
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए हमले में पंजाब के चार जवान शहीद हो गए. जवानों के गांवों में मातम फैला है. शहीद हुए जवानों के गांवों में शोक की लहर है और उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजन उनके शवों के आने का इंतजार कर रहे हैं. ग्रामीणों और शहीदों के परिजनों ने हमले पर अपना गुस्सा निकाला और मांग की कि केंद्र सरकार को इन मौतों का बदला लेना चाहिए और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को करारा जवाब देना चाहिए. जम्मू एवं कश्मीर में 1989 में आतंकवाद के जन्म के बाद से घाटी में हुए सबसे घातक हमले में सीआरपीएफ के लगभग 40 से ज्यादा सैनिक शहीद हो गए और कई घायल घायल हो गए. गुरुवार को पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी अपनी एसयूवी को सीआरपीएफ जवानों की बस में टक्कर मारकर उड़ा दिया था. पंजाब के चार शहीदों में मोगा जिले के जैमाल सिंह, तरन तारन के सुखजिंदर सिंह, गुरदासपुर के मनिंदर सिंह अत्री और रोपड़ के कुलविंदर सिंह शामिल हैं.
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एक ग्रामवासी गुरनाम सिंह ने कहा, "सुखजिंदर का सात महीने का एक बेटा है जिसका जन्म आठ साल बाद हुआ है. वह कुछ दिन पहले ही अपने बेटे की पहली लोहड़ी पर घर आया था और हाल ही में वापस गया था." मोगा जिले के धरमकोट उपखंड में घलौटी गांव निवासी जैमाल सिंह (44) उस बस का चालक था जिस पर आतंकवादियों ने हमला किया था. उनके पिता जसवंत सिह ने कहा, "हमारा बेटा देश के लिए शहीद हो गया. हालांकि इसकी भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन हमारी सरकार और सेना को पाकिस्तान की इस कायराना हरकत के लिए उसे सबक सिखाना चाहिए.' जैमाल सिंह के घर में उनके बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, 10 वर्षीय बेटा और छोटा भाई है. मनिंदर सिंह अत्री के पिता सतपाल अत्री ने कहा कि उनका बेटा 13 फरवरी को ही छुट्टी के बाद ड्यूटी पर गया था और उसने जम्मू पहुंचने के बाद फोन किया था. सतपाल अत्री ने कहा, "वह अगले दिन ही शहीद हो गया. हमें उसकी कमी खलेगी, लेकिन हमें उस पर गर्व है."
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मनिंदर सिंह का छोटा भाई भी सीआरपीएफ में हैं और वर्तमान में असम में तैनात है. पुलवामा हमले में शहीद हुए एक अन्य सैनिक रोपड़ जिले में आनंदपुर साहिब निवासी कुलविंदर सिंह हैं. उनकी 2019 में शादी होने वाली थी. पंजाब और हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर आतंकवाद-विरोधी प्रदर्शनों की खबरें आई हैं.
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