तमिलनाडु विधानसभा में स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक के विधायकों ने हंगामा किया.
- द्रमुक ने राज्य सचिवालय की तरफ जाने वाली सड़क को अवरुद्ध किया
- पुलिस ने विधायकों को हिरासत में लेने के बाद छोड़ा
- स्टालिन ने की अन्नाद्रमुक सरकार को बर्खास्त करने की मांग
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चेन्नई:
सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के मुद्दे पर चर्चा की मांग खारिज होने पर एमके स्टालिन के नेतृत्व में विपक्षी द्रमुक विधायकों ने नकदी नोट लहराए और हंगामा बंद नहीं होने पर उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया.
बजट सत्र के पहले दिन कथित खरीद फरोख्त का मुद्दा गूंज उठा. स्टालिन और द्रमुक के अन्य विधायकों ने विधानसभा परिसर के भीतर ही स्थित राज्य सचिवालय की तरफ जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया. पुलिस ने उन सबको हिरासत में ले लिया. कुछ देर तक एक भवन में हिरासत में रखने के बाद पुलिस ने विधायकों को छोड़ दिया.
स्टालिन कथित खरीद फरोख्त मुद्दे पर अन्नाद्रमुक सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे .
उधर, स्टालिन और अन्य विधायकों को बाहर करने के खिलाफ राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन के दौरान द्रमुक के कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए. जबरदस्त गुटबाजी की शिकार अन्नाद्रमुक के लिए मुश्किलें तब बढ़ गईं जब ओ पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले बागी धड़े से जुड़े विधायक एसएस सर्वणन ने टीवी के एक स्टिंग ऑपरेशन में 18 फरवरी को सत्तारूढ़ पार्टी विधायकों की खरीद फरोख्त का दावा किया. मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने विश्वासमत हासिल किया था.
सर्वणन ने कल कहा था कि टीवी चैनल द्वारा प्रसारित वीडियो फुटेज में वही थे लेकिन आवाज उनकी नहीं थी. विधानसभा में अध्यक्ष पी धनपाल ने कहा कि मुद्दा अदालत में विचाराधीन है, क्योंकि पलानीस्वामी के पक्ष में गए विश्वासमत को चुनौती देने वाली द्रमुक की याचिका मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित है.
इसके बावूजद द्रमुक सदस्य सदन में खड़े रहे और मुद्दे पर चर्चा की अपनी मांग पर अड़े रहे और नारेबाजी करते रहे. इस पर अध्यक्ष ने द्रमुक के सभी सदस्यों को बाहर करने का आदेश दिया. राज्य में 234 सदस्यीय विधानसभा में द्रमुक के 88 विधायक हैं. इससे पहले तीन सप्ताह तक चलने वाले विधानसभा सत्र का हंगामेदार आगाज हुआ. द्रमुक ने कथित खरीद-फरोख्त के मुद्दे को उठाने की अनुमति मांगी.
द्रमुक विधायक नारेबाजी करते हुए एकत्र हुए और उनमें से कुछ नकदी नोट, अखबारों की कतरनें लहरा रहे थे. बाहर किए जाने के बाद स्टालिन और द्रमुक के अन्य विधायकों ने विधानसभा परिसर के भीतर ही स्थित राज्य सचिवालय की तरफ जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया. पुलिस ने उन सबको हिरासत में ले लिया .
पुलिस द्वारा रिहा किए जाने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'हम कल विधानसभा जाएंगे और फिर से मुद्दा उठाएंगे. सरकार से समुचित स्पष्टीकरण की मांग को लेकर हम आवाज उठाने के अपने वैध अधिकार को उठाते रहेंगे.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बजट सत्र के पहले दिन कथित खरीद फरोख्त का मुद्दा गूंज उठा. स्टालिन और द्रमुक के अन्य विधायकों ने विधानसभा परिसर के भीतर ही स्थित राज्य सचिवालय की तरफ जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया. पुलिस ने उन सबको हिरासत में ले लिया. कुछ देर तक एक भवन में हिरासत में रखने के बाद पुलिस ने विधायकों को छोड़ दिया.
स्टालिन कथित खरीद फरोख्त मुद्दे पर अन्नाद्रमुक सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे .
उधर, स्टालिन और अन्य विधायकों को बाहर करने के खिलाफ राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन के दौरान द्रमुक के कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए. जबरदस्त गुटबाजी की शिकार अन्नाद्रमुक के लिए मुश्किलें तब बढ़ गईं जब ओ पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले बागी धड़े से जुड़े विधायक एसएस सर्वणन ने टीवी के एक स्टिंग ऑपरेशन में 18 फरवरी को सत्तारूढ़ पार्टी विधायकों की खरीद फरोख्त का दावा किया. मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने विश्वासमत हासिल किया था.
सर्वणन ने कल कहा था कि टीवी चैनल द्वारा प्रसारित वीडियो फुटेज में वही थे लेकिन आवाज उनकी नहीं थी. विधानसभा में अध्यक्ष पी धनपाल ने कहा कि मुद्दा अदालत में विचाराधीन है, क्योंकि पलानीस्वामी के पक्ष में गए विश्वासमत को चुनौती देने वाली द्रमुक की याचिका मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित है.
इसके बावूजद द्रमुक सदस्य सदन में खड़े रहे और मुद्दे पर चर्चा की अपनी मांग पर अड़े रहे और नारेबाजी करते रहे. इस पर अध्यक्ष ने द्रमुक के सभी सदस्यों को बाहर करने का आदेश दिया. राज्य में 234 सदस्यीय विधानसभा में द्रमुक के 88 विधायक हैं. इससे पहले तीन सप्ताह तक चलने वाले विधानसभा सत्र का हंगामेदार आगाज हुआ. द्रमुक ने कथित खरीद-फरोख्त के मुद्दे को उठाने की अनुमति मांगी.
द्रमुक विधायक नारेबाजी करते हुए एकत्र हुए और उनमें से कुछ नकदी नोट, अखबारों की कतरनें लहरा रहे थे. बाहर किए जाने के बाद स्टालिन और द्रमुक के अन्य विधायकों ने विधानसभा परिसर के भीतर ही स्थित राज्य सचिवालय की तरफ जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया. पुलिस ने उन सबको हिरासत में ले लिया .
पुलिस द्वारा रिहा किए जाने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'हम कल विधानसभा जाएंगे और फिर से मुद्दा उठाएंगे. सरकार से समुचित स्पष्टीकरण की मांग को लेकर हम आवाज उठाने के अपने वैध अधिकार को उठाते रहेंगे.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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