श्रीलंका सरकार ने संकेत दिया है कि खिलाड़ियों की आईपीएल से वापसी की समय सीमा कुछ दिन के लिए बढ़ाई जा सकती है।
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कोलंबो/नई दिल्ली:
बीसीसीआई और श्रीलंका क्रिकेट के बीच टकराव की आशंका टलती नजर आ रही है। श्रीलंका सरकार ने संकेत दिया है कि खिलाड़ियों की आईपीएल से वापसी की समय सीमा कुछ दिन के लिए बढ़ाई जा सकती है। दस मई से शुरू हो रहे इंग्लैंड दौरे की तैयारी के लिए श्रीलंकाई खिलाड़ियों की आईपीएल से वापसी को लेकर मचे बवाल के बीच श्रीलंका के खेलमंत्री महिंदानंदा अलुथागामेगे ने बृहस्पतिवार को कहा कि खिलाड़ियों को पांच मई की समय सीमा से अधिक आईपीएल के लिये रुकने की अनुमति दी जा सकती है। अलुथागामेगे ने कहा, मुझे बीसीसीआई से कई ईमेल मिले हैं। मैं आज चयन समिति और श्रीलंका क्रिकेट के अधिकारियों से मिलकर इस मामले पर बात करूंगा। हम पांच मई की समय सीमा बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा, खिलाड़ियों को दस मई को इंग्लैंड रवाना होना है। हम उसे भी आगे बढ़ा सकते हैं। हम बीसीसीआई को नाराज नहीं करना चाहते जिससे हमारे संबंध काफी अच्छे हैं। हम खिलाड़ियों के लिए नई तारीखें तलाश रहे हैं। कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने तो आईपीएल के चौथे सत्र में क्रमश: डेक्कन चार्जर्स और कोच्चि टस्कर्स केरल के कप्तान हैं। इनके समेत 11 श्रीलंकाई खिलाड़ी आईपीएल में भाग ले रहे हैं। इनकी जल्दी वापसी से टीमों के संयोजन पर असर पड़ेगा। अलुथागामेगे ने हालांकि इस बात को खारिज किया कि भारतीय बोर्ड को श्रीलंकाई क्रिकेटरों के 10 मई को इंग्लैंड रवाना होने की जानकारी नहीं थी। बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने बृहस्पतिवार को यहां पत्रकारों से कहा कि श्रीलंकाई क्रिकेटरों को 21 मई तक आईपीएल खेलना था। अलुथागामेगे ने कहा, आईसीसी का फ्यूचर टूर कार्यक्रम पहले ही से तय होता है। इसके तहत श्रीलंकाई टीम को 10 मई से इंग्लैंड का दौरा करना है लिहाजा भारतीय बोर्ड यह नहीं कह सकता कि उसे इसकी जानकारी नहीं थी। हम वैसे भी अपने खिलाड़ियों को पांच दिन पहले ही बुला रहे थे। खिलाड़ियों को वापिस बुलाने के फैसले के बारे में उन्होंने कहा कि चयन समिति इस पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा, चयनकर्ताओं का कहना है कि टीम पिछले कुछ अर्से से वनडे और टी20 क्रिकेट ही खेल रही है। उसे टेस्ट क्रिकेट और इंग्लैंड के माहौल के अनुकूल ढलने के लिये समय चाहिए। इसके अलावा टीम के साथ नया कप्तान है लिहाजा तैयारी के लिये अधिक समय की जरूरत है। यह पूछने पर कि यदि मसले का कोई हल नहीं निकल सका तो खेलमंत्री ने कहा, मुझे यकीन है कि कोई हल निकल आयेगा। वैसे भी खिलाड़ियों के लिए आईपीएल से बढकर देश है और वे हमारी दी गई समय सीमा पर जरूर लौटेंगे। ऐसी अटकलें थी कि बीसीसीआई द्वारा खिलाड़ियों की फीस में से श्रीलंका क्रिकेट को मिलने वाले हिस्से का दस प्रतिशत काटने की धमकी के बाद श्रीलंका झुक गया है। श्रीलंका क्रिकेट को आईपीएल से खिलाड़ियों को मिलने वाले 21 करोड़ में से दो करोड़ रूपये मिलने वाले थे। विवाद की शुरूआत तब हुई जब श्रीलंका सरकार ने क्रिकेट बोर्ड से कहा कि वह आईपीएल खेल रहे अपने क्रिकेटरों को पांच मई तक लौटने के आदेश दे। सरकार और श्रीलंका क्रिकेट ने खिलाड़ियों को 15 मई तक रूकने देने की बीसीसीआई की गुजारिश भी खारिज कर दी। ऐसी अटकलें थी कि श्रीलंका सरकार ने यह कार्रवाई दो अप्रैल को भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई में हुए विश्व कप फाइनल के दौरान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के साथ आए श्रीलंकाई मंत्रियों के साथ हुए सलूक के बदले में की है। श्रीलंकाई मंत्रियों को उसी दीर्घा में जगह नहीं दी गई थी और कुछ को तो खुद टिकट खरीदने पड़े। अलुथागामेगे ने कहा, हमने विश्व कप फाइनल के लिये अधिक टिकट मांगे थे लेकिन मिले नहीं। इसकी वजह से बीसीसीआई के साथ कुछ तनातनी हो गई थी। लेकिन वह अलग मसला है। यह प्रोटोकाल की बात है और मौजूदा मसला क्रिकेट का है। प्रोटोकाल और क्रिकेट अलग अलग बातें हैं। श्रीलंका बोर्ड के फैसले का असर आईपीएल में भी देखने को मिला जब खिलाड़ियों से बार बार इस मसले पर सवाल पूछे गए। रिटायर हो चुके स्पिनर मुथया मुरलीधरन ने श्रीलंका बोर्ड के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा था कि उन्हें मिले नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट के तहत 20 मई तक रूकने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा, बोर्ड ने हमें 20 मई तक रूकने की अनुमति दी थी। फिर पता नहीं अचानक क्या हुआ। खिलाड़ियों को पांच मई को लौटने को कह दिया गया। गलती श्रीलंका क्रिकेट की है।