 
                                            वर्ल्ड चैंपियनशिप में पीवी सिंधु ने रजत और साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता
                                                                                                                        - कहा-सर्जरी के बाद लग रहा था वापसी कर भी पाऊंगी या नहीं
- ओकुहारा के खिलाफ मैच में पहला गेम जीतने के बाद चूक गई
- यह भारतीय बैडमिंटन का गोल्डन टाइम, कई खिलाड़ी उभरे
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        ग्लास्गो में आयोजित वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में नई मिसाल कायम करने के बाद भारतीय बैडमिंटन की तस्वीर बदली-बदली नज़र आ रही है. वहां पीवी सिंधु ने जहां रजत पदक जीता वहीं साइना नेहवाल ने कांस्य पदक अपने नाम किया. बड़ी बात ये भी थी कि साइना ने  घुटने की सर्जरी के बाद ये मुकाम हासिल किया. भारत ने पिछले 7 साल में वर्ल्ड चैंपियनशिप में 6 मेडल अपने नाम कर दबदबा हासिल कर दिया है. इस जीत के बाद सायना ने NDTV से ख़ास बात की. इस दौरान साइना ने फुल फिटनेस हासिल करने को अपनी पहली प्राथमिकता बताया. उन्होंने कहा कि अगर मेरी फ़िटनेस ठीक रही तो मैं फिर से नंबर वन बन सकती हूं.
सवाल: साइना, एक साल पहले घुटने के ऑपरेशन के बाद आपने लगभग बैडमिंटन छोड़ने का फ़ैसला कर लिया था. अब एक साल बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में इतनी बड़ी जीत. वहां से यहां तक का ये सफ़र कैसा रहा?
साइना नेहवाल: चोट से वापसी करना ज़रूर मुश्किल होता है. सालभर पहले घुटने की सर्जरी के बाद मैं अस्पताल में बैड पर थी. मेरे लिए ये नया अनुभव था. इसलिए डाउट हो रहा था कि वापसी करूंगी या नहीं.. लेकिन इसमें मेरे फ़िज़ियो की टीम, ख़ासकर हीथ मैथ्यूज़ ने बेहद अहम रोल अदा किया. उन्होंने मुझे मेरी फ़िटनेस और स्ट्रेंथ हासिल करने में बड़ी मदद की. ये आसान नहीं होता है कि आप घुटने की सर्जरी के बाद वापसी करते हुए सबको हराकर मैच जीत पाएं. लेकिन मैं बैक टू बैक 4-5 मुश्किल खिलाड़ियों को हरा सकती हूं. इसलिए भी मैं ये मेडल जीत पाई. अच्छी बात ये है कि अब मैं कोर्ट पर अच्छा मूव कर रही हूं. कोर्ट पर अब मुझे मूव करना अच्छा लग रहा है. मेरा अनुभव बढ़ रहा है. आत्मविश्वास बढ़ रहा है. मैं लगातार बेहतर कर रही हूं.
  कोच विमल कुमार और पी गोपीचंद के साथ साइना नेहवाल और पीवी सिंधु.
कोच विमल कुमार और पी गोपीचंद के साथ साइना नेहवाल और पीवी सिंधु.
सवाल: ओकुहारा के ख़िलाफ़ पहला गेम आपने एकतरफ़ा जीता लेकिन फिर ओकुहारा मैच निकाल ले गईं. उस हार का मलाल है?
साइना नेहवाल: बुरा तो ज़रूर लगता है. लेकिन उससे पिछली रात मैं स्कॉटलैंड की किर्स्टि गिलमोर के ख़िलाफ़ देर रात तक मैच खेलती रही और मुझे रिकवरी टाइम बहुत कम मिल पाया. ये बहाने की बात नहीं है. रिकवरी टाइम कम मिले तो वाकई मुश्किल होती है. मैं जानती थी कि नोज़ोमी ओकुहारा लंबी-लंबी रैली खेलती हैं. इसलिए मुझे अंदाज़ा था कि मैच लंबा ख़िंचेगा. वो अच्छा खेल रही थीं और अपने बेहतरीन फ़ॉर्म में थीं. मैं पहला गेम खेलने के बाद थोड़ा चूक गई और वो मैच निकाल ले गईं. इसलिए बुरा तो लगता है. लेकिन ये भी कहूंगी कि वो किस्मत वाली हैं. फ़ाइनल में भी किस्मत ने उनका साथ दिया. वे पिछड़ने के बावजूद मैच जीत गईं. मेरे लिए अच्छी बात ये रही कि मैं अपना 100 फ़ीसदी दे पाई.
यह भी पढ़ें :कोच विमल ने बताया, इस कारण सेमीफाइनल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं साइना
सवाल: क्या इसे भारतीय बैडमिंटन का सबसे बेहतर वक्त मान सकते हैं?
साइना नेहवाल: बिल्कुल. ये भारतीय बैडमिंटन का गोल्डन टाइम है. गर्ल्स में मैं और सिंधु तो अच्छा कर ही रही हैं. बॉयज़ में (किदांबी) श्रीकांत और साई प्रणीत जैसे खिलाड़ी अच्छा कर रहे हैं. अगर और खिलाड़ी अच्छा करते हैं तो हम भी चीन और जापान की तरह बैडमिंटन में स्पोर्टिंग नेशन बन सकते हैं. अच्छी बात ये है कि हमें उस दिशा में बढ़ने के पॉज़िटिव (सकारात्मक) संकेत मिल रहे हैं.
वीडियो : ग्लास्गो से रजत जीतकर स्वदेश लौटीं सिंधु
सवाल: इस जीत से आपकी रैंकिंग बढ़ेगी. क्या फिर से वर्ल्ड नंबर 1 बनना आपका टारगेट होगा?
साइना नेहवाल: मेरा टारगेट मेरी फ़िटनेस और स्ट्रेंथ को हासिल करना है. मेरी सबसे बड़ा दुश्मन इस समय मेरी फ़िटनेस ही है. मैं इसे लेकर फ़िक्रमंद नहीं हूं कि मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप या कहीं और पदक जीतूंगी या नहीं. अगर मेरी फ़िटनेस और स्ट्रेंथ ठीक रहा तो मैं फिर से नंबर वन क्यों नहीं बन सकती? सब ठीक रहा तो ऐसा हो सकता है और मैं फिर से इसकी संभावनाएं देख रही हूं.
                                                                        
                                    
                                सवाल: साइना, एक साल पहले घुटने के ऑपरेशन के बाद आपने लगभग बैडमिंटन छोड़ने का फ़ैसला कर लिया था. अब एक साल बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में इतनी बड़ी जीत. वहां से यहां तक का ये सफ़र कैसा रहा?
साइना नेहवाल: चोट से वापसी करना ज़रूर मुश्किल होता है. सालभर पहले घुटने की सर्जरी के बाद मैं अस्पताल में बैड पर थी. मेरे लिए ये नया अनुभव था. इसलिए डाउट हो रहा था कि वापसी करूंगी या नहीं.. लेकिन इसमें मेरे फ़िज़ियो की टीम, ख़ासकर हीथ मैथ्यूज़ ने बेहद अहम रोल अदा किया. उन्होंने मुझे मेरी फ़िटनेस और स्ट्रेंथ हासिल करने में बड़ी मदद की. ये आसान नहीं होता है कि आप घुटने की सर्जरी के बाद वापसी करते हुए सबको हराकर मैच जीत पाएं. लेकिन मैं बैक टू बैक 4-5 मुश्किल खिलाड़ियों को हरा सकती हूं. इसलिए भी मैं ये मेडल जीत पाई. अच्छी बात ये है कि अब मैं कोर्ट पर अच्छा मूव कर रही हूं. कोर्ट पर अब मुझे मूव करना अच्छा लग रहा है. मेरा अनुभव बढ़ रहा है. आत्मविश्वास बढ़ रहा है. मैं लगातार बेहतर कर रही हूं.

सवाल: ओकुहारा के ख़िलाफ़ पहला गेम आपने एकतरफ़ा जीता लेकिन फिर ओकुहारा मैच निकाल ले गईं. उस हार का मलाल है?
साइना नेहवाल: बुरा तो ज़रूर लगता है. लेकिन उससे पिछली रात मैं स्कॉटलैंड की किर्स्टि गिलमोर के ख़िलाफ़ देर रात तक मैच खेलती रही और मुझे रिकवरी टाइम बहुत कम मिल पाया. ये बहाने की बात नहीं है. रिकवरी टाइम कम मिले तो वाकई मुश्किल होती है. मैं जानती थी कि नोज़ोमी ओकुहारा लंबी-लंबी रैली खेलती हैं. इसलिए मुझे अंदाज़ा था कि मैच लंबा ख़िंचेगा. वो अच्छा खेल रही थीं और अपने बेहतरीन फ़ॉर्म में थीं. मैं पहला गेम खेलने के बाद थोड़ा चूक गई और वो मैच निकाल ले गईं. इसलिए बुरा तो लगता है. लेकिन ये भी कहूंगी कि वो किस्मत वाली हैं. फ़ाइनल में भी किस्मत ने उनका साथ दिया. वे पिछड़ने के बावजूद मैच जीत गईं. मेरे लिए अच्छी बात ये रही कि मैं अपना 100 फ़ीसदी दे पाई.
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सवाल: क्या इसे भारतीय बैडमिंटन का सबसे बेहतर वक्त मान सकते हैं?
साइना नेहवाल: बिल्कुल. ये भारतीय बैडमिंटन का गोल्डन टाइम है. गर्ल्स में मैं और सिंधु तो अच्छा कर ही रही हैं. बॉयज़ में (किदांबी) श्रीकांत और साई प्रणीत जैसे खिलाड़ी अच्छा कर रहे हैं. अगर और खिलाड़ी अच्छा करते हैं तो हम भी चीन और जापान की तरह बैडमिंटन में स्पोर्टिंग नेशन बन सकते हैं. अच्छी बात ये है कि हमें उस दिशा में बढ़ने के पॉज़िटिव (सकारात्मक) संकेत मिल रहे हैं.
वीडियो : ग्लास्गो से रजत जीतकर स्वदेश लौटीं सिंधु
सवाल: इस जीत से आपकी रैंकिंग बढ़ेगी. क्या फिर से वर्ल्ड नंबर 1 बनना आपका टारगेट होगा?
साइना नेहवाल: मेरा टारगेट मेरी फ़िटनेस और स्ट्रेंथ को हासिल करना है. मेरी सबसे बड़ा दुश्मन इस समय मेरी फ़िटनेस ही है. मैं इसे लेकर फ़िक्रमंद नहीं हूं कि मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप या कहीं और पदक जीतूंगी या नहीं. अगर मेरी फ़िटनेस और स्ट्रेंथ ठीक रहा तो मैं फिर से नंबर वन क्यों नहीं बन सकती? सब ठीक रहा तो ऐसा हो सकता है और मैं फिर से इसकी संभावनाएं देख रही हूं.
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