मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग पर काबू पाने में 15 घंटे से अधिक का वक्त लगा और मंगलवार को सतपुड़ा भवन में संचालित होने वाले सरकारी दफ्तरों की छुट्टी घोषित कर दी गई. आग को लेकर सुबह मुख्यमंत्री निवास में रिव्यू मीटिंग भी रखी गई. उधर, कांग्रेस ने मामले में भ्रष्टाचार की फाइलें जलाने का आरोप लगाया है, जिसे सरकार ने नकार दिया है. इधर, एनडीटीवी की पड़ताल में कई स्तरों पर लापरवाही सामने आई है.
सोमवार शाम करीब 4 बजे सतपुड़ा भवन में आग लगी. आग करीब हर दूसरे घंटे दूसरी मंजिल पर बढ़ती गई और आदिवासी कल्याण से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक की फाइलें जलती रहीं. सेना, पुलिस, दमकल, नगर-निगम, सीआईएसएफ, एयरपोर्ट एथॉरिटी की टीमें लगी रहीं. हालांकि आग बुझाने में अगले दिन सुबह ही कामयाबी मिल सकी.
इसके बाद सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री दफ्तर में बैठक हुई और तय हुआ कि इस मामले की जांच की जाएगी. उधर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के साथ कांग्रेस नेता सतपुड़ा भवन पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार कुछ छिपा रही है.
विपक्ष का आरोप, सरकार का जवाब
डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि आग लगती नहीं है, घोटालों को दबाने के लिए षड़यंत्र रचे जाते हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रश्न यह है कि आग लगी या लगाई गई. उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है. स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच होनी चाहिए. हालांकि सरकार ने कहा कि मामला कागजों की फाइल तक सिमटा नहीं है जो फाइलें जली हैं, उनका बैकअप मिल जाएगा. राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने कहा कि यह डिजिटल का युग है, इसमें एक फाइल कई जगह पर सुरक्षित रहती है.
धूल फांकती 5.5 करोड़ की मशीन
यह मामला भ्रष्टाचार के आरोपों तक सीमित नहीं रहा, एनडीटीवी की पड़ताल में बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. मसलन साढ़े 5 करोड़ की मशीन आग बुझाने के लिए पहुंच ही नहीं पाई. यह मशीन सरकारी लापरवाही का नमूना है. इसके जरिए 170 फुट तक पानी जा सकता है, लेकिन यह मशीन सड़क पर रह गई और अंदर नहीं जा पाई. आरटीओ से संबंधित काम नहीं हो पाया, ट्रेनिंग मिली लेकिन इस्तेमाल नहीं कर पाए.
लापरवाही की एक नहीं, कई मिसाल
इसके अलावा भी कई लापरवाही सामने आई हैं. आग के दौरान अग्निशमन यंत्र एक्टिव नहीं हुए. यहां तक की न होजरील फायर सिस्टम था और न स्मोक डिटेक्टर. उस पर फायर हाइड्रेंट भी काम नहीं कर रहा था. वहीं दमकल की गाड़ियों से पानी का प्रेशर चौथी मंजिल तक भी नहीं पहुंचा. शहर में एक मुख्य फायर अफसर सहित चार अफसर होने हैं, जबकि इनमें से एक भी नहीं है. सूत्रों ने ये भी बताया कि कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा में नगर-निगम का भारी अमला लगा है. इस वजह से भी आग बुझाने में देरी हुई, हालांकि सरकार ने इसे नकार दिया.
तीन दिन में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
बहरहाल इस मामले में जो उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है, वो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. वैसे इससे पहले 2018 और 2012 में भी सतपुड़ा भवन में आग लगी थी, उसकी रिपोर्ट का आज भी इंतजार है.
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