छत्तीसगढ़ पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को लेकर एक बड़ा ही सराहनीय कदम उठाया है. पुलिस ने इनके लिए नारायणपुर जिले में एक स्कूल खोला है, जिसमें 3 शिक्षक हैं और मौजूदा समय में 300 से अधिक ऐसे नक्सली पढ़ रहे हैं, जो आत्मसमर्पण कर चुके हैं. ये सभी लोग पुलिस बल का हिस्सा हैं. नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने बताया, ‘आत्मसमर्पण करने वाले अधिकतर नक्सली इसलिए पहले पढ़ नहीं सकें क्योंकि माओवादियों ने उनके स्कूल नष्ट कर दिए थे. कई लोगों को नक्सलवाद में शामिल होने के लिए स्कूल छोड़ना पड़ा. पुलिस बल में शामिल होने के बाद उन्होंने पढ़ने की इच्छा जताई.'
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गर्ग ने कहा कि इसका लक्ष्य इन लोगों को बाहर की दुनिया से जोड़ना और शिक्षा के जरिए उनमें आत्मविश्वास बढ़ाना है. इस कदम से ही उनका पूरी तरह से पुनरूद्धार होगा. उन्होंने बताया कि इन लोगों को तीन समूहों में बांटा गया था. पहला समूह अशिक्षित लोगों, दूसरा समूह कक्षा पांचवीं तक पढ़े लोगों और तीसरा समूह कक्षा आठवीं तक पढ़े लोगों का है.
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नक्सली से पुलिसकर्मी बने 30 वर्षीय अमर पोटाई ने बताया कि उनका शिक्षित होने का सपना साकार हो रहा है. कांस्टेबल पोटाई ने कहा, ‘‘मैं अब पढ़-लिख सकता हूं. बस्तर करीब तीन दशक से माओवाद से संघर्ष कर रहा है. इसके कारण मेरी तरह कई लोग अशिक्षित रह गए हैं.' इसी प्रकार पिछले साल आत्मसमर्पण कर चुकीं सुमित्रा साहू (32) ने कहा कि वह केवल दो साल स्कूल गईं. उन्होंने कहा, ‘सशस्त्र नक्लसियों ने मेरे स्कूल को नष्ट कर दिया. इसके बाद वे मुझे नक्सली संगठन में शामिल होने ले लिए अपने साथ ले गए. कहते हैं कि जिंदगी दूसरा मौका देती हैं. मुझे दोबारा पढ़ने का मौका मिला जिससे मैं बहुत खुश हूं.' (इनपुट-भाषा)
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