और उसकी प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले फेसबुक की स्वयं की सेवाओं का समर्थन किया था। हालांकि, फेसबुक ने बार-बार कहा है कि परियोजना इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने के समर्थन में है और इसीलिए वह सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती।
वहीं समिति ने एयरटेल जीरो जैसे प्लेटफार्म का समर्थन किया है, लेकिन इसके लिए शर्त रखी है कि कंपनियों को इसे शुरू करने से पहले दूरसंचार नियामक ट्राई से पहले मंजूरी लेनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो इस प्रकार की योजना अगर नेट निरपेक्षता सिद्धांत का उल्लंघन करती पाई जाती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस बारे में दूरसंचार विभाग को ई-मेल भेजकर सवाल पूछे गए हैं, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। वहीं फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि जब तक हमारे पास दूरसंचार विभाग की समिति की रिपोर्ट नहीं आती, हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
सूत्रों के अनुसार, समिति ने अपनी रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री को सौंप दी है। समिति का सुझाव है कि अगर दूरसंचार कंपनियों की योजना नेट निरपेक्षता के खिलाफ पाई जाती है, तो संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई या जुर्माना लगाया जाना चाहिए। नेट निरपेक्षता की परिभाषा सरकार को तय करनी है।
सूत्रों के अनुसार, हालांकि समिति ने कहा है कि उक्त प्रकार की योजनाओं से संबद्ध दूरसंचार कंपनियों और सामग्री प्रदाता फर्म के बीच गठजोड़ को सक्रियता के साथ हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दूरसंचार विभाग को नेट निरपेक्षता पर समिति गठित करने तथा मामले में सिफारिश देने का निर्देश दिया था।
नेट निरपेक्षता से आशय सभी इंटरनेट ट्रैफिक के साथ समान व्यवहार है और सामग्री या सेवा प्रदाताओं को भुगतान आधारित किसी भी इकाई या कंपनी को कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
देश में नेट निरपेक्षता का मुद्दा उस समय गर्म हुआ, जब दूरसंचार कंपनी एयरटेल ने एक प्लेटफार्म एयरटेल जीरो शुरू किया। इसके तहत उसके नेटवर्क पर कुछ वेबसाइटों की मुफ्त पहुंच की अनुमति थी। हालांकि, कंपनियों से इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए एयरटेल को भुगतान करने के लिए कहा गया।
वहीं दूसरी तरफ, internet.org फेसबुक की अगुवाई वाली पहल है, जिसका मकसद सैमसंग तथा क्वालकॉम जैसी कंपनियों के साथ मोबाइल आपरेटरों के साथ गठजोड़ कर 5 अरब लोगों को ऑनलाइन लाना है। कंपनी ने भारत में इसके लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ गठजोड़ किया था।
सूत्रों के अनुसार, दूरसंचार विभाग की समिति ने कहा है कि नेट निरपेक्षता सिद्धांत के उल्लंघन के लिए इस परियोजना की आलोचना की गई है और उसकी प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले फेसबुक की स्वयं की सेवाओं का समर्थन किया था। हालांकि, फेसबुक ने बार-बार कहा है कि परियोजना इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने के समर्थन में है और इसीलिए वह सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती।
वहीं समिति ने एयरटेल जीरो जैसे प्लेटफार्म का समर्थन किया है, लेकिन इसके लिए शर्त रखी है कि कंपनियों को इसे शुरू करने से पहले दूरसंचार नियामक ट्राई से पहले मंजूरी लेनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो इस प्रकार की योजना अगर नेट निरपेक्षता सिद्धांत का उल्लंघन करती पाई जाती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस बारे में दूरसंचार विभाग को ई-मेल भेजकर सवाल पूछे गए हैं, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। वहीं फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि जब तक हमारे पास दूरसंचार विभाग की समिति की रिपोर्ट नहीं आती, हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
सूत्रों के अनुसार, समिति ने अपनी रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री को सौंप दी है। समिति का सुझाव है कि अगर दूरसंचार कंपनियों की योजना नेट निरपेक्षता के खिलाफ पाई जाती है, तो संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई या जुर्माना लगाया जाना चाहिए। नेट निरपेक्षता की परिभाषा सरकार को तय करनी है।
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