ठाणे:
मुंबई से सटे ठाणे के कासर वडवली में हसनैन के दोस्त यार, पड़ोसी अब भी सदमे में हैं। कोई यकीन ही नहीं कर पा रहा कि कैसे एक इंसान अपने परिवार के 14 लोगों को मौत के घाट उतार सकता है? हसनैन के नाना गुलजार वरेकर की तो आवाज ही मानो गायब हो चुकी है।
हसनैन के साथ ही पली बढ़ी पड़ोस में रहने वाली गज़ाला तो ये मानने को तैयार नहीं है कि हसनैन ऐसा कर सकता है। पुलिस में मुताबिक हसनैन वरेकर ने शनिवार रात पहले घरवालों के साथ पार्टी की फिर देर रात मां-बाप, पत्नी, बच्चे, बहन और भांजे-भांजियों सहित कुल 14 लोगों का गला रेत कर क़त्ल कर दिया। लेकिन बहन सुबिया बुरी तरह जख्मी होने के बाद भी किसी तरंह बच गई। उसके शोर मचाने पर पड़ोसियों ने खिड़की का ग्रिल तोड़कर उसे बाहर निकाला। लेकिन तब तक हसनैन ने दूसरे कमरे में ख़ुदकुशी कर ली थी।
वारदात की इकलौती चश्मदीद गवाह हसनैन की बहन सुबिया के गले में 25 टांके आए हैं। पुलिस के मुताबिक अभी उसकी तबियत में इतना सुधार नहीं हुआ है कि उससे वारदात के हर पहलू से जुड़ी जानकरी ली जा सके।
वारदात को अंजाम देकर हत्यारे का खुदकुशी कर लेना कानून की भाषा में वैसे तो ये शट एंड क्लोज केस है। लेकिन मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिलने से दिल दहला देने वाली ये वारदात किसी पहेली से कम नहीं। जाहिर है पुलिस के लिए इस पहेली को सुलझा पाना आसान नहीं है।
इसलिये पुलिस मामले की जांच में प्रॉपर्टी विवाद से लेकर हसनैन के दिमागी पहलू की भी जांच कर रही है। हसनैन बक़रीद के दिन खुद कुर्बानी देता था। हत्या में कुर्बानी वाले छुरे का ही इस्तेमाल किया गया है। जांच के दायरे में वो दरगाह भी है, जिसके ट्रस्टी हसनैन के पिता अनवर वरेकर थे।
ठाणे पुलिस के सहआयुक्त आशुतोष डुंबरे के मुताबिक वारदात के पहले तक हसनैन किस-किस से मिलता था, उनमे क्या बातचीत होती थी, फ़ोन पर किस-किस से बातें हुई थी, सब कुछ की पड़ताल की जा रही है।
हसनैन के मोबाइल और लैपटॉप से भी सच्चाई जानने की कोशिश हो रही है। पता चला है कि जुलाई 2012 में भी उसके घरवालों को फ़ूड पॉइजनिंग की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था लेकिन तब पुलिस को सूचित नहीं किया गया था। पुलिस का कहना है कि अभी सिर्फ शक है कि वारदात की रात सभी के खाने में कुछ मिलाया गया होगा, जिसकी पुष्टि मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगी।
हसनैन के साथ ही पली बढ़ी पड़ोस में रहने वाली गज़ाला तो ये मानने को तैयार नहीं है कि हसनैन ऐसा कर सकता है। पुलिस में मुताबिक हसनैन वरेकर ने शनिवार रात पहले घरवालों के साथ पार्टी की फिर देर रात मां-बाप, पत्नी, बच्चे, बहन और भांजे-भांजियों सहित कुल 14 लोगों का गला रेत कर क़त्ल कर दिया। लेकिन बहन सुबिया बुरी तरह जख्मी होने के बाद भी किसी तरंह बच गई। उसके शोर मचाने पर पड़ोसियों ने खिड़की का ग्रिल तोड़कर उसे बाहर निकाला। लेकिन तब तक हसनैन ने दूसरे कमरे में ख़ुदकुशी कर ली थी।
वारदात की इकलौती चश्मदीद गवाह हसनैन की बहन सुबिया के गले में 25 टांके आए हैं। पुलिस के मुताबिक अभी उसकी तबियत में इतना सुधार नहीं हुआ है कि उससे वारदात के हर पहलू से जुड़ी जानकरी ली जा सके।
वारदात को अंजाम देकर हत्यारे का खुदकुशी कर लेना कानून की भाषा में वैसे तो ये शट एंड क्लोज केस है। लेकिन मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिलने से दिल दहला देने वाली ये वारदात किसी पहेली से कम नहीं। जाहिर है पुलिस के लिए इस पहेली को सुलझा पाना आसान नहीं है।
इसलिये पुलिस मामले की जांच में प्रॉपर्टी विवाद से लेकर हसनैन के दिमागी पहलू की भी जांच कर रही है। हसनैन बक़रीद के दिन खुद कुर्बानी देता था। हत्या में कुर्बानी वाले छुरे का ही इस्तेमाल किया गया है। जांच के दायरे में वो दरगाह भी है, जिसके ट्रस्टी हसनैन के पिता अनवर वरेकर थे।
ठाणे पुलिस के सहआयुक्त आशुतोष डुंबरे के मुताबिक वारदात के पहले तक हसनैन किस-किस से मिलता था, उनमे क्या बातचीत होती थी, फ़ोन पर किस-किस से बातें हुई थी, सब कुछ की पड़ताल की जा रही है।
हसनैन के मोबाइल और लैपटॉप से भी सच्चाई जानने की कोशिश हो रही है। पता चला है कि जुलाई 2012 में भी उसके घरवालों को फ़ूड पॉइजनिंग की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था लेकिन तब पुलिस को सूचित नहीं किया गया था। पुलिस का कहना है कि अभी सिर्फ शक है कि वारदात की रात सभी के खाने में कुछ मिलाया गया होगा, जिसकी पुष्टि मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगी।
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