प्रेमचंद की 136वीं जयंती पर गूगल का खास डूडल।
नई दिल्ली:
कथाकार मुंशी प्रेमचंद की 136वीं सालगिरह पर गूगल इंडिया ने उन्हें अनोखे तरीके से याद किया है. सबसे बड़े सर्च इंजन ने अपने होम पेज पर प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास 'गोदान' का डूडल लगाया है.
साल 1880 में उत्तर प्रदेश के लमही गांव में जन्में प्रेमचंद का नाम हिंदी साहित्य जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है. उनके उपन्यास और कहानी देश ही नहीं दुनियाभर में पसंद किए जाते हैं. उनके द्वारा लिखे साहित्य की खासियत है कि उनके किरदार और उनकी समस्याएं आज भी प्रासंगिक हैं.
उनके उपन्यास 'गोदान', 'निर्मला', 'गबन', 'सेवा सदन' भारतीय समाज के ताने-बाने, ग्रामीण जनजीवन और किसानों की व्यथा को दिखाते हैं. उनकी कहानियां 'पूस की रात', 'बड़े घर की बेटी', 'शतरंज के खिलाड़ी' कालजयी रचनाएं हैं. प्रेमचंद को 'कलम का सिपाही' भी कहा जाता है.
प्रेमचंद की ज्यादातर कहानियां एक अच्छी सीख के साथ खत्म होती हैं. चाहे छोटे बच्चे हामिद की कहानी 'ईदगाह' हो, चाहे सामाजिक न्याय का संदेश देती 'पंच परमेश्वर' हो.
प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था, आठ साल की उम्र में उनकी मां का देहांत हो गया और उनके पिता दूसरी शादी कर ली. प्रेमचंद की शादी 15 साल की उम्र में ही हो गई थी, 1897 में पिता की मृत्यु के बाद 17 साल की उम्र में ही उन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई. कुछ समय बाद उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर मायके चली गई. प्रेमचंद ने बाद में बाल विधवा शिवरानी देवी से शादी कर ली, जिनसे उनकी तीन संतानें हुईं.
साल 1880 में उत्तर प्रदेश के लमही गांव में जन्में प्रेमचंद का नाम हिंदी साहित्य जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है. उनके उपन्यास और कहानी देश ही नहीं दुनियाभर में पसंद किए जाते हैं. उनके द्वारा लिखे साहित्य की खासियत है कि उनके किरदार और उनकी समस्याएं आज भी प्रासंगिक हैं.
उनके उपन्यास 'गोदान', 'निर्मला', 'गबन', 'सेवा सदन' भारतीय समाज के ताने-बाने, ग्रामीण जनजीवन और किसानों की व्यथा को दिखाते हैं. उनकी कहानियां 'पूस की रात', 'बड़े घर की बेटी', 'शतरंज के खिलाड़ी' कालजयी रचनाएं हैं. प्रेमचंद को 'कलम का सिपाही' भी कहा जाता है.
प्रेमचंद की ज्यादातर कहानियां एक अच्छी सीख के साथ खत्म होती हैं. चाहे छोटे बच्चे हामिद की कहानी 'ईदगाह' हो, चाहे सामाजिक न्याय का संदेश देती 'पंच परमेश्वर' हो.
प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था, आठ साल की उम्र में उनकी मां का देहांत हो गया और उनके पिता दूसरी शादी कर ली. प्रेमचंद की शादी 15 साल की उम्र में ही हो गई थी, 1897 में पिता की मृत्यु के बाद 17 साल की उम्र में ही उन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई. कुछ समय बाद उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर मायके चली गई. प्रेमचंद ने बाद में बाल विधवा शिवरानी देवी से शादी कर ली, जिनसे उनकी तीन संतानें हुईं.
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