भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह ने गुरुवार को कांट्रेक्ट आधार पर प्रशिक्षकों की नियुक्ति और हर राज्य में समर्पित अकादमियों की स्थापना पर बल दिया। मिल्खा ने कहा कि इसके बगैर भारत एथलेटिक्स में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकता।
                                            
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह ने गुरुवार को कांट्रेक्ट आधार पर प्रशिक्षकों की नियुक्ति और हर राज्य में समर्पित अकादमियों की स्थापना पर बल दिया। मिल्खा ने कहा कि इसके बगैर भारत एथलेटिक्स में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकता।
कार्डिफ में 1958 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा ने भारतीय कोचिंग प्रणाली की आलोचना की और कहा कि हर क्षेत्र में कोचों को और अधिक दवाबदेह बनाना होगा।
राष्ट्रीय स्तर की स्कूल चैम्पियनशिप स्पोर्ट्समेंटर्स के उद्घाटन के अवसर पर मिल्खा ने कहा, "हमें कांट्रेक्ट पर कोच रखने होंगे। वे ज्यादा जवाबदेह होंगे। हमें उन्हें चार से आठ साल का कांट्रेक्ट देना होगा और कहना है कि इस दौरान उन्हें परिणाम देना होगा।"
"भारत की जनसंख्या को देखते हुए यह देखकर हैरानी होती है कि 1960 के बाद से हमारे पास मुट्ठी भर अच्छे एथलीट रहे हैं। हमें असल में हजारों मिल्खा सिंह और हजारों पीटी ऊषा की जरूरत है।"
मिल्खा ने कहा कि प्रत्येक राज्य में एथलेटिक्स को समर्पित अकादमियां होनी चाहिए, जहां युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सके। बकौल मिल्खा, "भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमें युवा प्रतिभाओं को कम उम्र में ही चुनना होगा और उन्हें अच्छा खाना और बेहतरीन प्रशिक्षण देना होगा। साथ ही साथ इन अकादमियों में इन बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।"
मिल्खा सिंह ने तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वह 1956 के मेलबर्न ओलिम्पिक, 1960 के रोम ओलिम्पिक और 1964 के टोक्यो ओलिम्पिक में देश के लिए दौड़े थे।
                                                                        
                                    
                                कार्डिफ में 1958 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा ने भारतीय कोचिंग प्रणाली की आलोचना की और कहा कि हर क्षेत्र में कोचों को और अधिक दवाबदेह बनाना होगा।
राष्ट्रीय स्तर की स्कूल चैम्पियनशिप स्पोर्ट्समेंटर्स के उद्घाटन के अवसर पर मिल्खा ने कहा, "हमें कांट्रेक्ट पर कोच रखने होंगे। वे ज्यादा जवाबदेह होंगे। हमें उन्हें चार से आठ साल का कांट्रेक्ट देना होगा और कहना है कि इस दौरान उन्हें परिणाम देना होगा।"
"भारत की जनसंख्या को देखते हुए यह देखकर हैरानी होती है कि 1960 के बाद से हमारे पास मुट्ठी भर अच्छे एथलीट रहे हैं। हमें असल में हजारों मिल्खा सिंह और हजारों पीटी ऊषा की जरूरत है।"
मिल्खा ने कहा कि प्रत्येक राज्य में एथलेटिक्स को समर्पित अकादमियां होनी चाहिए, जहां युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सके। बकौल मिल्खा, "भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमें युवा प्रतिभाओं को कम उम्र में ही चुनना होगा और उन्हें अच्छा खाना और बेहतरीन प्रशिक्षण देना होगा। साथ ही साथ इन अकादमियों में इन बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।"
मिल्खा सिंह ने तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वह 1956 के मेलबर्न ओलिम्पिक, 1960 के रोम ओलिम्पिक और 1964 के टोक्यो ओलिम्पिक में देश के लिए दौड़े थे।
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