भारतीय पुरुष हॉकी टीम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अंडर-18 एशिया कप, एशियन चैंपियंस ट्रॉफी और अब महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी. भारतीय हॉकी की सभी टीमों ने अपने प्रदर्शन में सुधार के साथ नई उपलब्धियां हासिल की हैं. एशियाई हॉकी पर तो भारत का पूरी तरह से कब्जा हो गया है, तो क्या यह भारतीय हॉकी के अच्छे दिन की शुरुआत के संकेत हैं...
महिला टीम के विजय से पहले दीवाली के अवसर पर हॉकी के मैदान से दो बड़ी खबरें आईं. पुरुष सीनियर हॉकी टीम दीवाली के दिन मलेशिया के कुआंतन शहर में एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी में जीत का जश्न मना रही थी, तो वहां से करीब 11 हजार किलोमीटर दूर स्पेन के तटीय शहर वैलेंसिया में जूनियर हॉकी टीम ने चार देशों का टूर्नामेंट जीत देश को दीवाली का दूसरा तोहफा दिया. भारत ने फाइनल मैच में जर्मनी को 5-2 से हराया. इस टूर्नामेंट मे मेजबान स्पेन और बेल्जियम ने भी हिस्सा लिया था.
पिछले कुछ समय से भारतीय हॉकी के मैदान से अच्छी खबरें आ रही हैं. सीनियर टीम के कोच रॉलेंट ऑल्टमैन्स की खुशी लाजिमी है. दुनिया में एफआईएचके सिर्फ 16 मास्टर कोच हैं. ऑल्टमैन्स उनमें से एक हैं. उनकी कोचिंग में टीम पिछले एक साल में तीन बार पोडियम पर पहुंची है. दिसंबर में वर्ल्ड लीग फाइनल में भारत ने कांस्य और जून में चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार फाइनल में पहुंची और टीम उपविजेता रही. हालांकि ओलिंपिक में अच्छे खेल के बावजूद भारतीय टीम क्वॉर्टरफाइनल तक ही पहुंच पाई थी. अब एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी जीतने के बाद टीम लय में है.
एशिया का किंग भारत
01, अक्टूबर : जूनियर टीम ने दिखाया दम
अंडर-18 एशिया कप
फाइनल में बांग्लादेश को 5-4 से हराया
30, अक्टूबर : पुरुष टीम बनी चैंपियन
एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी
फ़ाइनल में पाकिस्तान को 3-2 से हराया
05, नवंबर : महिला टीम का कमाल
महिला एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी
फाइनल में चीन को 2-1 से हराया
भारतीय महिला हॉकी टीम की के लिए दीवाली थोड़ी देर से आई, लेकिन जश्न में कोई कमी नहीं थी. सिंगापुर में खेली गई महिला एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी के फाइनलमें भारतीय टीम शुरू से ही आक्रामक रही. 13वें मिनट में दीप ग्रेस एक्का ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील कर दिया. चीन ने 44वें मिनट में बराबरी कर ली. 60वें मिनट में दीपिका के रिबाउंड से पेनल्टी कॉर्नर गोल में बदला. यह मैच का आखिरी और निर्णायक गोल साबित हुआ. वर्ल्ड नंबर-12 टीम भारत के लिए जीत इसलिए भी अहम रही, क्योंकि कप्तान सुशीला चानू और पेनल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट नमिता टोप्पो अनफिट होने के कारण यहां खेल नहीं पाईं. पिछले साल महिला टीम इस टूर्नामेंट की उपविजेता रही थी. इससे पहले 36 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने ओलिंपिक में हिस्सा लिया था.
इन सभी उलब्धियों के देखने के बाद लग रहा है कि भारतीय हॉकी के दिन फिर रहे हैं और अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई है...
महिला टीम के विजय से पहले दीवाली के अवसर पर हॉकी के मैदान से दो बड़ी खबरें आईं. पुरुष सीनियर हॉकी टीम दीवाली के दिन मलेशिया के कुआंतन शहर में एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी में जीत का जश्न मना रही थी, तो वहां से करीब 11 हजार किलोमीटर दूर स्पेन के तटीय शहर वैलेंसिया में जूनियर हॉकी टीम ने चार देशों का टूर्नामेंट जीत देश को दीवाली का दूसरा तोहफा दिया. भारत ने फाइनल मैच में जर्मनी को 5-2 से हराया. इस टूर्नामेंट मे मेजबान स्पेन और बेल्जियम ने भी हिस्सा लिया था.
पिछले कुछ समय से भारतीय हॉकी के मैदान से अच्छी खबरें आ रही हैं. सीनियर टीम के कोच रॉलेंट ऑल्टमैन्स की खुशी लाजिमी है. दुनिया में एफआईएचके सिर्फ 16 मास्टर कोच हैं. ऑल्टमैन्स उनमें से एक हैं. उनकी कोचिंग में टीम पिछले एक साल में तीन बार पोडियम पर पहुंची है. दिसंबर में वर्ल्ड लीग फाइनल में भारत ने कांस्य और जून में चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार फाइनल में पहुंची और टीम उपविजेता रही. हालांकि ओलिंपिक में अच्छे खेल के बावजूद भारतीय टीम क्वॉर्टरफाइनल तक ही पहुंच पाई थी. अब एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी जीतने के बाद टीम लय में है.
एशिया का किंग भारत
01, अक्टूबर : जूनियर टीम ने दिखाया दम
अंडर-18 एशिया कप
फाइनल में बांग्लादेश को 5-4 से हराया
30, अक्टूबर : पुरुष टीम बनी चैंपियन
एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी
फ़ाइनल में पाकिस्तान को 3-2 से हराया
05, नवंबर : महिला टीम का कमाल
महिला एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी
फाइनल में चीन को 2-1 से हराया
भारतीय महिला हॉकी टीम की के लिए दीवाली थोड़ी देर से आई, लेकिन जश्न में कोई कमी नहीं थी. सिंगापुर में खेली गई महिला एशियन चैंपियन्स ट्रॉफी के फाइनलमें भारतीय टीम शुरू से ही आक्रामक रही. 13वें मिनट में दीप ग्रेस एक्का ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील कर दिया. चीन ने 44वें मिनट में बराबरी कर ली. 60वें मिनट में दीपिका के रिबाउंड से पेनल्टी कॉर्नर गोल में बदला. यह मैच का आखिरी और निर्णायक गोल साबित हुआ. वर्ल्ड नंबर-12 टीम भारत के लिए जीत इसलिए भी अहम रही, क्योंकि कप्तान सुशीला चानू और पेनल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट नमिता टोप्पो अनफिट होने के कारण यहां खेल नहीं पाईं. पिछले साल महिला टीम इस टूर्नामेंट की उपविजेता रही थी. इससे पहले 36 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने ओलिंपिक में हिस्सा लिया था.
इन सभी उलब्धियों के देखने के बाद लग रहा है कि भारतीय हॉकी के दिन फिर रहे हैं और अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई है...
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