अंबिका चौधरी: मुलायम के क़रीबी और बसपा के प्रत्‍याशी क्‍या दर्ज कर पाएंगे जीत

अंबिका चौधरी: मुलायम के क़रीबी और बसपा के प्रत्‍याशी क्‍या दर्ज कर पाएंगे जीत

नयी दिल्‍ली:

उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे अंबिका चौधरी अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम चुके हैं. अंबिका चौधरी मुलायम के क़रीबी माने जाते थे. इतना ही नहीं हाल ही के दिनों में समाजवादी पार्टी में अंदरुनी कलह के दौरान वो हमेशा मुलायम के साथ खड़े दिखाई देते रहे थे.

अंबिका चौधरी ने पिछला विधानसभा चुनाव बलिया की फेफना सीट से लड़ा था. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र तिवारी ने उन्हें पराजित किया था. माना जाता है कि इस बार अंबिका चौधरी को लगने लगा था कि अखिलेश के पास सपा की कमान होने के चलते उन्‍हें चुनाव में टिकट नहीं मिलेगा, इसी कारण उन्‍होंने पार्टी छोड़ने का मन बनाया था.

अम्बिका चौधरी 21 जनवरी को बसपा में शामिल हुए थे. इस बार वह बसपा के टिकट पर फेफना सीट से मैदान में हैं. अंबिका चौधरी बलिया जिले की इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अंबिका चौधरी का मुकाबला इस बार भाजपा के उपेंद्र तिवारी और सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव से होना है.

अंबिका चौधरी 40 साल से एक सक्रिय राजनीतिज्ञ हैं और करीब दो दशकों तक इन्‍होंने समाजवादी पार्टी का सा‍थ दिया है. अंबिका चौधरी को थिंक टैंक कहा जाता है. ये अक्सर मुलायम सिंह और उनके भाई शिवपाल यादव को राजनीतिक और कानूनी मामलों पर सलाह देने के लिए जाने जाते थे. अंबिका चौधरी बलिया के मूल निवासी हैं. इन्‍होंने न्यायिक सेवा की नौकरी छोड़कर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. 65 वर्षीय चौधरी अखिलेश यादव सरकार में राजस्व, पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रहे हैं.

वह कहते हैं, मुलायम और शिवपाल यादव दोनों के करीब थे, लेकिन समाजवादी पार्टी में जो कुछ हुआ, वह अच्छा नहीं था. समाजवादी अपनी राह से भटक गए हैं. अखिलेश की ओर इशारा करते हुए चौधरी ने कहा कि जब एक बेटा अपने पिता के साथ इस तरह का बर्ताव करता है तो इसके बाद और कुछ कहने को क्या बचता है?


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