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This Article is From Mar 31, 2015

ट्रैक पर दौड़ती हूं तो लगता है देश के लिए दौड़ रही हूं, कोर्ट में लड़ना आसान नहीं: दुती चंद

ट्रैक पर दौड़ती हूं तो लगता है देश के लिए दौड़ रही हूं, कोर्ट में लड़ना आसान नहीं: दुती चंद
दुती चंद की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

भारत की 100 मीटर फ़र्राटा रेस की नेशनल चैंपियन दुती चंद के लिए ट्रैक पर दौड़ने से कहीं ज़्यादा मुश्किल है ट्रैक पर दौड़ने की अनुमति के लिए दौड़ना। ओडिशा की सिर्फ़ 19 साल की इस खिलाड़ी का करियर बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन ये उनके करियर का शायद सबसे मुश्किल दौर है।

दुती को ये ख़बर लुसान में मिली कि उन्हें चीन में हो रहे एशियाई चैंपियनशिप में दौड़ने की अनुमति मिल गई है। वो कहती हैं कि उनके सिर से जैसे बोझ उतर गया. हालांकि वो ये भी कहती हैं कि अभी उन्हें पूरी जीत का इंतज़ार है।

100 मीटर फ़र्राटा दौड़ की नेशनल चैंपियन एथलीट दुती चंद के लिए राहत की बड़ी ख़बर आई है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की इजाज़त मिल गई है। कोर्ट ऑफ़ आरबिट्रेशन ऑफ़ स्पोर्ट्स यानी कैस की अदालत ने दुती चंद को चीन में इस साल जून में होने वाले एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की इजाज़त दे दी है।

19 साल की ओडिशा की इस एथलीट ने भारतीय खेल मंत्रालय की मदद से अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संघ की हाइपर एंड्रोजेनिज़्म के नियमों के ख़िलाफ़ अपील की थी। भारतीय एथलेटिक्स संघ ने उनमें टेस्टॉसटेरॉन हॉर्मोन की मात्रा के (IAAF यानी अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स परिषद के) नियमों से ज़्यादा होने की वजह से उन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

ओडिशा के गोपालपुर की इस 19 साल की एथलीट को बीते दो साल ज़बरदस्त तनाव से गुज़ारने पड़े हैं. दुती बताती हैं कि उनके गांव में उनके लिए कई लोग भला-बुरा कहते थे। लेकिन इस नतीजे के बाद कई लोग उनके प्रति सहानुभूति रख रहे हैं और पूरे मसले को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

दुती ने बताया कि इस ख़बर को उन्होंने अपनी दीदी और पूर्व एथलीट सरस्वती चंद्र को बताया जो इससे बेहद खुश हुई हैं। 11.62 सेकेंड का बेहतरीन वक्त निकालकर 100 मीटर दौड़ने वाली इस एथलीट से बड़ी उम्मीदें लगाई जा रही थीं, तभी भारतीय एथलेटिक्स संघ ने उन्हें ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम से ये कहकर बाहर निकाल दिया कि हाइपरएंड्रोजेनिज़्म की वजह से वो महिला वर्ग में रेस में हिस्सा नहीं ले सकतीं।

हालांकि इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद है। दुनिया भर के कई जानकार इसे दुती चंद की निजता के हनन का मामला भी मानते हैं।

एथलेटिक्स के जानकारों को उम्मीद थी कि दुती पंद्रह साल पुराने 100 मीटर के पुराने रिकॉर्ड को (रचिता मिस्त्री-11.26 सेकेंड, जुलाई 2000) तोड़ देंगी। लेकिन एथलेटिक्स में हिस्सा नहीं लिए दिये जाने के मसले ने उन्हें तोड़कर रख दिया. इस बीच खुद ही ऐसे ही विवादों से गुज़र चुकीं एथलीट शान्ति सौंदराजन ने दुती के पक्ष में अपील की है ताकि दुती का करियर बचाया जा सके। एंग्लिअन मेडल हंट (दुती की प्रायोजक कंपनी) के सीईओ मनीष बहुगुणा कहते हैं कि दुती कनाडा में ट्रेनिंग करना चाहती हैं और इसके लिए जो भी खर्च आएगा वो उठाने को तैयार हैं.

खेल मंत्रालय व भारतीय खेल प्राधिकरण, उड़ीसा सरकार और एंग्लिअन मेडल हंट जैसी संस्थाओं की मदद से लुसान में मौजूद कोर्ट ऑफ़ आरबिट्रेशन में हक़ की लड़ाई लड़ रहीं दुती को चीन के वुहुआन में 3 से 7 जून के बीच होने वाले एशियन चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की इजाज़त मिल गई है।

हालांकि पाइपर एंड्रोजेनिज़्म पर अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स परिषद यानी IAAF का फ़ैसला आना बाक़ी है। इसलिए दुती को दूसरे कॉन्टिनेंटल या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की इजाज़त नहीं दी गई है। लेकिन दुती ने रेस शुरू होने से पहले ही जैसे बड़ी बाज़ी मार ली है।

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