प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल:
छत्तीसगढ़ की गौ शालाओं में बड़ी तादाद में भूख-प्यास से गायों के दम तोड़ने के बाद अब पड़ोसी मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में बने देश के पहले गौ अभ्यारण्य से गायों के लगातार मौत की ख़बर आ रही है. हालांकि, प्रशासन का कहना है कि ठंड के महीने में ये आंकड़े सामान्य हैं. मध्यप्रदेश के आगर-मालवा ज़िले के सलारिया में 28 सितंबर 2017 को देश का पहला गौ अभ्यारण्य महीनों देरी से शुरू हुआ. देरी के बाद भी आरोप है कि वहां सबकुछ दुरस्त नहीं है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में अब तक वहां 52 गायों की मौत हो चुकी है. पोस्टमार्टम में इसकी वजह पॉलिथीन खाना और निमोनिया जैसी बीमारी बताया गया है. आगर के कलेक्टर अजय गुप्ता ने कहा एक दिसंबर से अब तक वहां 52 गायों की मौत हुई है. उनके पोस्टमॉर्टम में प्लास्टिक मिला है, लेंटिना वीड है. विशेषज्ञों की जो टीम आई है, उनके हिसाब से ये आंकड़ा इस सीज़न में बहुत अप्रत्याशित नहीं है.
यह भी पढ़ें - जयपुर : सरकारी गौ शाला में गायों की मौत, हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार से रिपोर्ट मांगी
पोस्टमॉर्टम के दौरान गायों के पेट से पॉलिथीन, चमड़े के जूतों के टुकड़े, तार निकले. जांच दल ने गायों के खून, उनको खिलाये जाने वाले भूसे का नमूना ले लिया है. संचालक का मानना है कि अभ्यारण्य के आसपास उगने वाला जहरीला लेंटाना का सेवन भी मौत की वजह हो सकता है. अभ्यारण्य के उप-संचालक एस.वी. कौसरवाल से जब पूछा गया कि गायों के रख-रखाव के लिये अब क्या कदम उठाए जाएंगे तो उन्होंने कहा शेड में अब प्लास्टिक लगवा देंगे, गेंदी के पेड़ से शंका है, वो हटवा देंगे. कोशिश रहेगी अच्छी देखभाल हो.
यह भी पढ़ें - गौशालाओें में गायों की मौत की होगी न्यायिक जांच, तीन महीने में तैयार होगी रिपोर्ट
हालांकि विपक्षी कांग्रेस इन सरकारी तर्कों से खुश नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता नूरी खान ने कहा सिर्फ धर्म की राजनीति के लिये गायों का नाम लिया जाता है. हकीकत में उनकी मौत हो रही है. सरकार को चाहिये उनके खाने पीने का सही से इंतजाम करे. बता दें कि गौ अभ्यारण्य की क्षमता छह हजार गायों की है, जिसमें फिलहाल करीब चार हजार दो सौ गाय रखी जा रही हैं.
यह भी पढ़ें - योगी राज में गायों को खिलाने के लिए नहीं है फंड, अपर्णा यादव से जुड़ी गौशाला की हालत खराब
जानकार भी कहते हैं फिलहाल जो आंकड़ा आया है वो प्राकृतिक है. 32 करोड़ की लागत से बना देश का पहला गौ अभ्यारण्य घोषणा से लेकर शुरू होने तक चर्चाओं में रहा है. इसके खुलने में 2 साल की देर हुई, प्रदेश भर में 2 करोड़ गौवंश के लिये ये नाकाफी बताया गया लेकिन अब गायों की मौत और इसे चलाने के भारी-भरकम बजट के बीच अभ्यारण्य में गायों की देखभाल को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
VIDEO: भारत के पहले गौ अभ्यारण्य में कोई नहीं गायों का रखवाला
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में अब तक वहां 52 गायों की मौत हो चुकी है. पोस्टमार्टम में इसकी वजह पॉलिथीन खाना और निमोनिया जैसी बीमारी बताया गया है. आगर के कलेक्टर अजय गुप्ता ने कहा एक दिसंबर से अब तक वहां 52 गायों की मौत हुई है. उनके पोस्टमॉर्टम में प्लास्टिक मिला है, लेंटिना वीड है. विशेषज्ञों की जो टीम आई है, उनके हिसाब से ये आंकड़ा इस सीज़न में बहुत अप्रत्याशित नहीं है.
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पोस्टमॉर्टम के दौरान गायों के पेट से पॉलिथीन, चमड़े के जूतों के टुकड़े, तार निकले. जांच दल ने गायों के खून, उनको खिलाये जाने वाले भूसे का नमूना ले लिया है. संचालक का मानना है कि अभ्यारण्य के आसपास उगने वाला जहरीला लेंटाना का सेवन भी मौत की वजह हो सकता है. अभ्यारण्य के उप-संचालक एस.वी. कौसरवाल से जब पूछा गया कि गायों के रख-रखाव के लिये अब क्या कदम उठाए जाएंगे तो उन्होंने कहा शेड में अब प्लास्टिक लगवा देंगे, गेंदी के पेड़ से शंका है, वो हटवा देंगे. कोशिश रहेगी अच्छी देखभाल हो.
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हालांकि विपक्षी कांग्रेस इन सरकारी तर्कों से खुश नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता नूरी खान ने कहा सिर्फ धर्म की राजनीति के लिये गायों का नाम लिया जाता है. हकीकत में उनकी मौत हो रही है. सरकार को चाहिये उनके खाने पीने का सही से इंतजाम करे. बता दें कि गौ अभ्यारण्य की क्षमता छह हजार गायों की है, जिसमें फिलहाल करीब चार हजार दो सौ गाय रखी जा रही हैं.
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जानकार भी कहते हैं फिलहाल जो आंकड़ा आया है वो प्राकृतिक है. 32 करोड़ की लागत से बना देश का पहला गौ अभ्यारण्य घोषणा से लेकर शुरू होने तक चर्चाओं में रहा है. इसके खुलने में 2 साल की देर हुई, प्रदेश भर में 2 करोड़ गौवंश के लिये ये नाकाफी बताया गया लेकिन अब गायों की मौत और इसे चलाने के भारी-भरकम बजट के बीच अभ्यारण्य में गायों की देखभाल को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
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