नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष से हाथ मिलाने पर राजनाथ सिंह ने उद्धव ठाकरे से बात की (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
नोटबंदी के खिलाफ विरोध जताने के लिए राजग के सहयोगी शिवसेना द्वारा विपक्ष के साथ हाथ मिला लिए जाने के एक दिन बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात की. ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने शिवसेना के इस कदम पर भाजपा की नाराजगी जाहिर की है.
ऐसा माना जा रहा है कि उद्धव के साथ 10 मिनट तक फोन पर हुई बातचीत में सिंह ने उन्हें कहा कि मोदी सरकार का हिस्सा होने के बावजूद विपक्ष के साथ हाथ मिला लिए जाने पर उलझन से भरा संकेत जा रहा है और इस कदम से बचा जा सकता था.
शिवसेना ने कल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन तक निकाले गए एक मार्च में आम आदमी पार्टी एवं नेशनल कांफ्रेंस के साथ हिस्सा लिया था.
इन दलों ने 1000 और 500 के नोटों को चलन से बाहर कर दिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के खिलाफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया. इन दलों ने सरकार के कदम के कारण आम लोगों के सामने पेश आ रही परेशानियों पर चिंता जाहिर की.
शिवसेना भाजपा की पुरानी सहयोगी है. यह केंद्र में मोदी सरकार और महाराष्ट्र में भाजपा सरकार की साझेदार है. मार्च में हिस्सा लेने वाले अन्य दल जहां नोटबंदी को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे थे, वहीं शिवसेना इस मुद्दे पर अलग राय रख रही थी. शिवसेना की मांग थी कि सरकार पुराने नोटों को स्वीकार करने की समय सीमा बढ़ा दे.
शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने कहा था, ‘‘हम नोटबंदी के कदम का स्वागत करते हैं. लेकिन हम इसके कारण लोगों को होने वाली असुविधा के खिलाफ हैं. (राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दिए गए) ज्ञापन पर हमने हस्ताक्षर नहीं किए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों को हो रही असुविधा पर गौर करने की मांग के साथ एक अलग ज्ञापन जमा करवाने जा रहे हैं. हम अवधि को बढ़वाना भी चाहते हैं.’’
मुंबई में, भाजपा के एक नेता ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘सिंह ने ठाकरे से बात की और इस अहम मुद्दे पर सत्ता के सहयोगी दल के रूख की वजह जानने की कोशिश की.’’ भाजपा के नेता ने कहा कि सिंह पिछले दिनों इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे से बात करने वाले तीसरे शीर्ष भाजपा नेता हैं.
भाजपा के नेता ने बताया कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और वैंकेया नायडू ने भी ठाकरे से बात की थी. शिवसेना अपने मुखपत्र ‘सामना’ में तीखे संपादकीय के जरिए 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर देने के लिए सरकार और प्रधानमंत्री को निशाना बनाता रहा है.
नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के भावुक होने पर तंज कसते हुए बीते 15 नवंबर को शिवसेना ने कहा था कि बड़ी नोट बंद करने का फैसला उनके (मोदी के) जीवन को उनके पूर्ववर्तियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तरह खतरे में नहीं डालेगा. वे लोग देश के सामने मौजूद बड़े लक्ष्यों के लिए लड़ते हुए मारे गए थे.
इससे पहले शिवसेना ने नोटबंदी के कदम को ‘‘अफरा-तफरी और अव्यवस्था से पूर्ण’’ बताया था. उसने कहा था कि इस कदम के कारण देश में ‘‘आर्थिक अराजकता’’ पैदा हो गई है.
सत्ता में सहयोगी दल ने यह भी कहा था पाकिस्तान पर हमला बोलने के बजाय मोदी ने उन भारतीय नागरिकों को घायल कर दिया है, जिनके पास कोई काला धन है ही नहीं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ऐसा माना जा रहा है कि उद्धव के साथ 10 मिनट तक फोन पर हुई बातचीत में सिंह ने उन्हें कहा कि मोदी सरकार का हिस्सा होने के बावजूद विपक्ष के साथ हाथ मिला लिए जाने पर उलझन से भरा संकेत जा रहा है और इस कदम से बचा जा सकता था.
शिवसेना ने कल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन तक निकाले गए एक मार्च में आम आदमी पार्टी एवं नेशनल कांफ्रेंस के साथ हिस्सा लिया था.
इन दलों ने 1000 और 500 के नोटों को चलन से बाहर कर दिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के खिलाफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया. इन दलों ने सरकार के कदम के कारण आम लोगों के सामने पेश आ रही परेशानियों पर चिंता जाहिर की.
शिवसेना भाजपा की पुरानी सहयोगी है. यह केंद्र में मोदी सरकार और महाराष्ट्र में भाजपा सरकार की साझेदार है. मार्च में हिस्सा लेने वाले अन्य दल जहां नोटबंदी को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे थे, वहीं शिवसेना इस मुद्दे पर अलग राय रख रही थी. शिवसेना की मांग थी कि सरकार पुराने नोटों को स्वीकार करने की समय सीमा बढ़ा दे.
शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने कहा था, ‘‘हम नोटबंदी के कदम का स्वागत करते हैं. लेकिन हम इसके कारण लोगों को होने वाली असुविधा के खिलाफ हैं. (राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दिए गए) ज्ञापन पर हमने हस्ताक्षर नहीं किए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों को हो रही असुविधा पर गौर करने की मांग के साथ एक अलग ज्ञापन जमा करवाने जा रहे हैं. हम अवधि को बढ़वाना भी चाहते हैं.’’
मुंबई में, भाजपा के एक नेता ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘सिंह ने ठाकरे से बात की और इस अहम मुद्दे पर सत्ता के सहयोगी दल के रूख की वजह जानने की कोशिश की.’’ भाजपा के नेता ने कहा कि सिंह पिछले दिनों इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे से बात करने वाले तीसरे शीर्ष भाजपा नेता हैं.
भाजपा के नेता ने बताया कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और वैंकेया नायडू ने भी ठाकरे से बात की थी. शिवसेना अपने मुखपत्र ‘सामना’ में तीखे संपादकीय के जरिए 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर देने के लिए सरकार और प्रधानमंत्री को निशाना बनाता रहा है.
नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के भावुक होने पर तंज कसते हुए बीते 15 नवंबर को शिवसेना ने कहा था कि बड़ी नोट बंद करने का फैसला उनके (मोदी के) जीवन को उनके पूर्ववर्तियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तरह खतरे में नहीं डालेगा. वे लोग देश के सामने मौजूद बड़े लक्ष्यों के लिए लड़ते हुए मारे गए थे.
इससे पहले शिवसेना ने नोटबंदी के कदम को ‘‘अफरा-तफरी और अव्यवस्था से पूर्ण’’ बताया था. उसने कहा था कि इस कदम के कारण देश में ‘‘आर्थिक अराजकता’’ पैदा हो गई है.
सत्ता में सहयोगी दल ने यह भी कहा था पाकिस्तान पर हमला बोलने के बजाय मोदी ने उन भारतीय नागरिकों को घायल कर दिया है, जिनके पास कोई काला धन है ही नहीं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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