Women's World Boxing Championship: निखत जरीन का कमाल, सेमीफाइनल में बनाई जगह, भारत के लिए 3 मेडल पक्के

Women's World Boxing Championship: महिलाओं के विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत का 3 मेडल पक्का हो गया है. भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने क्वार्टर फाइनल में थाईलैंड की 2 बार की विश्व विजेता चुथमत राकसत को 5-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है. 

Women's World Boxing Championship: निखत जरीन का कमाल, सेमीफाइनल में बनाई जगह, भारत के लिए 3 मेडल पक्के

Nikhat Zareen पहुंची सेमीफाइनल में

Women's World Boxing Championship: महिलाओं के विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत का 3 मेडल पक्का हो गया है. भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने क्वार्टर फाइनल में थाईलैंड की 2 बार की विश्व विजेता चुथमत राकसत को 5-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है. 

स्वीटी बूरा और नीतू गंघास  भी पहुंची सेमीफाइनल में
राष्ट्रमंडल खेलों की चैम्पियन नीतू गंघास (48 किलो) और अनुभवी स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ने महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए 3 पदक पक्के कर दिये हैं.  हरियाणा की 22 वर्ष की नीतू रिंग में उतरने वाली पहली भारतीय रहीं, उन्होंने दूसरे राउंड में आरएससी (रैफरी के द्वारा मुकाबला रोके जाना ) के आधार पर जापान की माडोका वाडा को हराया. इस तरह उन्होंने अपने और भारत के लिये कम से कम एक कांस्य पदक पक्का किया.

वहीं टूर्नामेंट में अपना पहला मुकाबला खेल रही स्वीटी ने अपनी शीर्ष वरीयता के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए 2018 कांस्य पदक विजेता बेलारूस की विक्टोरिया केबिकावा पर 5-0 से जीत हासिल कर विश्व चैम्पियनशिप का अपना दूसरा पदक पक्का किया. उन्होंने 2014 में रजत पदक जीता था. साक्षी चौधरी (52 किग्रा) और पिछले चरण की कांस्य पदक विजेता मनीषा मौन (57 किग्रा) हालांकि अंतिम चार चरण तक पहुंचने में विफल रही.


साक्षी को चीन की यु वु से 0-5 से हारी जबकि मनीषा को फ्रांस की अमीना जिदानी से 1-4 से शिकस्त मिली. नीतू ने पूरी आक्रामकता के साथ खेलते हुए विरोधी पर जमकर घूंसे बरसाये.  रैफरी ने मुकाबला रोककर नीतू के पक्ष में फैसला दिया. नीतू ने तीनों मुकाबले आरएससी फैसले पर जीते हैं. उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, ‘‘मुझे सतर्क रहना था और आक्रामक नहीं हो सकती थी लेकिन मुकाबले के अंत में मैंने सोचा कि मैं ऐसा कर सकती हूं.'

उन्होंने कहा, ‘‘अपने तीनों मुकाबले ‘आरएससी' से जीतने का यही फायदा है कि मेरी प्रतिद्वंद्वी अब दबाव में होंगी. वहीं कई बार की राष्ट्रीय चैम्पियन स्वीटी को पहले दौर में बाई मिली थी, वह पदक से महज एक जीत दूर थीं और इस 30 साल की मुक्केबाज ने आसान जीत से पदक पक्का कर दिया. दोनों ‘लाइट हेवीवेट' मुक्केबाजों के बीच मुकाबला शरीर पर हमले करने वाला ज्यादा रहा. स्वीटी ने अच्छा बचाव करते हुए हमला किया और आसानी से मुक्के जड़े.
 

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