
असम के मोरीगांव में भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.0 रही. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, बुधवार आधी रात असम के मोरीगांव जिले में रिक्टर पैमाने पर पांच तीव्रता का भूकंप आया. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि असम के मोरीगांव में भूकंप 2:25 बजे आया. मोरीगांव में आए इस भूकंप की गहराई 16 किलोमीटर बताई जा रही है.
पिछले दिनों कहां-कहां आए भूकंप
भूकंप | कब | तीव्रता (Richter scale) |
मोरीगांव असम | 27 FEB 2025 | 5.0 |
लेह, लद्दाख | 26 FEB 2025 | 3.5 |
म्यांमार | 26 FEB 2025 | 3.1 |
तिब्बत | 25 FEB 2025 | 4.2 |
तिब्बत | 25 FEB 2025 | 3.9 |
तिब्बत | 25 FEB 2025 | 3.7 |
वेस्ट खासी हिल्स मेघालय | 25 FEB 2025 | 3.0 |
बंगाल की खाड़ी | 25 FEB 2025 | 5.1 |
उखरुल, मणिपुर | 25 FEB 2025 | 3.2 |
लद्दाख में भी कांपी धरती
लद्दाख में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. बुधवार शाम करीब पांच बजकर 36 मिनट पर यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए. यहां आए भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर थी. जानकारी के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 रही हैं. वहीं, भूकंप के झटकों से लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. भूकंप के झटकों से किसी भी तरह के जान-माल के हानि होने की कोई खबर नहीं है.

म्यांमार में भी आया भूकंप
भारत ही नहीं बल्कि 26 फरवरी को म्यांमार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. म्यांमार में आए भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 3.1 रही. जानकारी के मुताबिक ये भूकंप 10 किलोमीटर की गहराई पर आया था. फिलहाल म्यांमार से भी किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है. एक राहत की बात ये है कि म्यांमार में आए भूकंप की तीव्रता काफी कम थी.

असम में भूकंप का क्यों ज्यादा खतरा
असम में भूकंप आना आम है क्योंकि यह राज्य भारत के सबसे ज़्यादा भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. यह क्षेत्र जोन V में आता है, जिसका मतलब है कि यहां तेज़ झटकों का जोखिम ज्यादा है. पिछले कुछ सालों में, इस क्षेत्र में कई बड़े भूकंप आए हैं, जैसे 1950 का असम-तिब्बत भूकंप (8.6 तीव्रता) और 1897 का शिलांग भूकंप (8.1 तीव्रता) - दोनों ही इतिहास के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में गिने जाते हैं.

क्यों आते हैं भूकंप
भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी धरती की सतह मुख्य रूप से सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है. ये प्लेट्स लगातार हरकत करती रहती हैं और अक्सर आपस में टकराती हैं. इस टक्कर के परिणामस्वरूप प्लेट्स के कोने मुड़ सकते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण वे टूट भी सकती हैं. ऐसे में, नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर फैलने का रास्ता खोजती है और यही ऊर्जा जब जमीन के अंदर से बाहर आती है, तो भूकंप आता है.
दिल्ली-एनसीआर में 17 फरवरी को सुबह 4.0 तीव्रता के भूकंप के जोरदार झटकों ने हर किसी को दहला दिया था. भूकंप के झटके इतने तेज थे कि सुबह साढ़े 5 बजे आए भूकंप के कारण लोगों की नींद टूट गई थी.
बंगाल की खाड़ी में मंगलवार का आया भूकंप
ओडिशा के पुरी के पास मंगलवार की सुबह भूकंप का तेज झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता 5.1 मापी गयी. ये भूकंप सुबह छह बजकर 10 मिनट पर बंगाल की खाड़ी में 91 किलोमीटर की गहराई पर आया था. यहां भी भूकंप का प्रभाव ‘‘ना के बराबर'' था, क्योंकि इसका केंद्र बंगाल की खाड़ी में था. भूकंप के झटके ओडिशा के पारादीप, पुरी, बरहामपुर और कुछ अन्य स्थानों पर महसूस किए गए थे.
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