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This Article is From Apr 27, 2011

डंकन फ्लेचर होंगे टीम इंडिया के नए कोच

फ्लेचर जून के शुरू में होने वाले भारत के वेस्टइंडीज दौरे से कार्यभार संभालेंगे और वह दो साल के लिए इस पद पर नियुक्त किए गए हैं।
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Mumbai: डंकन फ्लेचर को बुधवार को भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त कर दिया गया। इसके साथ ही गैरी कर्स्टन के सफल कार्यकाल के बाद कोचिंग पद के लिए पिछले कुछ हफ्तों से चल रहा असमंजस खत्म हो गया। जिम्बाब्वे के 62 वर्षीय पूर्व कप्तान का कार्यकाल दो साल के लिए होगा। उनका इंग्लैंड के साथ 1999 से 2007 तक कार्यकाल मिश्रित परिणामों से भरा रहा था। कर्स्टन के बाद संभावित कोच के लिए फ्लेचर के नाम पर चर्चा चल रही थी और उनकी नियुक्ति का फैसला यहां बीसीसीआई की कार्यकारी समिति की बैठक में लिया गया। यह घोषणा काफी हैरानी भरा है, क्योंकि बीसीसीआई ने कोई भी संकेत नहीं दिया था कि वह आज ही कोच के नाम पर ठप्पा लगा देगी। बीसीसीआई सचिव एन श्रीनिवासन ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, फ्लेचर के साथ अनुबंध दो साल का है। हो सकता है कि वह वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम के साथ नहीं जुड़ सकें, क्योंकि उनकी कुछ पूर्व प्रतिबद्धताएं भी हैं। श्रीनिवासन ने कहा कि कर्स्टन के कार्यकाल के दौरान गेंदबाजी कोच का भार संभाल रहे एरिक सिमंस अपने इसी पद पर बरकरार रहेंगे। 1983 विश्व कप में जिम्बाब्वे टीम की कप्तानी करने वाले फ्लेचर ने अफ्रीकी देश की ओर से केवल छह वनडे खेले हैं और इंग्लैंड के कोच के तौर पर उनका कार्यकाल मिलाजुला रहा है। फ्लेचर के करियर का सर्वश्रेष्ठ दौर तब रहा, जब इंग्लैंड ने 2005 में घरेलू शृंखला में ऑस्ट्रेलिया पर एशेज शृंखला और वेस्टइंडीज में 36 वर्ष बाद पहली शृंखला जीतकर टेस्ट रैंकिंग में तीसरा स्थान हासिल किया था। उनके कंधों पर अब भारतीय टीम की मुश्किल जिम्मेदारी होगी, क्योंकि वह दक्षिण अफ्रीका के कर्स्टन के बाद यह पद संभालेंगे, जिन्होंने भारतीय टीम को इस महीने के शुरू में यादगार विश्व कप जीत दिलाकर कार्यकाल समाप्त करके ऊंचे मानक तय कर दिए हैं। कर्स्टन के साथ भारतीय टीम विदेशों में यादगार जीत दर्ज और ड्रॉ खेलने के बाद टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर और वनडे सूची में दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। उन्होंने अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने के लिए पद छोड़ दिया था। फ्लेचर इंग्लैंड क्रिकेट टीम को कोचिंग देने वाले पहले विदेशी कोच थे और यह कार्यकाल उनके लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा। उन्हें काफी कड़ा कोच माना जाता है, जिन्होंने इंग्लैंड को लगातार आठ टेस्ट जीत दिलाई। फ्लेचर की कोचिंग के दौरान इंग्लैंड ने 2005 में 1987 के बाद पहली बार स्टार सुसज्जित ऑस्ट्रेलियाई टीम को परास्त कर एशेज सीरीज अपने नाम की थी। जिम्बाब्वे के इस पूर्व कप्तान को ब्रिटेन के राजपरिवार ने ओबीई से सम्मानित किया था, लेकिन इसके बाद इंग्लैंड क्रिकेट टीम की खराब फॉर्म के कारण उनके पद पर सवाल उठाए जाने लगे। इंग्लैंड की टीम भारत और पाकिस्तान में सीरीज ड्रॉ कराने में सफल रही, लेकिन 2006-07 एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया से 0-5 से मिली हार के बाद फ्लेचर की काफी आलोचना की गई और इस दौरान उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। लेकिन इंग्लैंड के वेस्टइंडीज में 2007 विश्व कप टूर्नामेंट के शुरुआती दौर से बाहर होने के बाद उनका पद पर रहना असंभव हो गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

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