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This Article is From Aug 09, 2016

Rio Olympics: दीपा कर्मकार को वॉल्ट फाइनल से पहले कोच ने कर दिया 'हाउस अरेस्ट', मोबाइल भी छीना

Rio Olympics: दीपा कर्मकार को वॉल्ट फाइनल से पहले कोच ने कर दिया 'हाउस अरेस्ट', मोबाइल भी छीना
कोच नंदी दीपा कर्मकार को दबाव से बचाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं...
  • दीपा कर्मकार ने वॉल्ट में किया है फाइनल के लिए क्वालिफाई
  • रियो ओलिंपिक में वॉल्ट का फाइनल 14 अगस्त को होगा
  • ओलिंपिक जिम्नास्टिक्स में पहुंचीं पहली भारतीय महिला हैं दीपा
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रियो डि जेनेरो: रियो ओलिंपिक में भारत की स्टार बनकर उभरीं जिम्नास्ट दीपा कर्मकार को अब टेंशन ने घेर लिया है. यही नहीं उनके कोच बिश्वेश्वर नंदी भी देश की उम्मीदों के बोझ तले नजर आ रहे हैं. ऐसे में उन्होंने 14 अगस्त के फाइनल के लिए दीपा की तैयारियों को पुख्ता करने के लिए अब एक नया तरीका निकाला है. तरीका भी ऐसा जो सुनने में कुछ अटपटा लग रहा है, लेकिन हुआ कुछ ऐसा ही है. गौरतलब है कि मंगलवार को दीपा को बर्थ-डे भी है. वास्तव में कोच नंदी और दीपा दोनों इस मुकाबले का महत्व बखूबी समझ रहे हैं और इसके लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहते.

आइए जानते हैं कि कोच नंदी, जिनके रातों की नींद गायब हो चुकी है, ने दीपा को तनाव से बचाने के लिए क्या-क्या उपाय किए हैं...

कोच ने लिखनी शुरू की जीत की पटकथा
दीपा कर्मकार के फाइनल में पहुंचने की ऐतिहासिक उपलब्धि से गदगद देशवासी अब उनसे पदक की आस लगाए बैठे हैं. जाहिर है यह इतना आसान नहीं हैं, लेकिन फैन्स तो फैन्स होते हैं, वह तो अपने सितारे को 'आसमान से तारे तोड़ता हुआ' देखना चाहते हैं... मीडिया भी दीपा के आगे-पीछे घूम रहा है और वह इंटरव्यू दे-देकर परेशान हो रहीं हैं. इन स्थितियों को देखते हुए उनके कोच बिश्वेश्वर नंदी ने अब वॉल्ट फाइनल में इतिहास रचने की पटकथा लिखनी शुरू कर दी है और इसके लिए पहला कदम दीपा को ओलिंपिक खेलगांव में 'हाउस अरेस्ट' करने के रूप में उठाया है.
 

रूममेट के अलावा कोई नहीं...
अपने देश से लगभग 15000 किमी दूर त्रिपुरा के अगरतला की रहने वाली दीपा कर्मकार मंगलवार को 23 साल की हो गई हैं, लेकिन इस अवसर पर वह अपने माता-पिता के अलावा किसी और की शुभकामनाएं नहीं ले पाएंगी. उनके साथ अगर कोई है तो वह हैं उनकी रूममेट भारतीय वेटलिफ्टर सैखोम मीराबाई चानू. हां, उनके कोच भी हैं, जो आज ही नहीं बल्कि पिछले 16 साल से लगातार उनके साथ ही हैं और उनको तराशने में उनके अलावा किसी और का हाथ नहीं हैं. यूं कहें दीपा आज जो भी हैं, वह कोच नंदी की वजह से ही हैं...

मोबाइल बंद
कोच नंदी ने दीपा के ओलिंपिक वॉल्ट के फाइनल में पहुंचने की उलब्धि के बाद खेलगांव से पीटीआई को बताया, 'मैंने उसके मोबाइल से सिमकार्ड निकाल दिया है. केवल उसके माता-पिता ही उससे बात कर सकते हैं. मैं नहीं चाहता कि वह अपना फोकस खो दे.'

दरअसल दीपा के फाइनल में जगह बनाने के कुछ ही सेकंड बाद नंदी को यह महसूस हुआ कि स्टार बन चुकी उनकी शिष्या के कंधों पर अब अरबों लोगों की उम्मीदों का बोझ है, क्योंकि देशवासी उनसे इतिहास रचने की उम्मीद कर रहे हैं, जिसमें उसे खरा उतरना ही है. इससे कोच नंदी पर भी दबाव बढ़ गया है और वह कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि यह सब कैसे होगा...
 

फैल गई थी अजब सनसनी
सोमवार को कोच नंदी ने कहा था कि जब वह अपनी शिष्या दीपा कर्मकार के साथ रियो पहुंचने के बाद ओलिंपिक एरेना में पहली बार पहुंचे थे, तो उनके शरीर में एक अलग ही सनसनी दौड़ गई और उनके मन में एक अलग ही प्रकार की उत्तेजना के साथ-साथ भय का भी संचार होने लगा था, क्योंकि अरबों देशवासियों की आंखें बस दीपा को ही देख रही हैं...अब उन्होंने कहा है कि जन्मदिन तो कभी भी मनाया जा सकता है, लेकिन अभी देश का सवाल है, जो इन सबसे बढ़कर है.

कोच नंदी ने कहा, 'इस समय हम उसके जन्मदिन का उत्सव मनाने का इंतजार कर सकते हैं. मैंने उसे छोटा-सा जो ब्रेक दिया है, वह उसमें अपने माता-पिता से बातचीत कर सकती है.'

दोस्तों से दूर रहना पसंद
"हालांकि वह इसे मिस नहीं कर रही है, क्योंकि वह अपने दोस्तों से दूर रहना पसंद करती है. वैसे भी उसका फ्रेंड सर्किल बहुत छोटा है. इसके लिए मैं उसकी जिम्नास्टिक के प्रति गहरी श्रद्धा को धन्यवाद देना चाहूंगा'

दीपा ने न केवल ओलिंपिक में इतिहास रचा है बल्कि खतरनाक प्रॉडुनोवा वॉल्ट करके सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. डबल-फ्रंट समरसॉल्ट वाला यह वॉल्ट महिलाओं के वॉल्ट का सबसे मुश्किल प्रकार है.

नंदी ने कहा, "जिम्नास्टिक का हर इवेंट मुश्किलभरा होता है, किसा भी समय दुर्घटना हो सकती है, लेकिन दीपा ने प्रॉडुनोवा में मास्टरी हासिल कर ली है और हमें अच्छी उम्मीद है.'

4-4 घंटे का कड़ा अभ्यास
दीपा अपने कोच के साथ हर दिन सुबह और शाम को 4-4 घंटे का कड़ा अभ्यास करती हैं. नंदी ने भारत सरकार और साई को मदद के लिए धन्यवाद भी दिया है. नंदी ने कहा कि हमारे पास महज तीन माह का समय था, लेकिन साईं के डायरेक्टर और प्रोजेक्ट ऑफिसर ने हमारी मदद के लिए हरसंभव प्रयास किया और हर तरह से मदद की.
 

नंदी ने यह भी कहा कि दीपा का फाइनल 14 अगस्त को रात 2.47 बजे है और उन्हें भरोसा है कि वह निराश नहीं करेंगी. वास्तव में इसके अगले ही दिन 15 अगस्त है. ऐसे में दोनों देश को गिफ्ट देना चाहते हैं. दीपा कर्मकार को फाइनल में अपनी सारी ताकत और हुनर झोंक देना पड़ेगा. वैसे भी वह वॉल्ट क्वालिफाइंग में वह अंतिम और 8वें स्थान पर रही हैं.

स्वतंत्रता दिवस का होगा सर्वोत्तम गिफ्ट
दीपा के कोच ने मीडिया से यह भी कहा था, "वास्तव में इन सबसे मेरी रातों की नींद गायब हो गई है,. क्योंकि 0.001 अंक के अंतर से भी मेडल हाथ से निकल सकता है और भारतीयों की उम्मीदें बहुत अधिक हैं. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि उम्मीदों के इस बोझ का भार कैसे उठाऊं.'

नंदी ने अपनी बात को यह कहते हुए सामप्त किया "जब अपना मुकाबला खत्म करेगी, तो उस समय भारत में 15 अगस्त होगा, क्योंकि ब्राजील और भारत के बीच 8 घंटे 30 मिनट का अंतर है. ऐसे में एक मेडल देश के लिए स्वतंत्रता दिवस का सर्वोत्तम गिफ्ट होगा.'
(इनपुट पीटीआई से)

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