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This Article is From Jan 31, 2016

छत्तीसगढ़ : नक्सल प्रभावित आदिवासी ब्लॉक अंबागढ़ चौकी बना खुले में 'शौच मुक्त'

छत्तीसगढ़ : नक्सल प्रभावित आदिवासी ब्लॉक अंबागढ़ चौकी बना खुले में 'शौच मुक्त'
प्रतीकात्मक फोटो
रायपुर: राजनांदगांव जिले का सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़ा, आदिवासी बहुल एवं नक्सल प्रभावित ब्लॉक अंबागढ़ चौकी अब छत्तीसगढ़ राज्य का पहला खुले में शौच मुक्त विकास खंड बन गया है। इस विकास खंड की 69 ग्राम पंचायतों के कम से कम 151 गांव अब खुले में शौच की पुरानी प्रथा त्याग चुके हैं, क्योंकि घरों में शौचालयों का निर्माण हो चुका है।

अंबागढ़ चौकी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 150 किमी दूर है और यहां की आबादी करीब 1.05 लाख है। राजनांदगांव के कलेक्टर मुकेश बंसल ने बताया कि अंबागढ़ चौकी में अब कोई भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता। अगर कोई ऐसा करना भी चाहे तो प्रत्येक गांव में गठित सतर्कता समिति उन्हें इस शर्मनाक कुप्रथा के बारे में जागरूक करती है।

बंसल ने बताया कि न केवल अंबागढ़ चौकी खुले में शौच मुक्त पहला विकास खंड बना है बल्कि यह इस लक्ष्य को हासिल करने वाले नगर पंचायतों की अगुवाई भी कर रहा है। अंबागढ़ चौकी को यह उपलब्धि महिला स्व सहायता समूहों, स्थानीय समुदायों, जन प्रतिनिधियों और स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिला प्रशासन के सहयोग से हासिल हुई है।

कलेक्टर ने बताया कि लोगों को जागरूक बनाने में दीवार पर पेंटिंग और आकषर्क पोस्टरों की बड़ी भूमिका रही है। बंसल के अनुसार, अंबागढ़ चौकी के समीपवर्ती ब्लॉक छुरिया में यह लक्ष्य अगले माह के अंत तक हासिल होने की उम्मीद है। छुरिया भी आदिवासी बहुल इलाका है।

आंकड़ों के अनुसार, मुख्यमंत्री रमण सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव जिले की 200 ग्राम पंचायतों के तहत आने वाले करीब 500 गांव स्वच्छता अभियान के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त बन चुके हैं। स्वच्छ भारत मिशन के राज्य सलाहकार रूपेश राठौर ने बताया कि पूरा राज्य ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है।

राठौर ने दावा किया कि वर्ष 2014 में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ शुरू होने के बाद से करीब 1,232 गांव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं और इस साल के अंत तक राज्य के करीब 5,000 गांवों को इसके तहत कवर किया जाएगा। वर्ष 2012-13 के एक सर्वे के अनुसार, राज्य में 44 लाख ग्रामीण परिवारों में से केवल 17 लाख परिवारों के मकानों में ही शौचालय थे।

राठौर के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने के दौरान वर्ष 2019 तक 26 लाख शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया और अब तक इनमें से 1.50 लाख शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।

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