कहा जाता है कि जल ही जीवन है, लेकिन राजस्थान के 11 इलाकों में पानी लोगों के जीवन पर खतरा बनकर मंडरा रहा है. वहां का पानी उनकी सेहत खराब कर रहा है. यहां के पानी में नाइट्रेट फ्लोराइड और टोटल डिजॉल्वड सॉलिड यानी (TDS) की मात्रा बहुत अधिक पाई गई है. NDTV की खास रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दूषित पानी का असर अब लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है.
जब NDTV ने फतेहपुर शेखावाटी जिले के 65 साल की एक वृद्ध महिला संतोष हुड्डा से बात की तो पता चला कि पिछले 10 साल से वह घुटने और कमर के दर्द से परेशान रहती है. उनका दर्द इतना ज्यादा है कि न तो वह कोई काम नहीं कर पाती हैं और न हीं ठीक से खड़ी हो पाती हैं. ऐसा नहीं है कि उन्होंने इलाज नहीं करावाया, उन्होंने बताया कि वह इलाज के लिए जयपुर, सीकर, फतेहपुर शेखावाटी के अस्पतालों के चक्कर कई बार लगा चुकी हैं, लेकिन फिर भी हाल ऐसा है कि बिना दवाओं के तकलीफ और बढ़ जाती है. उनकी इस भारी परेशानी की वजह कुछ और नहीं बल्कि पानी है, जिसे वह सालों साल से पीती आ रही हैं. उनके पीने के पानी में फ्लोराइड है.
यह समस्या सिर्फ इस वृद्ध महिला के साथ ही नहीं है, बाकी लोगों का भी यही हाल है. पायरिया, दांत पीले होना, बाल झरना या सफेद होना चर्म रोग और कम उम्र में बूढ़ा दिखना ये इस इलाके की आम स्वास्थ्य से जुड़ी शिकायत है. झुन्झुनु जिले के कुनाज गांव के किसान नरेंद्र सिंग का भी यही हाल है. पिछले सात से वह दर्द झेल रहे हैं. ऐसे में दवाई ही उनका एकमात्र सहारा है.
इसको लेकर एक अस्पाल के कर्मचारी ने बताया कि इन समस्याओं सेबचने के लिए कैल्शियम की टैबलेट देते हैं. इसके अलावा विटामिन सी युक्त फल खाने की सलाह देते हैं. चूंकि हर किसी के पास आरओ की सुविधा नहीं है, इसलिए पानी को उबाल कर पीने की सलाह देते हैं.
हाल ही में राज्य के पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (पीएचइडी) ने राज्य में पानी की गुणवता का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया था. इस सर्वें में 33 जिलों के 235 शहरों के शामिल किया गया था. इस सर्वे में पाया गया कि आधे से ज्यादा जिले ग्राउंड वॉटर यानी भूजल पर निर्भर हैं, जो कि दूषित है. इस सर्वे में पाया गया कि राज्य के कई कस्बों में पीने के पानी में नाइट्रेट फ्लोराइड और टोटल डिजॉल्वड सॉलिड यानी (TDS) की मात्रा काफी ज्यादा थी.
आपको बता दें कि इस सर्वे में अलवर जिले का गोविंदगढ़,भिवाड़ी, खैरथल,...चुरु जिले का रतननगर...झुन्झुनु जिले का नवलगढ़, सूरजगढ़, चुड़ावा... भरतपुर जिले का नदबई... सीकर का फतेहपुर शेखावाटी,रामगढ़ शेखावाटी लोसल को मुख्य रूप से शामिल किया गया. इन इलाकों के पानी की गुणवता मानकों पर खड़ी नहीं उतरी है. वहीं, यहां के लोगों के सेहत से जुड़ी समस्याएं इन दावों के पुख्ता कर देती हैं कि यहां का पानी दूषित है.
साल 2002 के बाद से ये पहला मौका है, जब राज्य में इस तरह का सर्वे कराया गया है. ये सर्वे बता रहा है कि अगर पानी की गुणवता को सुधारना है तो राज्य सरकार को खास तौर पर इन 11 इलाकों की निर्भरता ग्राउंड वॉटर से खत्म करनी होगी. इसकी जगह पाइप के जरिये साफ पानी आम जनता तक पहुंचाना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग दूषित पानी पीकर इस तरह की बीमारियों से जूझते रहेंगे. वहीं, चुनावी समय में यह दूषित जल राज्य सरकार के लिए चुनौती बन सकता है.
भारत सरकार की जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान दूसरे नंबर पर है. साल 2019 में जब इस योजना का ऐलान हुआ था तो राजस्थान में 10 फीसदी नल कनेक्शन था. अब ये आंकड़ा 40 फीसदी के पार पहुंच गया है. लेकिन ये रिपोर्ट बता रही है कि अब भी राजस्थान के कई इलाकों में लोगों को साफ पानी का इंतजार है.
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