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Aman Sehrawat: बचपन में खोए मां-बाप, 'गुरु' को हराकर हासिल किया ओलंपिक का कोटा, कौन है अमन सहरावत, जिन्होंने कुश्ती में दिलाया भारत को मेडल

Who is Aman Sehrawat: भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने शुक्रवार को पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 57 किग्रा स्पर्धा के कांस्य पदक मैच में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज़ को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया है.

Aman Sehrawat: बचपन में खोए मां-बाप, 'गुरु' को हराकर हासिल किया ओलंपिक का कोटा,  कौन है अमन सहरावत, जिन्होंने कुश्ती में दिलाया भारत को मेडल
Who is Aman Sehrawat: अमन सहरावत ने भारत को लिए पेरिस ओलंपिक में कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया है

भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने शुक्रवार को पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 57 किग्रा स्पर्धा के कांस्य पदक मैच में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज़ को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया है. अमन सहरावत ने डेरियन क्रूज़ को एकतरफा मुकाबले में 13-5 से शिकस्त दी और भारत को पेरिस का छठा पदक दिलाया. बता दें, यह मौजूदा पेरिस ओलंपिक का भारत का पांचवां पदक है. साल 2008 के बाद से ही लगातार ऐसा हो रहा है कि कुश्ती में भारत को पदक मिल रहा है. इस बार कुश्ती में अभी तक कोई पदक नहीं आया था. लेकिन अमन ने इस सूखे को खत्म किया है. अमन सहरावत का यह पहला ओलंपिक हैं और उन्होंने अपना पदक भी पक्का कर लिया है.

अमन ने खाली नहीं जाने दी परंपरा

पेरिस ओलंपिक में कुश्ती से भारत को अभी तक कोई पदक नहीं आया था. हालांकि, साल 2008 से लगातार हो रहा था कि कुश्ती से भारत को ओलंपिक में पदक मिले थे. ऐसा लग रहा था कि इस बार शायद यह परंपरा टूट जाए, लेकिन अमन ने इस परंपरा को बनाए रखा. अमन ने अपने पहले मुकाबले में मेसिडोनिया के व्लादिमिर इगोरोव को 10-0 से हराया था. इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्होंने अल्बानिया के जेलिमखान अबाकरोव को भी 12-0 से हराया. हालांकि, सेमीफाइनल में उनको विश्व नंबर-1 जापान के रेइ हिगुची से 10-0 से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इसके बाद अमन ने ब्रॉन्ज मेडल मैच जीत लिया.

कौन हैं अमन सहरावत

दिल्ली के प्रसिद्ध छत्रसाल स्टेडियम जिसने भारत को ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, रवि कुमार दहिया, बजरंग पुनिया सहित अनगिनत कुश्ती सितारे दिए हैं, अमन यहीं से उभरता हुआ एक सितारा हैं. अमन का जन्म 16 जुलाई 2003 को हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ था. अमन का शुरुआती जीवन संघर्षों भरा रहा है. जब अमन 11 साल के थे, तब उन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था. इसके बाद उनके दादा ने उन्हें संभाला था.

अमन को कम उम्र में मिट्टी की कुश्ती में रुचि होने लगी थी, जिसके बाद उन्होंने छत्रसाल स्टेडियम का रुख किया. इसके बाद से अमन के लिए छत्रसाल स्टेडियम उनका घर रहा है. अमन के बचपन के हीरो सुशील कुमार हैं, जिन्होंने बीजिंग 2008 ओलंपिक में भारत को कांस्य और लंदन 2012 ओलंपिक में भारत के लिए रजत पदक जीता था. अमन, सुशील से प्रभावित होने के बाद ही कुश्ती में आए थे.

अमन ने नूर-सुल्तान में 2019 एशियाई कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर अपना लोहा मनवाया था. इसके दो साल बाद उन्होंने पहली बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती थी. अमन 2022 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने थे.

अमन ने साल 2023 में भी शानदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण और साथ ही हांग्जो एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था. हाल ही में, वह विश्व ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान पेरिस 2024 कोटा जीतने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान बने थे. बता दें, अमन सहरावत ने नेशनल ट्रायल्स में रवि दहिया को हराकर क्वालिफायर्स में जगह बनाई थी, जिसके बाद उन्होंने पेरिस ओलंपिक का टिकट हासिल किया था. अमन टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतने वाले रवि दहिया को अपना गुरू मानते हैं और उनके साथ ही ट्रेनिंग करते हैं.

अमन सहरावत के कमरे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. अमन ने अपने कमरे की दीवार पर लिखा हुआ है कि अगर यह आसान होता तो हर कोई इसे कर लेता. इसके साथ ही वहां पर ओलंपिक का साइन और गोल्ड मेडल की तस्वीर लगी हुई है.

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