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हाईवे पर 5 घंटे जाम में फंसी रही एंबुलेंस, बच्चे ने तोड़ दिया दम... मुंबई की ये घटना आपको हिलाकर रख देगी

ट्रैफिक जाम की वजह से पांच घंटे की देरी के बाद जब परिजन बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

हाईवे पर 5 घंटे जाम में फंसी रही एंबुलेंस, बच्चे ने तोड़ दिया दम... मुंबई की ये घटना आपको हिलाकर रख देगी
मुंबई में ट्रैफिक में फंसने की वजह से हो गई मासूम की मौत
  • मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर सड़क मरम्मत के कारण पांच घंटे से ज्यादा समय तक जाम लगा रहा.
  • बच्चे को बालकनी से गिरने के बाद तुरंत अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन बेहतर इलाज के लिए मुंबई रेफर किया गया था
  • हाईवे को सुबह छह बजे से रात नौ बजे तक बंद कर दिया गया था, जिससे डायवर्ट किया गया और लंबा जाम लगा था
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मुंबई:

कई बार सिस्टम के आगे हम इतने मजबूर हो जाते हैं कि चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते. कई बार लगता है कि आखिर इस तरह की व्यवस्था की क्या जरूरत है, जब वो किसी की जिंदगी पर हावी हो जाए. मुंबई से एक ऐसे ही हैरान करने वाली घटना सामने आई है. यहां मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर पांच घंटे तक जाम में फंसे रहने के कारण 16 महीने के बच्चे की एंबुलेंस में ही मौत हो गई. आप ये जानकर दंग रह जाएंगे कि आखिर हाईवे पर इतना भीषण जाम लगा कैसे. ये जाम किसी आम राहगीर की गलती के कारण नहीं लगता था, ये जाम लगा था प्रशासन की वजह से. सड़क पर मरम्मत का काम चल रहा था. इस मरम्मत कार्य की वजह से हाईवे पर कई किलोमीटर तक का जाम लगा, और इसी जाम में पालघर में दादी के घर की चौथी मंजिल की बालकनी से गिरने वाले 16 महीने के घायल बच्चे की एंबुलेंस फंसी थी. उसे समय पर अस्पताल पहुंचाना बेहद जरूरी था. लेकिन जाम मानों उसके लिए मौत बनकर आई हो.  

आपको बता दें कि बालकनी से गिरने की घटना के बाद बच्चे को तुरंत बाइक से लेकर पास के अस्पताल पहुंचाया गया था. डॉक्टरों ने बच्चे को देखने के बाद उसे तुरंत बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में रेफर किया था. बच्चे को मुंबई ले जाने के लिए तुरंत एंबुलेंस मंगाई गई. लेकिन इससे पहले की एंबुलेस मुंबई पहुंच पाती वो हाईवे पर लगे कई किलोमीटर लंबे जाम में फंस गई. 

सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक बंद किया गया था हाईवे

हाईवे की मरम्मत करने के लिए थाणे-घोड़बंदर रोड के एक हिस्से को जो मुंबई-अहमदाबाद हाईवे से जुड़ता है, को सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक के लिए बंद किया गया था. रूट को यहां से डायवर्ट भी किया गया था. इस वजह से यहां पर काफी लंबा जाम लग गया. 

हर सेकेंड उखड़ती रही सांस

जहां एक तरफ जाम कम होने और वहां से निकलने की उम्मीद कम नजर आ रही थी वहीं दूसरी तरफ एंबुलेंस में मौजूद बच्चे की सांस भी अब टूटने लगी थी. जब करीब पांच घंटे जाम में फंसे रहने के बाद एंबुलेंस बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची तो वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. परिजनों के सामने ही उनके लाडले ने दम तोड़ दिया. 

इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में है आक्रोश

ट्रैफिक जाम की वजह से 16 महीने के बच्चे की मौत को लेकर स्थानीय लोगों में खासा गुस्सा है. उनका कहना है कि इस तरह के जाम की वजह से किसी बच्चे की मौत हो जाए ये कहीं से भी सही नहीं है. सरकार और स्थानीय प्रशासन को इसी घटनाएं आगे ना हो इसे लेकर सख्त नियम बनाने चाहिए. यह कथित तौर पर इसी राजमार्ग पर दो महीने से भी कम समय में हुई दूसरी ऐसी घटना है. इस तरह की यह कोई पहला घटना नहीं इससे पहले, जुलाई में, सफले की एक 49 वर्षीय महिला की अस्पताल ले जाते समय यातायात में फंसने के बाद मृत्यु हो गई थी.

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ग्रीन कॉरिडोर जरूरी

इस घटना के बाद से अब इस तरह के हादसों से बचने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने की मांग की जा रही है. साथ ही बेहतर योजना बनाने की मांग की जा रही है, जिसमें "ग्रीन कॉरिडोर" (एम्बुलेंस/आपातकालीन वाहनों के लिए प्राथमिकता या छूट वाली लेन), भारी वाहनों की आवाजाही पर सख्त नियमन, और सड़क निर्माण के दौरान वैकल्पिक मार्गों और प्रतिबंधों को लागू करना शामिल है।

इस गलती से सबक लेने की जरूरत

इस बच्चे की मौत इस बात की दुखद याद दिलाती है कि कैसे गंभीर चिकित्सा देखभाल में देरी, खासकर बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक खामियों के कारण, लोगों की जान ले सकती है. हालाँकि तात्कालिक कारण दुर्घटना (बालकनी से गिरना) थी, लेकिन लगातार यातायात अवरोधों के कारण उसे तुरंत उचित अस्पताल न पहुंचा पाने की वजह से उसकी चोट जानलेवा बन गई.

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