पीएम नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे (फाइल फोटो)
बनारस:
बनारस सिर्फ धर्म की नहीं बल्कि कला की भी नगरी है। यही वजह है कि इस शहर को सात वार और नौ त्योहारों का शहर कहा जाता है। ऐसे शहर में कोई भी काम हो वो उत्सव बन जाता है, फिर चाहे जापान और भारत के प्रधानमंत्री का दौरा ही क्यों न हो। 12 दिसंबर को जापान के प्रधानमंत्री के आगमन पर शासन प्रशासन तो अपनी तैयारी अपने ढंग से कर ही रहा है लेकिन बनारस के लोग भी इस मौके को उत्सव में तब्दील कर रहे हैं। हर दिन कहीं न कहीं कोई कार्यक्रम भारत-जापान मैत्री को लेकर हो रहा है। कहीं यज्ञ हो रहा है तो कहीं बालू पर आकृति बन रही है तो कहीं अथिति: देवो भव: के स्वागत के लिये रंगोली तैयार हो रही है।
बनारस के अस्सी घाट पर बने यज्ञ शाला में यूं तो हर दिन किसी न किसी कामना के लिये यज्ञ होता रहता है लेकिन मंगलवार को जो यज्ञ हुआ वह जापान और भारत के बीच दोस्ती कायम करने और उसकी मजबूती के लिए हुआ।
इस यज्ञ के साक्षी दण्डी स्वामी और जापान भारत के मैत्री के पोस्टर भी रहे। सिर्फ यही नहीं बालू पर बनी एक आकृति में भी दोस्ती का पैगाम था। इस आयोजन को करने वाले बताते हैं कि 'हमें जो ख़ुशी होती है उसकी अभिवयक्ति हम ऐसे ही करते हैं।'
उत्साह की अभिव्यक्ति
उत्साह की ये अभिव्यक्ति सिर्फ इतनी ही नहीं है, जापानी वेश भूषा में सजे बच्चे भी जापान की संस्कृति को बनारस के घाटों पर लोगों से साझा करने के लिये आए।
ये लोग दशास्वमेघ की उस आरती में शामिल हुए जहां 12 तारीख को जापान और भारत के प्रधानमंत्री गंगा देखेंगे। जापान के प्रधानमंत्री को यहां की कला से रूबरू करने के लिये गुलाबी मीनाकारी, बुनकरी, पत्थर के काम और दूसरे कला के नमूने उपहार में देने के लिये भी तैयार किये गए है।
इस तरह सिंजो अबे आर पीएम मोदी के स्वागत के लिये बनारस पूरी तरह तैयार है और यहां जबरदस्त उत्साह है। बनारस के खूबसूरत घाट और गंगा आरती को देख कर जापान के प्रधानमंत्री को कैसी अनुभूति होगी यह कह पाना तो मुश्किल है लेकिन उनकी यात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह है जिसकी अभिव्यक्ति इस तरह रेत पर आकृति बना कर, तो कहीं रंगोली और यज्ञ के जरिये व्यक्त हो रही है।
बनारस के अस्सी घाट पर बने यज्ञ शाला में यूं तो हर दिन किसी न किसी कामना के लिये यज्ञ होता रहता है लेकिन मंगलवार को जो यज्ञ हुआ वह जापान और भारत के बीच दोस्ती कायम करने और उसकी मजबूती के लिए हुआ।
इस यज्ञ के साक्षी दण्डी स्वामी और जापान भारत के मैत्री के पोस्टर भी रहे। सिर्फ यही नहीं बालू पर बनी एक आकृति में भी दोस्ती का पैगाम था। इस आयोजन को करने वाले बताते हैं कि 'हमें जो ख़ुशी होती है उसकी अभिवयक्ति हम ऐसे ही करते हैं।'
उत्साह की अभिव्यक्ति
उत्साह की ये अभिव्यक्ति सिर्फ इतनी ही नहीं है, जापानी वेश भूषा में सजे बच्चे भी जापान की संस्कृति को बनारस के घाटों पर लोगों से साझा करने के लिये आए।
ये लोग दशास्वमेघ की उस आरती में शामिल हुए जहां 12 तारीख को जापान और भारत के प्रधानमंत्री गंगा देखेंगे। जापान के प्रधानमंत्री को यहां की कला से रूबरू करने के लिये गुलाबी मीनाकारी, बुनकरी, पत्थर के काम और दूसरे कला के नमूने उपहार में देने के लिये भी तैयार किये गए है।
इस तरह सिंजो अबे आर पीएम मोदी के स्वागत के लिये बनारस पूरी तरह तैयार है और यहां जबरदस्त उत्साह है। बनारस के खूबसूरत घाट और गंगा आरती को देख कर जापान के प्रधानमंत्री को कैसी अनुभूति होगी यह कह पाना तो मुश्किल है लेकिन उनकी यात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह है जिसकी अभिव्यक्ति इस तरह रेत पर आकृति बना कर, तो कहीं रंगोली और यज्ञ के जरिये व्यक्त हो रही है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं