सांकेतिक तस्वीर
पिथौरागढ़:
उत्तराखंड में पिथौरागढ़ शहर के खड़कोट स्थित सरस्वती बालिका विद्या मंदिर स्कूल में तेंदुए के बच्चे के घुस आने से हडकंप मच गया। रविवार होने के कारण स्कूल में छुट्टी थी, लेकिन वहां कई बच्चे खेलने आए हुए थे। बच्चों ने तेंदुए को देखकर शोर मचा दिया और स्कूल कैम्पस से भाग खड़े हुए।
मामला एक स्कूल से जुड़ा होने के कारण जिला प्रशासन व वन विभाग की टीमें भी तुरंत पहुंच गईं और स्कूल परिसर के आसपास डेरा डाले रहीं। घंटों की मशक्कत के बाद तेंदुए पर काबू पाया जा सका। सोमवार को स्कूल खुलना है, इसलिए तेंदुए को रविवार को ही स्कूल से बाहर निकालना जरूरी था।
स्कूल में तेंदुए के घुस आने की सूचना स्थानीय लोगों ने वन विभाग को दी थी। स्थानीय निवासियों का कहना है, 'तेंदुए का बच्चा नीचे को भागा, वे अपनी गैलरी में खड़े थे और उन्होंने तुरंत वन विभाग को फोन करके मामले की जानकारी दी।'
इसके बाद वन विभाग की टीम जाल व दूसरे साजो-सामान लेकर स्कूल पहुंची, लेकिन तब तक वहां लोगों का हजूम उमड़ चुका था। इसके चलते तेंदुआ स्कूल में जा छिपा, जिसे बाहर निकलने में वन विभाग की टीम को कई घंटे लग गए।
पिथौरागढ़ के डीएफओ आईपी सिंह ने कहा, 'तेंदुए का बच्चा स्कूल में आ गया था, यह बच्चा इतना छोटा था कि इसे दवाओं से बेहोश करना ठीक नहीं था। इसलिए इसको जाल से पकड़कर पिंजड़े में डाला गया और अब आसपास के जंगल में छोड़ दिया जाएगा।'
ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड के जंगल के इलाकों से वन्य जीव बस्ती या शहर की तरफ मुंह कर रहे हैं, बल्कि कड़वी सच्चाई तो यह है कि तरक्की की आड़ लेकर हम इंसान ही वन्य जीवों के इलाकों को छोटा करते हुए उनके जंगल रूपी घरों में घुसने लगे हैं। अगर अब भी हम नहीं रुके तो वो दिन दूर नहीं जब इसके गंभीर परिणाम इंसानी जिंदगी पर भारी पड़ना शुरू हो जाएंगे।
मामला एक स्कूल से जुड़ा होने के कारण जिला प्रशासन व वन विभाग की टीमें भी तुरंत पहुंच गईं और स्कूल परिसर के आसपास डेरा डाले रहीं। घंटों की मशक्कत के बाद तेंदुए पर काबू पाया जा सका। सोमवार को स्कूल खुलना है, इसलिए तेंदुए को रविवार को ही स्कूल से बाहर निकालना जरूरी था।
स्कूल में तेंदुए के घुस आने की सूचना स्थानीय लोगों ने वन विभाग को दी थी। स्थानीय निवासियों का कहना है, 'तेंदुए का बच्चा नीचे को भागा, वे अपनी गैलरी में खड़े थे और उन्होंने तुरंत वन विभाग को फोन करके मामले की जानकारी दी।'
इसके बाद वन विभाग की टीम जाल व दूसरे साजो-सामान लेकर स्कूल पहुंची, लेकिन तब तक वहां लोगों का हजूम उमड़ चुका था। इसके चलते तेंदुआ स्कूल में जा छिपा, जिसे बाहर निकलने में वन विभाग की टीम को कई घंटे लग गए।
पिथौरागढ़ के डीएफओ आईपी सिंह ने कहा, 'तेंदुए का बच्चा स्कूल में आ गया था, यह बच्चा इतना छोटा था कि इसे दवाओं से बेहोश करना ठीक नहीं था। इसलिए इसको जाल से पकड़कर पिंजड़े में डाला गया और अब आसपास के जंगल में छोड़ दिया जाएगा।'
ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड के जंगल के इलाकों से वन्य जीव बस्ती या शहर की तरफ मुंह कर रहे हैं, बल्कि कड़वी सच्चाई तो यह है कि तरक्की की आड़ लेकर हम इंसान ही वन्य जीवों के इलाकों को छोटा करते हुए उनके जंगल रूपी घरों में घुसने लगे हैं। अगर अब भी हम नहीं रुके तो वो दिन दूर नहीं जब इसके गंभीर परिणाम इंसानी जिंदगी पर भारी पड़ना शुरू हो जाएंगे।
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