दिल्ली गैंगरेप में शामिल नाबालिग (फाइल फोटो)
मुंबई:
मंगलवार को जुवेनाइल क्राइम एक्ट 2015 के राज्यसभा में पारित होने के बाद जुवेनाइल क्राइम का गणित बड़े पैमाने पर बदल जाएगा। खासकर के उन राज्यों में जहां पर नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों की संख्या बहुत ज्यादा है।
निर्भया के माता-पिता और जनता के विरोध के बाद जुवेनाइल क्राइम एक्ट में बदलाव हुए हैं। गुनहगार की उम्र 16 से 18 है और गुनाह संगीन हो तो उसके खिलाफ कार्यवाही आम गुनहगार जैसी ही होगी। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कई साल से जुवेनाइल क्राइम के आंकड़े बाकी राज्यों से ज्यादा हैं। यहां नाबालिग गुनाह का करीब 70 फीसदी 16-18 की उम्र के नाबालिग करते हैं। ऐसे में इस बिल के बाद महाराष्ट्र में जुवेनाइल एक्ट की स्थिति ही बदल जाएगी।
महाराष्ट्र में करीब 70 प्रतिशत क्राइम 16 से ज्यादा की उम्र के नाबालिग करते हैं
डीसीपी धनंजय कुलकर्णी ने कहा कि, "महाराष्ट्र में करीब 70 प्रतिशत क्राइम 16 से ज्यादा की उम्र के नाबालिग करते हैं, इस बिल के बाद यह आंकड़ा कम हो जाएगा और बाकी नाबालिगों के सुधार पर फोकस बढ़ाना आसान हो जाएगा।" समाज का एक तबका इस बिल के खिलाफ़ है... उसका मानना है कि बिल एक एक्शन का रिएक्शन था बस, न कि एक संतुलित कदम।
बिल जल्दबाज़ी में पास किया गया है
अधिवक्ता माहरुख एडेनवाला, चाइल्ड राईट एक्टिविस्ट का कहना है कि "बिल जल्दबाज़ी में पास किया गया है। इसके परिणामस्वरूप 16 से 18 साल के नाबालिग को अगर जेल में डाल देंगे तो वो बड़े क्रिमिनल्स के साथ रहेगा। और ये उसके साथ अन्याय होगा।"
नाबालिगों के पुनर्वासन के हालात अब भी बेहद ख़राब है
इस पूरी बहस में अब तक संगीन नाबालिग अपराध की उम्र घटाने और सज़ा बढ़ाने को लेकर ही बात की जा रही है, लेकिन नाबालिगों के पुनर्वासन के हालात अब भी बेहद ख़राब है और यह बात सिर्फ दबे लफ़्ज़ों में ही सामने आ रही है। जुवेनाइल बिल में तबदीली करने के अलावा पुनर्वासन में सुधार भी उतना ही जरूरी मुद्दा होगा।
निर्भया के माता-पिता और जनता के विरोध के बाद जुवेनाइल क्राइम एक्ट में बदलाव हुए हैं। गुनहगार की उम्र 16 से 18 है और गुनाह संगीन हो तो उसके खिलाफ कार्यवाही आम गुनहगार जैसी ही होगी। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कई साल से जुवेनाइल क्राइम के आंकड़े बाकी राज्यों से ज्यादा हैं। यहां नाबालिग गुनाह का करीब 70 फीसदी 16-18 की उम्र के नाबालिग करते हैं। ऐसे में इस बिल के बाद महाराष्ट्र में जुवेनाइल एक्ट की स्थिति ही बदल जाएगी।
महाराष्ट्र में करीब 70 प्रतिशत क्राइम 16 से ज्यादा की उम्र के नाबालिग करते हैं
डीसीपी धनंजय कुलकर्णी ने कहा कि, "महाराष्ट्र में करीब 70 प्रतिशत क्राइम 16 से ज्यादा की उम्र के नाबालिग करते हैं, इस बिल के बाद यह आंकड़ा कम हो जाएगा और बाकी नाबालिगों के सुधार पर फोकस बढ़ाना आसान हो जाएगा।" समाज का एक तबका इस बिल के खिलाफ़ है... उसका मानना है कि बिल एक एक्शन का रिएक्शन था बस, न कि एक संतुलित कदम।
बिल जल्दबाज़ी में पास किया गया है
अधिवक्ता माहरुख एडेनवाला, चाइल्ड राईट एक्टिविस्ट का कहना है कि "बिल जल्दबाज़ी में पास किया गया है। इसके परिणामस्वरूप 16 से 18 साल के नाबालिग को अगर जेल में डाल देंगे तो वो बड़े क्रिमिनल्स के साथ रहेगा। और ये उसके साथ अन्याय होगा।"
नाबालिगों के पुनर्वासन के हालात अब भी बेहद ख़राब है
इस पूरी बहस में अब तक संगीन नाबालिग अपराध की उम्र घटाने और सज़ा बढ़ाने को लेकर ही बात की जा रही है, लेकिन नाबालिगों के पुनर्वासन के हालात अब भी बेहद ख़राब है और यह बात सिर्फ दबे लफ़्ज़ों में ही सामने आ रही है। जुवेनाइल बिल में तबदीली करने के अलावा पुनर्वासन में सुधार भी उतना ही जरूरी मुद्दा होगा।
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