फाइल फोटो
मुंबई:
दीवाली की रौनक ख़त्म होने के बाद उससे जुड़ी परेशानियां सामने आती हैं. वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के चलते हर साल की तरह इसा साल भी मुंबईवासी परेशान नज़र आये. दीवाली के पटाखे रौशनी के साथ धुआं और शोर लेकर आये.
हमेशा की तरह इसका सबसे ज्यादा असर मरीज़ों, बच्चों और बुज़ुर्गों पर पड़ा. डॉक्टर कहते हैं कि हर साल इसी तरह दीवाली के बाद लोगों की सेहत पर असर पड़ता है. अस्थमा और सांस सम्बंधित मरीज़ इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. दीवाली के आस पास इस तरह के मरीज़ों की तादाद बढ़ जाती है और साथ ही अन्य मरीज़ों पर इसका प्रभाव पड़ता है.
सफ़र (सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक इस साल दिवाली की रात को मुम्बई की हवा में pm2.5 की मात्रा 278 थी और pm10 की 154, और सोमवार सुबह को pm2.5 की मात्रा 388 और pm10 की मात्रा 184 पायी गयी. हालांकि वायु प्रदूषण के मुकाबले ध्वनि प्रदूषण इस साल कम रहा. मुम्बई का एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले साल जहां 279 था वही इस साल 278 रहा. मुम्बई में पटाखों का शोर भले की कम हुआ हो लेकिन उनसे निकलता धुआं कम नहीं हुआ.
हमेशा की तरह इसका सबसे ज्यादा असर मरीज़ों, बच्चों और बुज़ुर्गों पर पड़ा. डॉक्टर कहते हैं कि हर साल इसी तरह दीवाली के बाद लोगों की सेहत पर असर पड़ता है. अस्थमा और सांस सम्बंधित मरीज़ इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं. दीवाली के आस पास इस तरह के मरीज़ों की तादाद बढ़ जाती है और साथ ही अन्य मरीज़ों पर इसका प्रभाव पड़ता है.
सफ़र (सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक इस साल दिवाली की रात को मुम्बई की हवा में pm2.5 की मात्रा 278 थी और pm10 की 154, और सोमवार सुबह को pm2.5 की मात्रा 388 और pm10 की मात्रा 184 पायी गयी. हालांकि वायु प्रदूषण के मुकाबले ध्वनि प्रदूषण इस साल कम रहा. मुम्बई का एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले साल जहां 279 था वही इस साल 278 रहा. मुम्बई में पटाखों का शोर भले की कम हुआ हो लेकिन उनसे निकलता धुआं कम नहीं हुआ.
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