भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान को हराकर एशियाई चैंपियन्स ट्रॉफी जीती है (फाइल फोटो)
कोलकाता:
देश के पूर्व दिग्गज हॉकी खिलाड़ी गुरुबख्श सिंह और धनराज पिल्लई ने एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी खिताब जीतने वाली भारतीय टीम की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय टीम का अब अगला लक्ष्य दुनिया की बड़ी टीमों को हराना होना चाहिए. इसके साथ ही गुरुबख्श ने टीम को स्वार्थपूर्ण खेल की बजाय टीम गेम पर फोकस करने की सलाह दी. उल्लेखनीय है कि मलेशिया के कुआंटान में रविवार को संपन्न हुए अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल में भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया.
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान पिल्लई ने आईएएनएस से कहा, "हमें ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और नीदरलैंड्स जैसी बड़ी टीमों को टक्कर देने की जरूरत है, बल्कि बेल्जियम और अर्जेंटीना जैसे हॉकी में उभरते देशों से भी पार पाना होगा."
टोक्यो ओलिंपिक-1964 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे गुरुबख्श ने पिल्लई के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि अब भारत को विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए. उल्लेखनीय है कि भारत आखिरी बार मलेशिया की मेजबानी में 1975 में विश्व कप खिताब जीतने में सफल रहा था.
गुरुबख्श ने कहा, "हमारा अगला लक्ष्य विश्व कप खिताब जीतना होना चाहिए. एक साल बाद चैम्पियंस ट्रॉफी समाप्त हो जाएगी और उसकी जगह वर्ल्ड लीग ले लेगी. हम एशिया में दबदबा रखते आए हैं, लेकिन अब इससे बाहर निकलकर सोचने का समय आ गया है."
भारत 1920 से 1980 के बीच दुनिया के शीर्ष हॉकी टीमों में रहा और इस दौरान भारत ने 12 ओलिंपिक खेलों में 11 पदक जीते. एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत की खिताबी जीत में रुपिंदर पॉल सिंह का अहम योगदान रहा. उन्होंने टूर्नामेंट में कुल 11 गोल दागे. हालांकि पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम फील्ड गोल बहुत कम हासिल कर पाई, जिसे लेकर दोनों दिग्गजों ने चिंता भी व्यक्त की.
पिल्लई ने तो यहां तक कह दिया कि फील्ड गोल न होने के पीछे स्वार्थपूर्ण खेल रहा. पिल्लई ने कहा, "खिलाड़ियों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो सका. टीम में जैसे खिलाड़ी व्यक्तिगत खेल खेल रहे थे. मैं खिलाड़ियों से एक बहुत ही साधारण सी बात कहना चहूंगा कि अंतत: यह एक टीम के साथ खेला जाने वाला खेल है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रमनदीप सिंह या निकिन थिमैया ने ज्यादा गोल किए."
गुरुबख्श इसमें आगे जोड़ते हैं, "हमारे फॉरवर्ड खिलाड़ियों को अधिक से अधिक फील्ड गोल हासिल करने के लिए अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए. फाइनल में फील्डगोल हुए, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में मुझे फील्ड गोलों की कमी नजर आई."
युवा खिलाड़ियों को आर्थिक मदद मिलने को लेकर मुखर रहने वाले पिल्लई ने चार देशों की अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में रविवार को ही खिताब हासिल करने वाली भारतीय जूनियरपुरुष टीम की भी सराहना की और कहा कि देर से ही सही अब हॉकी इंडिया और केंद्र सरकार जूनियर टीम को समर्थन देने लगी है, जो बहुत अच्छी बात है. गौरतलब है कि इसी वर्ष नवंबर में लखनऊ में जूनियर विश्व कप होने वाला है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान पिल्लई ने आईएएनएस से कहा, "हमें ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और नीदरलैंड्स जैसी बड़ी टीमों को टक्कर देने की जरूरत है, बल्कि बेल्जियम और अर्जेंटीना जैसे हॉकी में उभरते देशों से भी पार पाना होगा."
टोक्यो ओलिंपिक-1964 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे गुरुबख्श ने पिल्लई के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि अब भारत को विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए. उल्लेखनीय है कि भारत आखिरी बार मलेशिया की मेजबानी में 1975 में विश्व कप खिताब जीतने में सफल रहा था.
गुरुबख्श ने कहा, "हमारा अगला लक्ष्य विश्व कप खिताब जीतना होना चाहिए. एक साल बाद चैम्पियंस ट्रॉफी समाप्त हो जाएगी और उसकी जगह वर्ल्ड लीग ले लेगी. हम एशिया में दबदबा रखते आए हैं, लेकिन अब इससे बाहर निकलकर सोचने का समय आ गया है."
भारत 1920 से 1980 के बीच दुनिया के शीर्ष हॉकी टीमों में रहा और इस दौरान भारत ने 12 ओलिंपिक खेलों में 11 पदक जीते. एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत की खिताबी जीत में रुपिंदर पॉल सिंह का अहम योगदान रहा. उन्होंने टूर्नामेंट में कुल 11 गोल दागे. हालांकि पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम फील्ड गोल बहुत कम हासिल कर पाई, जिसे लेकर दोनों दिग्गजों ने चिंता भी व्यक्त की.
पिल्लई ने तो यहां तक कह दिया कि फील्ड गोल न होने के पीछे स्वार्थपूर्ण खेल रहा. पिल्लई ने कहा, "खिलाड़ियों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो सका. टीम में जैसे खिलाड़ी व्यक्तिगत खेल खेल रहे थे. मैं खिलाड़ियों से एक बहुत ही साधारण सी बात कहना चहूंगा कि अंतत: यह एक टीम के साथ खेला जाने वाला खेल है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रमनदीप सिंह या निकिन थिमैया ने ज्यादा गोल किए."
गुरुबख्श इसमें आगे जोड़ते हैं, "हमारे फॉरवर्ड खिलाड़ियों को अधिक से अधिक फील्ड गोल हासिल करने के लिए अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए. फाइनल में फील्डगोल हुए, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में मुझे फील्ड गोलों की कमी नजर आई."
युवा खिलाड़ियों को आर्थिक मदद मिलने को लेकर मुखर रहने वाले पिल्लई ने चार देशों की अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में रविवार को ही खिताब हासिल करने वाली भारतीय जूनियरपुरुष टीम की भी सराहना की और कहा कि देर से ही सही अब हॉकी इंडिया और केंद्र सरकार जूनियर टीम को समर्थन देने लगी है, जो बहुत अच्छी बात है. गौरतलब है कि इसी वर्ष नवंबर में लखनऊ में जूनियर विश्व कप होने वाला है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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