नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर को एक क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय मुंबई ने एक कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है उनके खिलाफ चल रहे मामलों को छिपाने की वजह से क्यों ना उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाए, लेकिन मेधा को लगता है कि इस नोटिस के पीछे एक गहरी साज़िश है.
भोपाल में एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह बहुत गहरी साजिश है, जिसका पता लगाने की जरूरत है. पहले से ही कुछ कारोबारी समूहों के साथ, कुछ सरकार के नुमाइंदे हमारे ख़िलाफ हैं ये आज देश में आम रूप से हो रहा है कि जन आंदोलनकारियों को बदनाम करो, उन्हें जेल में डालो. सही मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये ये साज़िश की गई है.
उन्होंने यह भी कहा कि वह पहले ही 18 अक्टूबर, 2019 को मुंबई आरपीओ के नोटिस का जवाब दे चुकी हैं, उन्होंने अपना लिखित जवाब साझा किया है जिसमें उन्होंने बताया कि वो पहले ही मध्यप्रदेश के बड़वानी, अलीराजपुर और खंडवा जिलों में जो मामले दिखाए गए हैं उनमें से तीन (बड़वानी में दो और अलीराजपुर में एक) में बरी हो चुकी हैं. सरदार सरोवर के विस्थापितों के लिये एक मौन जुलूस निकालने से संबंधित एक और मामला अगस्त 2017 में बड़वानी में दर्ज किया गया था, इसलिए वहां मार्च 2017 में इसे पासपोर्ट कार्यालय को सूचित करने के बारे में कोई प्रश्न नहीं उठता. जहां तक खंडवा जिला न्यायालय में लंबित मामलों का सवाल है, मुझे याद नहीं है कि इनमें से किसी भी मामले में समन या गिरफ्तार किया गया है और न ही याद है कि इन मामलों में अबतक आरोपी बनाया गया है.
मेधा पाटकर के नेतृत्व में भोपाल में सरदार सरोवर के विस्थापित बेहतर पुर्नवास और दूसरी मागों को लेकर भोपाल में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) कार्यालय के बाहर छठे दिन भी सत्याग्रह पर बैठे रहे.
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