मध्यप्रदेश में 100 दिनों के इंतजार के बाद, मंत्रियों की कुर्सियों तो लगभग भर गईं, लेकिन 4 दिन बाद भी उन्हें कोई काम नहीं मिल पाया है. विपक्ष को इस खींचतान से सरकार पर वार करने का मौका मिला है, तो बीजेपी के भी कुछ पुराने नेता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. पांच दिनों में दूसरी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली दौड़ लगाई. इस बार राजनाथ सिंह, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, नरेन्द्र सिंह तोमर, सदानंद गौड़ा से मिल आए. मौका राज्य से जुड़े अहम काम का तो था ही लेकिन इसे मंत्रियों के बीच कुर्सी बांटने से भी जोड़ा जा रहा है. विपक्ष तो सीधे कह रहा है, उपचुनाव से पहले विभाग ना बंटे, तो अजय बिश्नोई जैसे पूर्व बीजेपी मंत्री भी सवाल पूछ रहे हैं. कांग्रेस विधायक और पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा सरकार को मंत्रिमंडल के नाम चुनने में 100 दिन लगे लगभग 9 वरिष्ठ मंत्री शामिल नहीं हुए, कहीं ना कहीं बीजेपी सिंधिया जी के लोगों को एडजस्ट करने में अपनी मूल परंपरा खो चुकी है, अपने नेता नाराज हैं जिसका असर दिखेगा उपचुनाव में.
पिछले हफ्ते शपथ ग्रहण के बाद ये माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री विभागों का बंटवारा कर देंगे. लेकिन शपथ ग्रहण के चार दिन बाद भी विभागों का बंटवारा नहीं हो सका. सूत्रों का कहना है कि एक बार फिर इसमें संगठन-सत्ता और सिंधिया गुट के बीच तनातनी है, सिंधिया अपने समर्थकों के लिए कई अहम विभाग चाहते हैं वहीं शिवराज का भी इनपर ज़ोर है.
हालांकि कांग्रेस के सवाल पर बीजेपी चुटकी ले रही है, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'बीजेपी में किसको क्या विभाग मिले ये गोविंद सिंह तय करेंंगे? ये बीजेपी तय करेगी, इतनी चिंता अगर कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार रहते कर लेती तो विपक्ष में क्यों होती.'सूत्रों के मुताबिक बंटवारे में कोरोना से लड़ने पहले से मंत्रिमंडल में शामिल पांच मंत्रियों को जो विभाग मिले हैं उसमें भी परिवर्तन हो सकता है.
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