
राजस्थान के चूरू जिले में एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है. यहां 21वीं सदी में भी समाज में गहरी जड़ें जमाए बैठे जातीय भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर किया है. जिले के साडासर गांव में एक ठाकुरजी मंदिर में दलित युवकों को प्रवेश से रोका गया और विरोध करने पर उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद व्यापक आक्रोश फैल गया, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की है.
रविवार शाम गांव की गौशाला में भागवत कथा का समापन हुआ था, जिसके बाद शोभायात्रा निकाली गई. 19 वर्षीय कानाराम मेघवाल अपने दोस्तों के साथ ठाकुरजी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे. इसी दौरान, गांव के कुछ लोगों ने उन्हें जातिसूचक टिप्पणियां करते हुए मंदिर में घुसने से रोक दिया. जब कानाराम ने इसका विरोध किया, तो आरोपियों ने उन्हें लात-घूंसों और डंडों से बुरी तरह पीटा, जिससे वह घायल हो गए. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पूरे राज्य में रोष पैदा कर दिया है.

पुलिस कार्रवाई और समाज का आक्रोश
घटना के बाद, आक्रोशित दलित समाज के लोग भानीपुरा थाने के बाहर जमा हो गए और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए धरना-प्रदर्शन किया. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. दो को हिरासत में लिया है. हालांकि, पुलिस की कार्रवाई के बावजूद, यह घटना समाज के लिए एक गंभीर सवाल छोड़ जाती है कि क्या आज भी हमें ऐसे भेदभाव का सामना करना पड़ेगा.
मानसिकता पर सवाल
यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि यह उस मानसिकता को भी दर्शाती है, जो आज भी कुछ लोगों के दिमाग में बसी हुई है. संविधान में समानता का अधिकार होने के बावजूद, ऐसे मामले यह दिखाते हैं कि कानूनी प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने और समाज की सोच को बदलने के लिए अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है.

यह घटना हमें याद दिलाती है कि जातीय भेदभाव के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. यह समाज के हर वर्ग के लिए एक चुनौती है कि वे इस तरह की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता मिले.
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