बलवान पूनिया जेल भी जा चुके हैं, लेकिन वे किसानों की आवाज उठाते रहे हैं.
नई दिल्ली:
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कई ऐसे उम्मीदवार जीतकर आये हैं, जिनके पास न तो पैसा है न कोई गॉड फादर लेकिन इनके लिए जो भगवान साबित हुए वो हैं किसान, युवा और आम आदमी. जिनकी बदौलत इन्हें विधानसभा में पहुंचने का मौका मिला है. आज आपको ऐसे ही एक किसान नेता से मिलवाते हैं जो कई सालों से किसानों की आवाज़ उठा रहे हैं, बीजेपी शासन के दौरान छह महीने जेल में रहे, लेकिन इस बार बीजेपी के प्रत्याशी को ही हराकर चुनाव जीता है. बलवान पूनिया ने राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के भद्रा विधान सभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी संजीव कुमार को लगभग 23 हजार वोटों से मात दी है. आपको बता दें कि संजीव कुमार 2013 में बीजेपी टिकट से यहां चुनाव जीते थे, जबकि 1998 में कांग्रेस केे टिकट से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार बलवान पूनिया ने धूल चटा दी.
एनडीटीवी से बात करते हुए पूनिया ने कहा कि संसाधन की कमी होने के बावजूद भी मैं चुनाव जीता और किसानों ने मुझे जिताया. पूनिया के लिए प्रचार में सी.पी.एम. का कोई बड़ा नेता नहीं गया था, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के लिए कई बड़े नेता प्रचार के लिए भद्रा गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हनुमानगढ़ में रैली किये थे. पूनिया पिछले 20 सालों से युवा और किसानों की हक़ के लिए आवाज़ उठा रहे हैं. आपको बता दें कि बलवान कला में ग्रेजुएशन के साथ साथ लॉ में डिग्री भी लिए हैं. बलवान पूनिया ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए उनके पास ज्यादा पैसा नहीं था, लेकिन किसानों ने मदद की. आपको बता दें कि पूनिया खुद किसान परिवार से हैं. हालांकि उनके पास सिर्फ आठ बीघा जमीन है. खेती से ही वे परिवार का भरण-पोषण करते हैं. पूनिया ने कहा कि अभी उनके उपर 50 हज़ार का लोन बकाया है, जबकि उनके पिता भी खेती के लिए लोन लेते रहते हैं.
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पूनिया ने कहा कि उनका मुंह बंद करने के लिए सरकार कई केस भी कर चुकी है. उनके ऊपर 33 FIR हैं, जबकि 13 मुक़दमें चल रहे हैं. 2006 में रावल-घड़साना किसान आंदोलन के दौरान राज्य की बीजेपी सरकार ने पूनिया पर शांति भंग करने का आरोप लगाते हुए छह महीने तक चुरू जेल में रखा था. उस समय पूनिया की उम्र 27 साल थी. बलवान पूनिया ने कहा कि अब किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी को लेकर वे सरकार से बात करेंगे. साथ ही किसानों की दूसरी समस्याओं पर भी ध्यान होगा. आपको बता दें कि 2017 में पूनिया के नेतृत्व में फसल बीमा योजना को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था और इसके बाद किसानों को 152 करोड़ रुपया बीमा का क्लेम मिला था. वहीं कुछ महीने पहले भी पूनिया के नेतृत्व में हनुमानगढ़ में 38 दिनों तक किसानों ने आंदोलन किया था. इस आंदोलन के बाद 1300 किसानों को तीन करोड़ के करीब बीमा का क्लेम मिला था और कई किसानों के ब्याज भी वापस हुए.
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एनडीटीवी से बात करते हुए पूनिया ने कहा कि संसाधन की कमी होने के बावजूद भी मैं चुनाव जीता और किसानों ने मुझे जिताया. पूनिया के लिए प्रचार में सी.पी.एम. का कोई बड़ा नेता नहीं गया था, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के लिए कई बड़े नेता प्रचार के लिए भद्रा गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हनुमानगढ़ में रैली किये थे. पूनिया पिछले 20 सालों से युवा और किसानों की हक़ के लिए आवाज़ उठा रहे हैं. आपको बता दें कि बलवान कला में ग्रेजुएशन के साथ साथ लॉ में डिग्री भी लिए हैं. बलवान पूनिया ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए उनके पास ज्यादा पैसा नहीं था, लेकिन किसानों ने मदद की. आपको बता दें कि पूनिया खुद किसान परिवार से हैं. हालांकि उनके पास सिर्फ आठ बीघा जमीन है. खेती से ही वे परिवार का भरण-पोषण करते हैं. पूनिया ने कहा कि अभी उनके उपर 50 हज़ार का लोन बकाया है, जबकि उनके पिता भी खेती के लिए लोन लेते रहते हैं.
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पूनिया ने कहा कि उनका मुंह बंद करने के लिए सरकार कई केस भी कर चुकी है. उनके ऊपर 33 FIR हैं, जबकि 13 मुक़दमें चल रहे हैं. 2006 में रावल-घड़साना किसान आंदोलन के दौरान राज्य की बीजेपी सरकार ने पूनिया पर शांति भंग करने का आरोप लगाते हुए छह महीने तक चुरू जेल में रखा था. उस समय पूनिया की उम्र 27 साल थी. बलवान पूनिया ने कहा कि अब किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी को लेकर वे सरकार से बात करेंगे. साथ ही किसानों की दूसरी समस्याओं पर भी ध्यान होगा. आपको बता दें कि 2017 में पूनिया के नेतृत्व में फसल बीमा योजना को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था और इसके बाद किसानों को 152 करोड़ रुपया बीमा का क्लेम मिला था. वहीं कुछ महीने पहले भी पूनिया के नेतृत्व में हनुमानगढ़ में 38 दिनों तक किसानों ने आंदोलन किया था. इस आंदोलन के बाद 1300 किसानों को तीन करोड़ के करीब बीमा का क्लेम मिला था और कई किसानों के ब्याज भी वापस हुए.
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