शिवरात्रि के अगले दिन रविवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. जिससे सियासी चर्चा का बाज़ार गर्म है. अमूमन मंत्रिमंडल की बैठक मंगलवार या बुधवार को होती है. हलचल इसलिये भी है क्योंकि बुधवार को मुख्यमंत्री नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलकर लौटे हैं. राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे में इस मुलाकात को किसी बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. वैसे, मध्यप्रदेश में कैबिनेट विस्तार और निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां भी लंबित है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ मंत्री ने एनडीटीवी से कहा, "हमें लगभग 11 बजे सीएम आवास पर बुलाया गया है. वृक्षारोपण के बाद, सीएम हमसे आमने-सामने मिलेंगे. शाम 6 बजे हमें कैबिनेट बैठक में भाग लेने के लिए कहा गया है. वो विकास यात्रा के दौरान हुई घटनाओं पर चर्चा कर सकते हैं या हो सकता है जिन मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं है उन्हें कुछ नसीहत और सुझाव दी जाएगी. जैसे उन्होंने हाल के दिनों में विधायकों के साथ पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों के निष्कर्षों के आधार पर व्यक्तिगत बैठकों के माध्यम से किया है. बताते चलें कि राज्य में सरकार की विकास यात्राएं, 5 फरवरी को शुरू हुई थी और ये 25 फरवरी को समाप्त होगी.
महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले कुछ महीनों से कैबिनेट में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन कैबिनेट में फेरबदल होना बाकी है. यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह वास्तव में आने वाले दिनों में होता है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में बमुश्किल 8-9 महीने बचे हैं. एक दूसरे मंत्री ने कहा कि रविवार को कैबिनेट बैठक करना सरकार के लिए सामान्य नहीं है, कुछ भी हो सकता है या कुछ भी नहीं हो सकता है.
बहरहाल रविवार को इस बैठक से गुजरात जैसी हलचल कम से कम मंत्रियों के बीच नज़र आ रही है. जब सितंबर 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनके मंत्रिमंडल ने पद छोड़ दिया था. चुनावों से ठीक 14 महीने पहले भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में पूरे नये मंत्रिमंडल का गठन हुआ था. कुछ लोग भोपाल में होने वाली रविवार की बैठक को राज्य मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल की पूर्व सूचना के रूप में भी देखा रहे हैं.
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