फोटो- नवी मुंबई के म्युनिसिपल कमिश्नर तुकाराम मुंडे...
- मामला नवी मुंबई के म्युनिसिपल कमिश्नर तुकाराम मुंडे का है.
- उनके खिलाफ बीजेपी को छोड़ कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना सब लामबंद हुए.
- अब फैसला मुख्यमंत्री को करना है.
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मुंबई:
देश में महापालिकाओं के इतिहास में शायद पहली बार किसी म्युनिसिपल कमिश्नर के खिलाफ लगभग सारे दल एकमत हुए. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ. मामला नवी मुंबई के म्युनिसिपल कमिश्नर तुकाराम मुंडे का है, जिनके खिलाफ बीजेपी को छोड़ कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना सब लामबंद हुए. अब फैसला मुख्यमंत्री को करना है. वैसे मुंडे के समर्थन में बड़ी तादाद में स्थानीय लोगों ने मुहिम छेड़ दी है.
मंगलवार को हालात ऐसे बने की अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) मुख्यालय के आसपास धारा 144 लगानी पड़ी. अंदर बीजेपी को छोड़ सारे पार्षद उनके खिलाफ खड़े हुए. अविश्वास प्रस्ताव छह के मुकाबले 105 मतों से पास हो गया. एनएमएमसी के मेयर सुधाकर सोनावणे का कहना था "ये लोकतंत्र को नहीं मानते हैं. यहां पर सदन में जो निर्णय होते हैं उसे वो खारिज करते रहते हैं. मेयर का कोई सम्मान नहीं.. पार्षद का कोई सम्मान नहीं. ऐसा अधिकारी शहर के लिए ठीक नहीं.
मुंडे दस सालों में आठ तबादले झेल चुके हैं. बतौर सोलापुर क्लेक्टर उन्होंने रेत और भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन वहां भी प्रणिति शिंदे से लेकर तमाम दिग्गज मुंडे के खिलाफ खड़े थे. एनएमएमसी में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में मुंडे डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर सहित दस अधिकारियों को सस्पेंड कर चुके हैं. 2012 के बाद गांवठन में बने अवैध निर्माणों को मुंडे के कार्यकाल में तोड़ गया. अपने वोट बैंक को बचाने हर पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया. शहर में बंद भी रखा. मुंडे के कार्यकाल के पहले तीन महीनों में 1,916 अवैध फेरीवालों, 1,801 अवैध निर्माणों और 1,010 होर्डिंग्स को तोड़ा गया. 2,492 कारोबारी निर्माण पर ओसी न होने और एमआरटीपी एक्ट के उल्लंघन की वजह से जुर्माना भी लगाया गया. इलाके की बीजेपी विधायक के बंगले के अवैध निर्माण पर भी उन्होंने नोटिस थमाया.
लेकिन पार्षदों का आरोप है कि मुंडे सिर्फ खुद को ईमानदार समझते हैं, बाकी सबको बेईमान. शिवसेना के पार्षद संजू वाडे ने कहा कि "शिवेसना-एनसीपी-कांग्रेस ने मिलकर अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन दिया. मुंडेशाही का जो काम है, वो जब से आए हैं, तबसे जो काम कर रहे हैं, झोपड़े तोड़े, लोगों को सस्पेंड किया. ऐसे करके शहर को बदनाम किया".
इस विवाद पर मुंडे का कहना है उन्होंने वही किया जो कानून के दायरे में है. शासन ने उन्हें जो ज़िम्मेदारी दी है वो उसे निभाएंगे. मुंडे के खिलाफ कई बीजेपी के भी कई मंत्री, नेता खड़े हैं. वैसे इस अविश्वास प्रस्ताव पर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री को ही लेना है.
मंगलवार को हालात ऐसे बने की अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) मुख्यालय के आसपास धारा 144 लगानी पड़ी. अंदर बीजेपी को छोड़ सारे पार्षद उनके खिलाफ खड़े हुए. अविश्वास प्रस्ताव छह के मुकाबले 105 मतों से पास हो गया. एनएमएमसी के मेयर सुधाकर सोनावणे का कहना था "ये लोकतंत्र को नहीं मानते हैं. यहां पर सदन में जो निर्णय होते हैं उसे वो खारिज करते रहते हैं. मेयर का कोई सम्मान नहीं.. पार्षद का कोई सम्मान नहीं. ऐसा अधिकारी शहर के लिए ठीक नहीं.
मुंडे दस सालों में आठ तबादले झेल चुके हैं. बतौर सोलापुर क्लेक्टर उन्होंने रेत और भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन वहां भी प्रणिति शिंदे से लेकर तमाम दिग्गज मुंडे के खिलाफ खड़े थे. एनएमएमसी में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में मुंडे डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर सहित दस अधिकारियों को सस्पेंड कर चुके हैं. 2012 के बाद गांवठन में बने अवैध निर्माणों को मुंडे के कार्यकाल में तोड़ गया. अपने वोट बैंक को बचाने हर पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया. शहर में बंद भी रखा. मुंडे के कार्यकाल के पहले तीन महीनों में 1,916 अवैध फेरीवालों, 1,801 अवैध निर्माणों और 1,010 होर्डिंग्स को तोड़ा गया. 2,492 कारोबारी निर्माण पर ओसी न होने और एमआरटीपी एक्ट के उल्लंघन की वजह से जुर्माना भी लगाया गया. इलाके की बीजेपी विधायक के बंगले के अवैध निर्माण पर भी उन्होंने नोटिस थमाया.
लेकिन पार्षदों का आरोप है कि मुंडे सिर्फ खुद को ईमानदार समझते हैं, बाकी सबको बेईमान. शिवसेना के पार्षद संजू वाडे ने कहा कि "शिवेसना-एनसीपी-कांग्रेस ने मिलकर अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन दिया. मुंडेशाही का जो काम है, वो जब से आए हैं, तबसे जो काम कर रहे हैं, झोपड़े तोड़े, लोगों को सस्पेंड किया. ऐसे करके शहर को बदनाम किया".
इस विवाद पर मुंडे का कहना है उन्होंने वही किया जो कानून के दायरे में है. शासन ने उन्हें जो ज़िम्मेदारी दी है वो उसे निभाएंगे. मुंडे के खिलाफ कई बीजेपी के भी कई मंत्री, नेता खड़े हैं. वैसे इस अविश्वास प्रस्ताव पर आखिरी फैसला मुख्यमंत्री को ही लेना है.
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