कांग्रेस सेवादल का मध्यप्रदेश के भिंड में सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है.
भोपाल:
मध्यप्रदेश के भिंड में हो रहे कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो प्रेस नोट बंटा उसने हंगामा खड़ा कर दिया है. इसमें एक पैराग्राफ में इसमें आरएसएस और सेवादल की तुलना करते हुए दोनों की तारीफ कर दी गई है. कांग्रेस कह रही है यह प्रेस नोट फर्जी है. वहीं बीजेपी इस मामले में चुटकी ले रही है.
दरअसल भिंड में पांच दिन के सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत हुई है, जिसकी जानकारी देने शनिवार को ग्वालियर में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. बताया जा रहा है कि इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो प्रेस नोट बांटा गया वह कांग्रेस के लिए किरकिरी का सबब बना.
इस विज्ञप्ति में आरएसएस के हेडगेवार और सेवादल के हार्डीकर को सहपाठी बताकर दोनों संगठनों को फौजी अनुशासन से चलने वाला बताया. प्रेस नोट के एक पैरे में डॉ हेडगेवार के 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लेने और जेल जाने का जिक्र भी किया गया है. साथ ही 1928 में साइमन कमीशन के भारत आगमन पर आरएसएस के आंदोलन करने का भी जिक्र किया गया है. सेवादल के मुताबिक, आरएसएस ने आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था.
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पूरे मामले में कांग्रेस का कहना है कि प्रेस रिलीज से छेड़छाड़ की गई है. सेवादल ने ऐसा कोई प्रेस नोट नहीं दिया. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा उनकी पार्टी या संघ को कांग्रेस के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं, साथ ही ये सवाल भी उठाया कि जब दीपक बाबरिया ने संघ को अनुशासित कहा तब ऐसे सवाल क्यों नहीं उठे.
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वहीं इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता भूपेश गुप्ता ने कहा ये आरएसएस की शरारत है. वह प्रेस नोट वहां कागज के रूप में बांटा ही नहीं गया जो दिया गया, वह व्हाट्सऐप पर था. हम इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने जा रहे हैं.
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वैसे स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक कांग्रेस ने जब ये प्रेस नोट बांटा था तभी कुछ लोगों ने आपत्ति की थी. तब ग्वालियर में सेवादल के पदाधिकारी ने इस पर सफाई दी थी और इसे प्रिंटिंग मिस्टेक कहा था.
दरअसल भिंड में पांच दिन के सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत हुई है, जिसकी जानकारी देने शनिवार को ग्वालियर में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. बताया जा रहा है कि इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो प्रेस नोट बांटा गया वह कांग्रेस के लिए किरकिरी का सबब बना.
इस विज्ञप्ति में आरएसएस के हेडगेवार और सेवादल के हार्डीकर को सहपाठी बताकर दोनों संगठनों को फौजी अनुशासन से चलने वाला बताया. प्रेस नोट के एक पैरे में डॉ हेडगेवार के 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लेने और जेल जाने का जिक्र भी किया गया है. साथ ही 1928 में साइमन कमीशन के भारत आगमन पर आरएसएस के आंदोलन करने का भी जिक्र किया गया है. सेवादल के मुताबिक, आरएसएस ने आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था.
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वहीं इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता भूपेश गुप्ता ने कहा ये आरएसएस की शरारत है. वह प्रेस नोट वहां कागज के रूप में बांटा ही नहीं गया जो दिया गया, वह व्हाट्सऐप पर था. हम इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने जा रहे हैं.
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वैसे स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक कांग्रेस ने जब ये प्रेस नोट बांटा था तभी कुछ लोगों ने आपत्ति की थी. तब ग्वालियर में सेवादल के पदाधिकारी ने इस पर सफाई दी थी और इसे प्रिंटिंग मिस्टेक कहा था.
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