मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कई जिलों में भारी बारिश और उससे बाढ़ (MP Floods) की स्थिति पैदा हो गई है. बारिश के कारण कई इलाकों में पानी जमा हो गया, जिससे लोगों को आवाजाही में दिक्कत आ रही है. हैरानी तो उस समय हुई जब बाढ़ के पानी ने राज्य के गुना जिले में अंतिम सफर को भी मुश्किल बना दिया. अर्थी को कंधा देने वाले लोगों को पानी में डूबकर अंतिम यात्रा निकालनी पड़ी.
जी हां आपको बता दें गुना जिले की बमोरी विधानसभा के भदौरा गांव में मुक्तिधाम के रास्ते में कमर के ऊपर तक पानी भरा होने के कारण पहले तो लोगों को अंतिम यात्रा निकालने से पहले कई घंटे तक पानी कम होने का इंतजार करना पड़ा. जब पानी कम नहीं हुआ तो ऐसे हालातों के चलते के बाद लोगों को पानी में उतर कर अर्थी को कंधा देना पड़ा और मुक्तिधाम ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया.
गुना के भदौरा गांव में मुक्तिधाम के रास्ते में पानी भरा होने के कारण पहले तो लोगों को अंतिम यात्रा निकालने से पहले कई घंटे तक पानी कम होने का. इंतजार करना पड़ा। लेकिन जब पानी कम नहीं हुआ तो पानी में ही उतर कर उन्हें अर्थी को कंधा देना पड़ा @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/IyxCsuxvjh
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) August 8, 2021
इस घटना का किसी ने वीडियो बना लिया और व्हाट्सएप पर पोस्ट कर दिया. यह घटना गुना से महज 15 किलोमीटर दूर भदौरा गांव की है, जहां शुक्रवार के दिन कमर लाल शाक्यवार का निधन हो गया था. मुक्तिधाम जाने वाले रास्ते में इतना पानी भरा हुआ था कि कांधा देने वालों को भी अंतिम विदाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
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इस घटना में गांव में पानी निकासी के लिए और गांव के विकास के लिए कितना पैसा खर्च किया, उसकी पोल खोल कर रख दी है. सवाल उठ रहे हैं कि जब गांव में रास्तों की ये स्थिति है तो शासन की योजनाओं का पैसा कहां खर्च हुआ है? इन तस्वीरों ने एक बार फिर इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है कि अंतिम विदाई में भी वही लोग जा सके, जिन्हें तैरना आता था. अगर तैरना नहीं आता तो पानी से होकर गुजरना और अर्थी को शमशान तक पहुंचाना मुश्किल था. गिने चुने लोगों ने अर्थी को श्मशान तक पहुंचाया.
गनीमत है कि श्मशान घाट में पानी नहीं भरा था अगर ऐसा होता तो चिता जलाने के लिए भी किसी से जगह की दौड़ लगानी पड़ जाती. तस्वीरें इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली हैं. सोशल मीडिया पर लोग इन तस्वीरों के साथ मार्मिक अपील कर रहे हैं कि कम से कम मुक्तिधाम तक जाने वाले रास्तों में तो सरकार की योजनाओं का पैसा खर्च कर पानी का निकास ऐसा बनाएं कि किसी और व्यक्ति को ऐसी मुश्किलों का सामना ना करना पड़े.
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