मोहन भागवत (फाइल फोटो)
जयपुर:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को संघ के स्वयंसेवकों को शाखाओं को सर्व स्पर्शी बनाने के साथ अपने-अपने क्षेत्र में सामाजिक समरसता के लिये कार्य करने को कहा. उन्होंने कहा कि इसके लिये कार्यकर्ताओं को सही तरीके से योजना बनानी चाहिए. राजस्थान के नागौर में आरएसएस की बैठक के एक सत्र को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जनमानस को भी सामाजिक समरसता के कार्य करने लिये योग्य बनाना है, इस कार्य को शीघ्र गति से शाखाओं द्वारा करना हम सभी स्वयंसेवकों का दायित्व है. उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता जितनी सर्वव्यापी होगी उतना ही संगठित समाज होगा जिससे देश मजबूत व शक्तिशाली होगा.
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उन्होंने कहा कि हर गांव स्वावलंबी बने, हर गांव में सभी जातियों के लिये प्रयुक्त किये जाने वाला एक कुंआ, एक मंदिर व एक श्मशान हो. हमारा कार्य सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी एवं समरसता युक्त हो यह भी कार्यकर्ताओं को अपने व्यवहार से सिद्ध करना होगा. संघ के सरसंचालक ने विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए इस कार्यक्रम में कार्यकर्ता के व्यवहार, भूमिका व कार्य करने की निरंतरता पर बल दिया. अपने व्यवहार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अपने विचार को संतुलित व मर्यादित ढंग से रखना एक कार्यकर्ता के लिये बहुत जरूरी है.
VIDEO: मुकाबला: क्या वक्त के साथ बदल रहा है संघ?
मोहन भागवत ने साथ यह कहा कि जिस प्रकार कोण की रेखाएं दूर जाते जाते अत्यधिक दूरी पर हो जाती है उसी प्रकार छोटी-छोटी बातें ठीक प्रकार से व्यक्त न होने पर आगे जाते जाते और अधिक विकृत रूप से प्रस्तुत की जाने लगती हैं.
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उन्होंने कहा कि हर गांव स्वावलंबी बने, हर गांव में सभी जातियों के लिये प्रयुक्त किये जाने वाला एक कुंआ, एक मंदिर व एक श्मशान हो. हमारा कार्य सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी एवं समरसता युक्त हो यह भी कार्यकर्ताओं को अपने व्यवहार से सिद्ध करना होगा. संघ के सरसंचालक ने विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए इस कार्यक्रम में कार्यकर्ता के व्यवहार, भूमिका व कार्य करने की निरंतरता पर बल दिया. अपने व्यवहार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अपने विचार को संतुलित व मर्यादित ढंग से रखना एक कार्यकर्ता के लिये बहुत जरूरी है.
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मोहन भागवत ने साथ यह कहा कि जिस प्रकार कोण की रेखाएं दूर जाते जाते अत्यधिक दूरी पर हो जाती है उसी प्रकार छोटी-छोटी बातें ठीक प्रकार से व्यक्त न होने पर आगे जाते जाते और अधिक विकृत रूप से प्रस्तुत की जाने लगती हैं.
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