नई दिल्ली:
वायु प्रदूषण और इससे होने वाली मौतों को लेकर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति घर के भीतर और बाहर असुरक्षित हवा में सांस ले रहा है. यानी दुनिया की करीब 95 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है.दूसरी तरफ प्रदूषण की वजह से दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में से करीब आधे भारत और चीन के लोग हैं. अनुसंधान में पाया गया कि प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव गरीब लोगों पर पड़ रहा है.
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शहरों के साथ-साथ गांव भी इसकी चपेट में है. एक तरफ शहरों में रहने वाले अरबों लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में घर के भीतर ठोस ईंधन जलाने से वायु प्रदूषण पैदा हो रहा है और लोग घुट रहे हैं. रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है कि सर्वाधिक प्रदूषण और सबसे कम प्रदूषण वाले देशों के बीच का अंतर भी तेजी से बढ़ रहा है. यह समस्या आगे और विकराल रूप ले सकती है.
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उपग्रह से प्राप्त नए डेटा से लगाया अनुमान :
अमेरिका में हैल्थ इफैक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त नए डेटा का बारीकी से अध्ययन किया. इस डेटा के जरिये उन लोगों की संख्या का अनुमान लगाया गया जो डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा वायु प्रदूषण के सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से अधिक स्तर के प्रदूषण में सांस रहे हैं। इसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
गौरतलब है कि दुनियाभर में वायु प्रदूषण बड़ी समस्या बनता जा रहा है. वायु प्रदूषण सेहत के लिए पर्यावरण से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम तो है ही. साथ ही विश्वभर में होने वाली कुल मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण भी. इसी वजह से तमाम देश इसको लेकर चिंतित हैं.
1- दुनिया में प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति जहरीली हवा का शिकार
2- दुनिया की करीब 95 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में ले रही सांस
3- दुनिया में प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में से करीब आधे भारत और चीन के निवासी (इनपुट भाषा से)
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शहरों के साथ-साथ गांव भी इसकी चपेट में है. एक तरफ शहरों में रहने वाले अरबों लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में घर के भीतर ठोस ईंधन जलाने से वायु प्रदूषण पैदा हो रहा है और लोग घुट रहे हैं. रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है कि सर्वाधिक प्रदूषण और सबसे कम प्रदूषण वाले देशों के बीच का अंतर भी तेजी से बढ़ रहा है. यह समस्या आगे और विकराल रूप ले सकती है.
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उपग्रह से प्राप्त नए डेटा से लगाया अनुमान :
अमेरिका में हैल्थ इफैक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त नए डेटा का बारीकी से अध्ययन किया. इस डेटा के जरिये उन लोगों की संख्या का अनुमान लगाया गया जो डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा वायु प्रदूषण के सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से अधिक स्तर के प्रदूषण में सांस रहे हैं। इसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
गौरतलब है कि दुनियाभर में वायु प्रदूषण बड़ी समस्या बनता जा रहा है. वायु प्रदूषण सेहत के लिए पर्यावरण से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम तो है ही. साथ ही विश्वभर में होने वाली कुल मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण भी. इसी वजह से तमाम देश इसको लेकर चिंतित हैं.
1- दुनिया में प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति जहरीली हवा का शिकार
2- दुनिया की करीब 95 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में ले रही सांस
3- दुनिया में प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में से करीब आधे भारत और चीन के निवासी (इनपुट भाषा से)
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