
टोक्यो पैरालंपिक खेलों के ऊंची कूद स्पर्धा में पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) ने गुजरात के नडियाद में आयोजित हो रहे फेडरेशन कप अंडर-20 स्पर्धा में सामान्य श्रेणी में खेलते हुए स्वर्ण पदक जीता है. प्रवीण ने पिछले साल टोक्यो पैरालंपिक्स (Tokyo Paralympics) में रजत पदक जीता था. कूल्हे और बाएं पैर के बीच विकार के कारण पैरा खेलों में हिस्सा लेने वाले 19 साल प्रवीण ने शनिवार को यहां सबको चौंकाते हुए सामान्य श्रेणी के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 2.06 मीटर की ऊंची कूद में पहला स्थान हासिल किया. नोएडा का यह 19 वर्षीय खिलाड़ी जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली का प्रतिनिधित्व करता है.
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#Tokyo2020 Paralympics 🥈medalist & #TOPScheme Para-Athlete Praveen Kumar wins GOLD at U20 National Federation Cup 2022 🔥🔥
— SAI Media (@Media_SAI) June 4, 2022
With a jump of 2.06m Praveen clinched 🥇in men's #highjump competing alongside able-bodied athletes (Total Participants- 24)
Congrats 👏👏
Well done 💪💪 pic.twitter.com/v6eFel98aJ
कैसे एक गूगल सर्च ने बदली प्रवीण की जिंदगी
टोक्यो पैरालंपिक्स में पदक जीतने के बाद प्रवीण ने कहा था, "मैं स्कूल में वॉलीबॉल खेला करता था, लेकिन धीरे से मैं पैरा एथलेटिक्स में आ गया और ऊंची कूद स्पर्धा में हिस्सा लिया. मुझे एक गूगल सर्च से पैरालंपिक्स के बारे में पता लगा और वहां तक पहुंचने के बारे में पता चला."
प्रवीण ने पहली बार एक जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया था. जहां उनकी मुलाकात अशोक सैनी से हुई, जिन्होंने 2018 में उन्हें राष्ट्रीय कोच सत्य पाल का फोन नंबर दिया. शुरुआत में, उनके स्कूल के साथी छात्रों और शिक्षकों ने भी सोचा कि वह अपने खेल में कैसे अच्छा करेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने समर्थन करना शुरू कर दिया.
जेवर के पास एक सुदूर गांव में रहने वाले किसानों के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली प्रवीण ने पिछले साल सितंबर में टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद में 2.07मी का नया एशियाई रिकॉर्ड सेट करते हुए T64/T44 स्पर्धा में रजत पदक जीता था. वह उस समय अपने पहले पैरालंपिक में प्रतिस्पर्धा कर रहे थे.
बचपन में सक्षम एथलीटों के लिए ऊंची कूद स्पर्धा में खेलते हुए पैरा-स्पोर्ट्स के बारे में जानने के बाद से कुमार राष्ट्रीय कोच सत्यपाल सिंह के अंडर ट्रेनिंग लेते हैं. कोच सत्यपाल ने उन्हें सक्षम एथलीटों के बीच चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
कोच सत्यपाल को शुरू में उनके छोटे कद (1.65 मीटर) को लेकर कुछ आपत्ति थी, लेकिन उन्होंने पाया कि प्रवीण के दाहिने पैर में बहुत मजबूत मांसपेशियां हैं.
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साल 2019 में इस खेल को अपना करियर बनाने के बाद से टोक्यो पैरालंपिक प्रवीण का पहला बड़ा पदक था. वह स्थगित हो चुके एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक के लिए भारत के प्रबल दावेदारों में से हैं और वह T44 में वर्ल्ड रिकॉर्ड को भी तोड़ने का लक्ष्य बना कर चल रहे हैं. फिलहाल वो दिल्ली के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से बीए का कोर्स करे हैं.
प्रवीण T-44 विकलांगता वर्गीकरण के अंडर आते हैं, जो पैर की कमी, पैर की लंबाई में अंतर, मांसपेशियों की शक्ति में कमी या पैरों में गति की निष्क्रिय सीमा वाले एथलीटों के लिए होता है.
(भाषा के इनपुट के साथ)
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