गांवों को अपनी पर्यावरण संबंधी समस्याओं को खुद सुलझाना है: आमिर खान
एनडीटीवी इंडिया के स्पेशल यूथ कॉन्क्लेव ‘NDTV युवा' में बॉलीवुड अभिनेता आमित खान शामिल हुए, उन्होंने गांवों की राजनीति, पेय जल जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे.
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आमिर खान ने कहा कि हमारी 6 लोगों की टीम थी. उन्होंने कहा कि कुछ गांवों में राजनीति होती है और लोग जुड़ना नहीं चाहते हैं. पहले साल में 116 गावों ने हिस्सा लिया और कम से कम एक तिहाई गांवों ने बढ़िया काम किया. एक तिहाई ने मेडियम लेवल का काम किया. पहला प्रयोग हमारा सफल हो गया. न हम गांव को पैसा दे रहे हैं और हम सामान दे रहे हैं.
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आमिर खान ने कहा कि पूरे महाराष्ट्र में नहरों से 18 फीसदी जमीन पर पानी पहुंचता है. महाराष्ट्र सरकार भी यही चाहती है कि विकेंद्रीकृत पानी सिस्टम ही सिंचाई का एकमात्र उपाय है. उन्होंने कहा कि पानी और सूखे की समस्या को लेकर जब तक यह जन आंदोलन नहीं बनेगा, तब तक इस समस्या का समधान नहीं होगा.
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आमिर खान ने कहा कि हम महाराष्ट्र में दो या तीन गांवों में काम नहीं करना चाहते थे. हमें बड़े स्केल पर काम करना था. इसके लिए हमें ऐसे आइडिया पर काम करना था जो बड़ा प्रभाव छोड़े. हमारा मानना है कि हम कुछ लोगों को ट्रेनिंग दे सकते हैं, लेकिन गांव को अपनी पर्यावरण संबंधी समस्या को खुद ही सुलझाना है.
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आमिर खान ने कहा कि 'सत्यमेव जयते' शो के तीन सीजन बीत चुके थे और हम (मैं और सत्या) यह सोच रहे थे कि आगे क्या करना चाहिए. हमें पता था कि इस शो का जमीन पर असर हो रहा है. कुछ बदलाव भी आया. उससे हमें प्रेरणा मिली. मुझे लगा कि किसी एक विषय को लेकर ग्राउंड जीरो पर काम करना चाहिए. इसलिए हमने महाराष्ट्र में पानी के साथ हमने सूखे पर काम करना शुरू किया.
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जब आमिर खान से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि लोगों का समूह बिना सरकार के समर्थन के पर्यावरण के मुद्दे पर काम कर सकते हैं? तो आमिर खान ने कहा, 'हां, यह मुमकीन है, मगर मुश्किल बहुत है. सदियों से इंसान प्रकृति का दोहन कर रहा है. मैं अक्सर सोचता हूं कि पृथ्वी पर जो भी रहते हैं मसलन इंसान, जानवर. जानवर उतना ही उपभोग करता है जितना उसकी जरूरत है. मगर इंसान जरूरत से ज्यादा उपभोग करता है.