बसपा प्रमुख मायावती की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
नोटबंदी का सबसे खराब असर बसपा पर पड़ने के भाजपा के दावे पर पलटवार करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी ने नोटबंदी की घोषणा से काफी पहले अपने पैसे को ठिकाने लगा दिया. उन्होंने कहा कि बिना तैयारी के उठाए गए इस कदम से केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को उत्तर प्रदेश के चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा.
उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने शत-प्रतिशत यह कदम जल्दबाजी में उठाया है और यह भाजपा के राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. मायावती ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, 'उनकी पार्टी देश में एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास गलत तरीके से अर्जित धन नहीं है.'
मायावती ने यह स्वीकार किया कि वे टिकट चाहने वालों से पैसा स्वीकार करती हैं और यह पार्टी संगठन को मजबूत बनाने और चुनाव लड़ने के लिए उपयोग किया जाता है. बसपा प्रमुख ने कहा, 'टिकट चाहने वालों से धन लिया जाता है... जैसे कि पार्टी कार्यकर्ताओं, सांसदों और विधायकों से लिया जाता है. यह बैंक के खातों में रखा जाता है और संगठन को मजबूत बनाने और चुनाव लड़ने के लिए उपयोग किया जाता है.'
मायावती ने कहा कि अगर वे अपने लिये पैसा लेतीं तब तो वे एक राज्यसभा टिकट के लिए एक 'धनी व्यक्ति' की ओर से पेशकश किए गए 200 करोड़ रुपये को स्वीकार कर लेतीं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने पिछले 10 महीने में उस समय दो नंबर के पैसे को ठिकाने लगाया जब नोटबंदी की योजना बनाई जा रही थी. यह निर्णय गलत तरीके से किया गया और बिना तैयारी के उठाया गया जिसके कारण उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा को स्थायी रूप से राजनीतिक वनवास में जाना पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा स्पष्ट रूप से विजेता के रूप में उभरेगी, वहीं भाजपा और सपा के बीच दूसरे और तीसरे स्थान के लिए मुकाबला होगा. कांग्रेस पहले ही वेंटीलेटर पर है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी के कारण 90 प्रतिशत आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने सवाल किया कि किस प्रकार से 90 प्रतिशत लोगों के समक्ष समस्या उत्पन्न करने वाला निर्णय देशहित में होगा.
मायावती ने कहा, अब अपने गलत फैसले को सही साबित करने के लिए प्रधानमंत्री भावुक हो रहे हैं और आंसू बहा रहे हैं. यह ब्लैकमेल नहीं है तो और क्या है. उन्होंने दावा किया कि इस प्रकार का आर्थिक आपातकाल निंदनीय है. भाजपा सरकार चुनाव में किया गया अपना एक-चौथाई वादा नहीं पूरा कर पाई और लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास कर रही है. उन्होंने केंद्र पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने शत-प्रतिशत यह कदम जल्दबाजी में उठाया है और यह भाजपा के राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. मायावती ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, 'उनकी पार्टी देश में एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास गलत तरीके से अर्जित धन नहीं है.'
मायावती ने यह स्वीकार किया कि वे टिकट चाहने वालों से पैसा स्वीकार करती हैं और यह पार्टी संगठन को मजबूत बनाने और चुनाव लड़ने के लिए उपयोग किया जाता है. बसपा प्रमुख ने कहा, 'टिकट चाहने वालों से धन लिया जाता है... जैसे कि पार्टी कार्यकर्ताओं, सांसदों और विधायकों से लिया जाता है. यह बैंक के खातों में रखा जाता है और संगठन को मजबूत बनाने और चुनाव लड़ने के लिए उपयोग किया जाता है.'
मायावती ने कहा कि अगर वे अपने लिये पैसा लेतीं तब तो वे एक राज्यसभा टिकट के लिए एक 'धनी व्यक्ति' की ओर से पेशकश किए गए 200 करोड़ रुपये को स्वीकार कर लेतीं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने पिछले 10 महीने में उस समय दो नंबर के पैसे को ठिकाने लगाया जब नोटबंदी की योजना बनाई जा रही थी. यह निर्णय गलत तरीके से किया गया और बिना तैयारी के उठाया गया जिसके कारण उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा को स्थायी रूप से राजनीतिक वनवास में जाना पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा स्पष्ट रूप से विजेता के रूप में उभरेगी, वहीं भाजपा और सपा के बीच दूसरे और तीसरे स्थान के लिए मुकाबला होगा. कांग्रेस पहले ही वेंटीलेटर पर है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी के कारण 90 प्रतिशत आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने सवाल किया कि किस प्रकार से 90 प्रतिशत लोगों के समक्ष समस्या उत्पन्न करने वाला निर्णय देशहित में होगा.
मायावती ने कहा, अब अपने गलत फैसले को सही साबित करने के लिए प्रधानमंत्री भावुक हो रहे हैं और आंसू बहा रहे हैं. यह ब्लैकमेल नहीं है तो और क्या है. उन्होंने दावा किया कि इस प्रकार का आर्थिक आपातकाल निंदनीय है. भाजपा सरकार चुनाव में किया गया अपना एक-चौथाई वादा नहीं पूरा कर पाई और लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास कर रही है. उन्होंने केंद्र पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया.
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