- गिरफ्तार डॉक्टरों में सबसे अहम नाम अस्पताल के CEO डॉ. सुजीत चटर्जी का...
 - अन्य आरोपी डॉक्टरों के नाम मुकेश शेट्टी, मुकेश शाह और प्रकाश शेट्टी है.
 - मुंबई में अब तक का ये पहला किडनी रैकेट है.
 
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                                        मुंबई में अब तक के सबसे बड़े किडनी रैकेट में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए हीरानंदानी अस्पताल के पांच डॉक्टरों को आज पुलिस रिमांड के लिए अंधेरी की मेट्रोपॉलिटन अदालत में पेश किया जाएगा. गिरफ्तार डॉक्टरों में सबसे अहम नाम डॉ. सुजीत चटर्जी का है, जो हीरानंदानी अस्पताल के सीईओ हैं. जबकि दूसरा अहम नाम डॉ. अनुराग नाइक का है.
डॉ. नाईक हीरानंदानी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर हैं. बाकी के आरोपी डॉक्टरों के नाम मुकेश शेट्टी, मुकेश शाह और प्रकाश शेट्टी हैं.
मुंबई में अब तक ये पहला किडनी रैकेट है, जिसमे इतने बड़े स्तर पर डॉक्टरों की सांठगांठ पाई गई है और उनकी गिरफ्तारी हुई है. मामले में अब तक कुल 14 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी अशोक दुधे के मुताबिक, पता चला कि डॉक्टरों की गिरफ्तारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट पर की गई है. सभी पर मानव अंग प्रत्यर्पण कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, मामले में पहले गिरफ्तार किए जा चुके अस्पताल का मेडिकल सोशल वर्कर नीलेश कांबले डॉक्टरों और दलालों के बीच की कड़ी है. उसके कॉल डाटा रिकॉर्ड से डॉक्टरों के खिलाफ अहम सुराग मिले हैं. नीलेश के घर से 7 लाख की नकदी भी बरामद हुई थी.
आरोप है कि किडनी रैकेट के इस गोरखधंधे से नीलेश पिछले 3 सालों में 30 लाख रुपये कमा चुका है. नीलेश के ऊपर ही मरीज और किडनी देने वालों के दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी थी, लेकिन वो खुद ही दलालों के साथ मिलकर फर्जीवाड़े में जुड़ा था.
                                                                        
                                    
                                डॉ. नाईक हीरानंदानी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर हैं. बाकी के आरोपी डॉक्टरों के नाम मुकेश शेट्टी, मुकेश शाह और प्रकाश शेट्टी हैं.
मुंबई में अब तक ये पहला किडनी रैकेट है, जिसमे इतने बड़े स्तर पर डॉक्टरों की सांठगांठ पाई गई है और उनकी गिरफ्तारी हुई है. मामले में अब तक कुल 14 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी अशोक दुधे के मुताबिक, पता चला कि डॉक्टरों की गिरफ्तारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट पर की गई है. सभी पर मानव अंग प्रत्यर्पण कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, मामले में पहले गिरफ्तार किए जा चुके अस्पताल का मेडिकल सोशल वर्कर नीलेश कांबले डॉक्टरों और दलालों के बीच की कड़ी है. उसके कॉल डाटा रिकॉर्ड से डॉक्टरों के खिलाफ अहम सुराग मिले हैं. नीलेश के घर से 7 लाख की नकदी भी बरामद हुई थी.
आरोप है कि किडनी रैकेट के इस गोरखधंधे से नीलेश पिछले 3 सालों में 30 लाख रुपये कमा चुका है. नीलेश के ऊपर ही मरीज और किडनी देने वालों के दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी थी, लेकिन वो खुद ही दलालों के साथ मिलकर फर्जीवाड़े में जुड़ा था.
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