मुंबई:
पूरे महाराष्ट्र में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है, मराठवाड़ा के जलाशयों में तो दो फीसदी से भी कम पानी बचा हुआ है। ऐसे में मुंबई के भायखला इलाके में एक रेस्टोरेंट ने पानी बचाने के लिए बेहद आसान लेकिन कारगर उपाय अपना कर, महीने में हज़ारों लीटर पानी बचाने का काम किया है।
हर होटल में जब ग्राहक आता है तो उसे पानी दिया जाता है, लेकिन देखा गया है कि कई बार वो आधे से ज्यादा पानी गिलास में ही छोड़ देते हैं, यानी 150 एमएल से 200 एमएल तक पानी बरबाद। गिलास में बचे पानी को फेंक देने से 18-20 टेबल वाले छोटे रेस्तरां में भी इस तरह हर रोज़ हज़ारों लीटर पानी बरबाद होता है। लेकिन मुंबई के भायखला में ग्लोरिया रेस्टरोंट ने इस बरबादी को रोकने के लिए छोटा मगर कारगर उपाय किया।
क्या है तकनीक
गिलास में बचे पानी को एक बेसिन में डालते हैं जिसके नीचे एक चटाई नुमा फिल्टर लगा है, जिसमें साफ पानी नीचे टैंक में जाता है, इस टैंक से पाइप जुड़ा है, जिससे खाने के बर्तन पहली दफा धुलते हैं। इस पानी का इस्तेमाल टेबल और फर्श साफ करने में भी किया जाता है। इस बारे में रेस्तरां के मैनेजर आबिद ने कहा "कुछ सालों से पानी की बरबादी रोकने के लिए हमने ये मशीन लगाई है, जिससे पानी का ख़र्च भी कम हुआ है।"
(रेस्तरां में बैठे लोग)
45,000 लीटर पानी की बचत
मशीन पर लगभग 10000 रु का ख़र्च आता है, लेकिन हर महीने जहां होटल में पानी की खपत थी 2,40,000 लीटर उसमें 45,000 लीटर की कटौती भी हो गई। होटल में वॉश बेसिन के सामने भी आईने की जगह, पानी बचाने के लिए पोस्टर लगा दिया गया है, रेस्तरां में रोज़ाना आने वाले ग्राहक भी इस बचत को सराहते हैं।
मुंबई को सात झीलें पानी सप्लाई करती हैं, शहर को रोज़ाना ज़रूरत है 4300 एमएलडी की, लेकिन फिलहाल मिल रहा है सिर्फ 3200 एमएलडी। वहीं पूरे राज्य के 28000 गांवों में सूखे से हालात से बेहाल हैं। ऐसे में हर छोटी कोशिश की अहमियत बहुत बड़ी है।
हर होटल में जब ग्राहक आता है तो उसे पानी दिया जाता है, लेकिन देखा गया है कि कई बार वो आधे से ज्यादा पानी गिलास में ही छोड़ देते हैं, यानी 150 एमएल से 200 एमएल तक पानी बरबाद। गिलास में बचे पानी को फेंक देने से 18-20 टेबल वाले छोटे रेस्तरां में भी इस तरह हर रोज़ हज़ारों लीटर पानी बरबाद होता है। लेकिन मुंबई के भायखला में ग्लोरिया रेस्टरोंट ने इस बरबादी को रोकने के लिए छोटा मगर कारगर उपाय किया।

क्या है तकनीक
गिलास में बचे पानी को एक बेसिन में डालते हैं जिसके नीचे एक चटाई नुमा फिल्टर लगा है, जिसमें साफ पानी नीचे टैंक में जाता है, इस टैंक से पाइप जुड़ा है, जिससे खाने के बर्तन पहली दफा धुलते हैं। इस पानी का इस्तेमाल टेबल और फर्श साफ करने में भी किया जाता है। इस बारे में रेस्तरां के मैनेजर आबिद ने कहा "कुछ सालों से पानी की बरबादी रोकने के लिए हमने ये मशीन लगाई है, जिससे पानी का ख़र्च भी कम हुआ है।"

45,000 लीटर पानी की बचत
मशीन पर लगभग 10000 रु का ख़र्च आता है, लेकिन हर महीने जहां होटल में पानी की खपत थी 2,40,000 लीटर उसमें 45,000 लीटर की कटौती भी हो गई। होटल में वॉश बेसिन के सामने भी आईने की जगह, पानी बचाने के लिए पोस्टर लगा दिया गया है, रेस्तरां में रोज़ाना आने वाले ग्राहक भी इस बचत को सराहते हैं।
मुंबई को सात झीलें पानी सप्लाई करती हैं, शहर को रोज़ाना ज़रूरत है 4300 एमएलडी की, लेकिन फिलहाल मिल रहा है सिर्फ 3200 एमएलडी। वहीं पूरे राज्य के 28000 गांवों में सूखे से हालात से बेहाल हैं। ऐसे में हर छोटी कोशिश की अहमियत बहुत बड़ी है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं