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This Article is From Jun 14, 2016

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला समूहों को सौंपी नई जिम्मेदारी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला समूहों को सौंपी नई जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना: बिहार में शराब की खरीद-बिक्री पर पाबन्दी लगी, इसमें महिलाएं के स्वयं सहायता समूह की अहम भूमिका रही है। दो महीने पूर्व देशी और विदेशी शराब की खरीद बिक्री पर पाबन्दी लगाने के बाद इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार हर प्रमंडल में इनकी कार्यकर्ताओं को शराब बंदी के कार्यक्रम को सफल बनने के लिए उनसे मिलकर अपील कर रहे हैं।

मंगलवार को पटना में जीविका (महिला समूह) के एक कार्यक्रम में उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था से जुड़े चार महत्वपूर्ण कामों की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी भी स्वयं सहायता समूह को देने की घोषणा की। नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम में कहा कि क तमाम सहायता देने के बावजूद सरकारी विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति 60 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होती इसलिए अब जीविका को ये मालूम करने के लिए कहा कि आखिर साइकिल, पोषक और अन्य सहायता देने के बावजूद छात्र स्कूल से नदारद क्यों रहते हैं।

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में अब 50 लाख जीविका के सदस्य न केवल विद्यालय में जाकर ये मालूम करेंगी कि बच्चे स्कूल क्यों नहीं जा रहा हैं, बल्कि वो इस बात की भी रिपोर्ट देंगी कि मास्टर साहब रहते हैं या गायब रहते हैं। तीसरी जिम्मेवारी होगी कि स्कूल में साफ़ सफाई है या नहीं। शौचालय हैं या नहीं। इसके अलावा मध्याह्न भोजन ठीक से बन रहा है या नहीं, कोई इधर-उधर तो नहीं कर रहा है। इन सारे कामों की बिहार के मुख्य सचिव मॉनिटरिंग करेंगे और साथ ही शिक्षा विभाग में एक सेल होगा जो हर महीने होने वाले इस निरीक्षण और उसकी रिपोर्टिंग पर नजर रखेगा।

केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री, नितिन गडकरी ने पिछले दिनों सड़क दुर्घटना की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर की। मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने शराबबंदी के अपने कार्यक्रम पर बोलते हुए कहा कि "गडकरी जी शराबबंदी कीजिये, राजमार्गों के अगल-बगल शराब के ठेके बन्द कीजिये, देखिये दुर्घटना कैसे कम होती हैं। नीतीश स्वयंसेवी संस्था जीविका के एक कार्यक्रम में मंगलवार को पटना में बोल रहे थे।

नीतीश ने इस अवसर पर कहा कि बिहार में इन दिनों विकास पर्व के नाम पर केंद्रीय मंत्रियों के दौरे पर व्यंग्य करते हुए कहा कि असल विकास पर्व तो तब होगा जब केंद्र कम से कम बीजेपी शासित राज्यों में शराब की खरीद-बिक्री पर पाबन्दी लगाने का निर्णय लेती है। देखिये बिहार में शराब पर पाबन्दी लगने के बाद हर घर में पर्व मनाया जा रहा हैं तो उसके लिए विकास पर्व जैसे दिखावटी  कार्यक्रम का क्या महत्व है।

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