 
                                            पॉल वैन हैस (फाइल फोटो)
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        आखिरकर हॉकी कोच पॉल वैन हैस को जाना पड़ा। अहम की लड़ाई में एक और कोच की बलि चढ़ गई। एक बार फिर हॉकी की हार हो गई।
दिल्ली में हुई मूल्यांकन समिति की बैठक के बाद ऐलान किया गया कि अब नए कोच को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि सूत्रों की मानें तो टीम के हाई पॉरफ़ॉर्मेंस मैनेजर रोलेंट ओटमेंस का नया कोच बनना तय है।
हॉकी इंडिया की 9-सदस्यीय मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष हरविंदर सिंह ने बैठक के बाद कहा, "हमने अपना सुझाव हॉकी इंडिया को दे दिया है। फ़िलहाल हम नाम का खुलासा नहीं कर सकते। हॉकी इंडिया को निर्णय लेना है।"
नीदरलैंड्स के पॉल वैन हास सिर्फ 5 महीने टिक पाए। बेल्जियम में हुए वर्ल्ड हॉकी लीग के दौरान हॉकी लीग के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा और हैस के बीच तनातनी हो गई थी। बत्रा मैदान पर पहुंचकर टीम से बात करने लगे। वॉन ने उन्हें मैदान से बाहर जाने को कह दिया। वॉन का कहना था कि मैदान पर टीम को नसीहत देना कोच का काम होता है।
बत्रा को ये बात नागवार गुज़री। महीने भर के अंदर सज़ा मुकर्रर कर दी गई। कोच पॉल वैन हास कहते रहे हैं कि उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया, जबकि हॉकी इंडिया का कहना है कि हैस खुद ही नहीं आना चाहते।
हरविंदर सिंह ने कहा, "हम पॉल वैन हैस के नाम पर विचार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वो कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। उनके लौटने का सवाल ही नहीं है।" हैरानी की बात है कि एक साल के अंदर दूसरी बार कोच को हटाया गया है। एशिया कप में गोल्ड जीतकर भारत ने रियो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफ़ाई किया। इसके 47 दिनों के बाद ही कोच टेरी वॉल्श को बर्ख़ास्त कर दिया गया था। इनसे पहले मोटी तनख्वाह पर लाए गए होज़े ब्रासा और माइकल नॉब्स को भी विपरीत हालात में जाना पड़ा था।
नरेंद्र बत्रा ने हॉकी इंडिया के 5 साल में 4, तो केपीएस गिल के भारतीय हॉकी संघ ने 14 साल में 17 कोच बदल डाले।
ओलिंपिक में अब एक साल का ही वक्त बचा है। इस समय तक तैयारी जोरों पर होनी चाहिए थी, लेकिन यहां तो खेल कुछ और ही चल रहा है।
                                                                        
                                    
                                दिल्ली में हुई मूल्यांकन समिति की बैठक के बाद ऐलान किया गया कि अब नए कोच को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि सूत्रों की मानें तो टीम के हाई पॉरफ़ॉर्मेंस मैनेजर रोलेंट ओटमेंस का नया कोच बनना तय है।
हॉकी इंडिया की 9-सदस्यीय मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष हरविंदर सिंह ने बैठक के बाद कहा, "हमने अपना सुझाव हॉकी इंडिया को दे दिया है। फ़िलहाल हम नाम का खुलासा नहीं कर सकते। हॉकी इंडिया को निर्णय लेना है।"
नीदरलैंड्स के पॉल वैन हास सिर्फ 5 महीने टिक पाए। बेल्जियम में हुए वर्ल्ड हॉकी लीग के दौरान हॉकी लीग के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा और हैस के बीच तनातनी हो गई थी। बत्रा मैदान पर पहुंचकर टीम से बात करने लगे। वॉन ने उन्हें मैदान से बाहर जाने को कह दिया। वॉन का कहना था कि मैदान पर टीम को नसीहत देना कोच का काम होता है।
बत्रा को ये बात नागवार गुज़री। महीने भर के अंदर सज़ा मुकर्रर कर दी गई। कोच पॉल वैन हास कहते रहे हैं कि उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया, जबकि हॉकी इंडिया का कहना है कि हैस खुद ही नहीं आना चाहते।
हरविंदर सिंह ने कहा, "हम पॉल वैन हैस के नाम पर विचार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वो कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। उनके लौटने का सवाल ही नहीं है।" हैरानी की बात है कि एक साल के अंदर दूसरी बार कोच को हटाया गया है। एशिया कप में गोल्ड जीतकर भारत ने रियो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफ़ाई किया। इसके 47 दिनों के बाद ही कोच टेरी वॉल्श को बर्ख़ास्त कर दिया गया था। इनसे पहले मोटी तनख्वाह पर लाए गए होज़े ब्रासा और माइकल नॉब्स को भी विपरीत हालात में जाना पड़ा था।
नरेंद्र बत्रा ने हॉकी इंडिया के 5 साल में 4, तो केपीएस गिल के भारतीय हॉकी संघ ने 14 साल में 17 कोच बदल डाले।
ओलिंपिक में अब एक साल का ही वक्त बचा है। इस समय तक तैयारी जोरों पर होनी चाहिए थी, लेकिन यहां तो खेल कुछ और ही चल रहा है।
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                                        पॉल वैन हैस, हॉकी कोच, भारतीय हॉकी टीम, Paul Van Ass, Hockey Coach, Indian Hockey Team, Hockey India
                            
                        