गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश सरकार पहले ही पेट्रोल-डीजडल से वैट कम कर चुकी है
गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश ने पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों से जनता को राहत देने के लिए वैट की दरें कम कर दी थीं, अब मध्य प्रदेश सरकार ने भी उनका अनुसरण करते हुए वैट घटाने के संकेत दिए हैं. केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीज़ल से दो रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी कम करने के बाद राज्यों द्वारा पेट्रो ईंधन से मूल्य संवर्धित कर (वैट) घटाकर जनता को कुछ हद तक महंगाई से राहत दे सकते हैं.
प्रदेश के वित्त और वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि पेट्रोल-डीज़ल पर वैट घटाने के बारे में सोच-विचार कर निर्णय किया जाएगा. इस विषय में जल्द ही सकारात्मक निर्णय किया जाएगा.
पढ़ें: पेट्रोल, डीजल पर वैट घटाए जाने को कांग्रेस ने बताया चुनावी हथकंडा
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 5 अक्तूबर को सभी राज्यों से अपील की थी कि वे पेट्रोल और डीजल पर करों की दरों में कटौती करें. बहरहाल, पेट्रोल-डीजल पर वैट वसूली से मध्य प्रदेश सरकार को मोटा कर राजस्व मिलता है. इन ईंधनों पर वैट की दर घटाये जाने पर राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर राजस्व में बड़ी कमी आएगी.
पेट्रोल-डीज़ल पर राज्य सरकारें कम करें वैट- धर्मेंद्र प्रधान
जयंत मलैया ने बताया कि राज्य सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट और अन्य करों की वसूली से जो राजस्व मिलता है, वह सूबे के कुल वाणिज्यिक कर राजस्व का करीब 35 प्रतिशत है. उन्होंने बताया था कि प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2016-17 में वाणिज्यिक करों की वसूली करीब 29,500 करोड़ रुपये के स्तर पर रही थी.
(इनपुट भाषा से)
प्रदेश के वित्त और वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि पेट्रोल-डीज़ल पर वैट घटाने के बारे में सोच-विचार कर निर्णय किया जाएगा. इस विषय में जल्द ही सकारात्मक निर्णय किया जाएगा.
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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 5 अक्तूबर को सभी राज्यों से अपील की थी कि वे पेट्रोल और डीजल पर करों की दरों में कटौती करें. बहरहाल, पेट्रोल-डीजल पर वैट वसूली से मध्य प्रदेश सरकार को मोटा कर राजस्व मिलता है. इन ईंधनों पर वैट की दर घटाये जाने पर राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर राजस्व में बड़ी कमी आएगी.
पेट्रोल-डीज़ल पर राज्य सरकारें कम करें वैट- धर्मेंद्र प्रधान
जयंत मलैया ने बताया कि राज्य सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट और अन्य करों की वसूली से जो राजस्व मिलता है, वह सूबे के कुल वाणिज्यिक कर राजस्व का करीब 35 प्रतिशत है. उन्होंने बताया था कि प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2016-17 में वाणिज्यिक करों की वसूली करीब 29,500 करोड़ रुपये के स्तर पर रही थी.
(इनपुट भाषा से)
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